Friday, September 23, 2016

चक्कर क्यों आता है और घरेलु उपचार कैसे करना हैं ?

चक्कर आने की समस्या :

         चक्कर शब्द का मतलब अलग-अलग लोगों के लिए अलग होता है | कुछ लोगों के लिए इसका मतलब है सर भारी सा लगना और असंतुलित महसूस करना जबकि दुसरे लोग इस शब्द का प्रयोग तब करते हैं जब वो ये बताना चाहते हैं की उन्हें आस-पास सबकुछ घूमता हुआ सा लग रहा है | इस बीमारी का लक्षण काफी अस्पष्ट सा है और ऐसे कई तत्व हैं जो चक्कर आने के कारण हो सकते हैं | इसलिए चक्कर आने पर या आने से पहले इसे रोकने के लिए उपाय करना एक प्रयत्न-त्रुटी विधि से उपयोग करने की प्रक्रिया हो सकती है |


         अगर आपको दिन में कई बार चक्कर आता है और पूरी दुनिया गोल-गोल घुमती नजर आती है तो हो सकता है की आप वर्टिगो नामक बिमारी से ग्रस्थ हों | सिर दर्द, चक्कर, नोजिया यह वर्टिगो के लक्षण हैं | वर्टिगो लैटिन का शब्द है, जिसका अर्थ है चक्कर आना | दरअसल इसमें यह एहसास होता है की सब कुछ घूम रहा है | कैसे निपटें लो ब्लड प्रेशर से आप स्थिर हैं लेकिन कुछ सेकेंड के लिए वातावरण चक्कर लगाने लगता है | खास बात यह की आडा या तिरछा देखने पर इसमें सब घूमता दिखाई देता है | कभी-कभी चक्कर के साथ उल्टी जैसा भी महसूस होता है | अगर आपको लगातार कई महीनों से चक्कर आ रहें हैं तो उसे नजरअंदाज न करें | कई बार चक्कर आने का कारण लो बीपी या एनीमिया भी होता है | चक्कर आना एक सामान्य समस्या है जिसमें इंसान का सिर अचानक से घूम जाता है और उसकी आँखों के सामने अँधेरा छाने लगता और वह गिर जाता है | लेकिन अधिक चक्कर आना भी आपके लिए खतरनाक हो सकता है | इसलिए इस समस्या को दूर करने के लिए वैदिक वाटिका आपको इसके कुछ सरल और आसान घरेलु उपायों के बारे में बता रहे है ताकि आप चक्कर आने की परेशानी से बच सकते है |

    घरेलु उपचार कैसे -
          यहाँ पर ऐसे कई उपाय बताये गए हैं जो आप तब अपना सकते है जब आपको चक्कर आ रहा हो | चक्कर आते ही सिर घुमने लगता है और आस-पास की सभी वस्तुएं घुमती नजर आती हैं | कई बार अधिक ऊंचाई पर या गहरे पानी को देखने से भी चक्कर सा आने लगता है | ऐसी स्थिति में क्या चिकित्सकीय उपचार है | यूं तो महीने के आखिरी दिनों में यदि मेहमान घर में आ जाएं तो कुछ मेजबानों को चक्कर आ जाता होगा परंतु यहाँ हम उस चक्कर की नहीं बल्कि वास्तविक चक्कर, वर्टिगो की बात कर रहे हैं |

  • नारियल पानी का सेवन और नारियल का पानी रोज पिने से चक्कर आना बंध हो जाते हैं | आंवले के पाउडर का सेवन सुखा आंवला पिस कर चूर्ण बनाये फिर 10 ग्राम आंवला चूर्ण को 10 ग्राम धनिया पाउडर के साथ 1 ग्लास पानी के साथ पीना चाहिए |
  • अदरक खाएं खाने में और चाय में अदरक का भरपूर प्रयोग करे अदरक चक्कर को रोक देता है | जब चक्कर आता है तब लेट जाएं तुरंत लेट जाएं | सिर के निचे तकिया जरुर लगाना चाहिए  |प्राणायाम करें अगर ज्यादा चक्कर आता है तो रोज सुबह उठ कर अनुमोल विमोल प्राणायाम करनी चाहिए | 
  • कम पियें चाय-कोफ़ी इस समस्या को दूर करने के लिए चाय और कोफ़ी पर नियंत्रण लगाए | इससे चक्कर आने की तकलीफ बढती है | ठंडा पानी पियें जब चक्कर आने पर और बर्फ के सामान ठंडा पानी 3 ग्लास पिने से भी तुरंत राहत मिलती है | 
  • ब्लडप्रेशर में अचानक से कमी का आना, दिमाग में खून का सही तरह से प्रवाह न हो पाना, शरीर में पोषक तत्वों की कमी आदि चक्कर आने की मुख्य वजह होता है | अक्सर चक्कर आने का कारण शरीर में पानी की कमी हो जाना होता है | सामान्यतय पानी की कमी तब होती है जब आप पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं ले रहे होते हैं |
  • तेज चमक वाली रौसनी से आपका ध्यान भटक सकता है और चक्कर आने की समस्या गंभीर हो सकती है | किसी अँधेरे कमरे में बैठने या लेटने की कोशिश करें या एक या दो मिनट के लिए अपनी आँखे बंध कर लेनी चाहिए | 
  • अगर आपको चक्कर आते रहते हैं तो अचानक से कोई मूवमेंट नहीं करना चाहिए क्योंकि तेजी से मूवमेंट करने पर आपका ब्लडप्रेशर भयंकर रूप से बढ़ सकता है | आप जब भी उठे या बैठे तो अगर संभव हो तो आपको किसी मजबूत और स्थिर सतह को पकड़ के धीरे-धीरे और सतर्कता के साथ कोई भी हरकत करनी चाहिए |
उदहारण के लिए भूखे रहने पर आपको चक्कर आ सकता है, काफी तेजी से खड़े होने पर या बहुत गर्म पानी से नहाने पर भी आपको चक्कर आ सकता है | इसलिए चक्कर आने के कारणों का पता करके  आप पहले से ही चक्कर आने की समस्या का समाधान कर सकते है |

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Thursday, September 8, 2016

अस्थमा के कुछ बुनियादी का समस्या क्या है ?

अस्थमा का जीत :

           यहाँ आप जानेंगे अस्थमा के बारे में कुछ बुनियादी बाते । आप भी यह बात जान जाएंगे की अस्थमा पर जीत आसान है ।और आप यह जीत हासिल कर सकते है । अस्थमा पर जीत कितनी आसान है । हमें सिर्फ रोजाना अपनी दवा लेनी होती है जो मुझे बिलकुल ठीक रखती है । मगर मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं की एक लंबे समय तक मैं डॉक्टर के पास जाने से बचता रहा । मुझे खाँसी आती थी मगर क्योंकि इन दिनों बहुत बार लोग प्रदुषण या फ़्लू वगैरा की वजह से भी खाँसते हैं । अपने फेफड़ों में निचे दिया हुवा ऐसे दीखता हैं । यह डॉक्टर ने कुछ तस्वीरों और मॉडल्स की मदद से समझाया की अस्थमा होने पर यह होता हैं ।


             फेफड़ों के अंदर छोटी-छोटी हवा-नलिया (एयर ट्यूब्स) होती हैं जो ठीक तरह खुली होनी चाहिएँ जैसे यहाँ दिखाया गया है । मगर अस्थमा की वजह से यह हवा-नलियां बेहद संवेदनशील हो जाती हैं । अगर कोई चीज उनमे उत्तेजना पैदा करे तो उनमें अंदर से सूजन आ जाती हैं । और वो सिकुड़कर एक चिपचिपे पदार्थ जिसे " म्युकस" कहते है । यह ब्लॉक हो जाती हैं । इसलिए कभी-कभी साँस लेने में दिक्कत होती हैं ।

अस्थमा के रोगी के लिए क्या सावधानी बरते -
  • अस्थमा के रोगियो को अक्सर आम्लपित्त / एसिडिटी की तफलिफ होती है इसलिए चाय, कोफ़ी. तेल, गरम मसाला नहीं लेनी चाहिए | व्यायाम करने के 10 मिनिट पहले अपनी दवा लेनी चाहिए | अस्थमा वाले व्यक्ति को अकेले कभी व्यायाम नहीं करनी चाहिए | 
  • अस्थमा के दौरान के दरम्यान ठंडा पानी, आइसक्रीम, छाछ, ठंडे फ्रूटज्यूस इत्यादि नहीं लेनी चाहिए | ठंडे पानी से न नहाये या ज्यादा समय तक बालो को गिला ना रखे | सर्दी-जुखाम हलकी खाँसी, बुखार इनकी उपेक्षा ना करे | 
  • धुल, मिट्टी, ठंडी हवा गंध रसायन, सिगरेट-बीडी का धुवा,तंबाकू के संपर्क से बच कर रहना चाहिए | अस्थमा के अन्य कारणों से अपना बचाव करे | उदहारण के लिए ठंडी हवा, फूल के पराग कन प्रदूषित हवा, धुल, धुवा और अन्य | सर्दी-जुखाम या वायरल इन्फेक्शन होने पर कसरत नहीं करनी चाहिए |
  • अगर आपको एलर्जिक अस्थमा है तो घर के बाहर या जिस जगह पर धुल मिट्टी ज्यादा है वहा कसरत करने से बचना चाहिए | ठन्डे मौसम में घर के अन्दर व्यायाम करे या मुंह पर मास्क या स्कार्फ लगा कर व्यायाम करनी चाहिए | 
  • ठंडी के दिनों में हमेशा गरम कपडे पहने और थंड से अपना बचाव करे | AC के सामने ना सोये |
अस्थमा के रोगी के लिए दवा संबंधी जानकारी -

           हमेशा डॉक्टर द्वारा दी हुई पूरी दवाई ले. अस्थमा में दवाई हमेशा धीरे-धीरे कम की जाती है | डॉक्टर द्वारा दी हुई दवाई ख़त्म हो जाने पर डॉक्टर द्वारा निर्देशित तारीख पर फिरसे जाच कराने जाना चाहिए | अचानक दवा बंध करने से या डॉक्टर द्वारा बताते समय अनुसार दवा ना लेने पर अस्थमा दौरा फिरसे हो सकता है | डॉक्टर से कोई भी सवाल या समस्या पूछने से ना हिचकिचाए | कभी कभी डॉक्टरी सलाह मशवरे के बिना स्वयं मेडिकल से कोई भी दवा नहीं लेनी चाहिए |

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Sunday, September 4, 2016

गणेश चतुर्थी क्यों मनाया जाता है !

गणेश चतुर्थी महत्व :

        भारतीय संस्कृति के अनुसार संस्कारों में किसी कार्य की सफलता हेतु पहले उसके मंगला चरण या फिर पूजा देवों के वंदन की परम्परा रही है | सर्वप्रथम श्रीगणेश जी की वंदना व अर्चना का विधान है | इसलिए धर्म में सर्वप्रथम श्रीगणेश जी की पूजा से ही किसी कार्य की शुरुयात होती है | श्रीगणेश पूजा अपने आप में बहुत ही महत्वपूर्ण व कल्याणकारी है । चाहे वह किसी कार्य की सफलता के लिए हो या फिर चाहे किसी कामनापूर्ति स्त्री, पुत्र, पौत्र, धन, समृद्धि के लिए या फिर अचानक ही किसी संकट में पड़े हुए दुखों के निवारण हेतु हो । जो गणेश व्रत या पूजा करता है उसे मनोवांछित फल तथा श्रीगणेश प्रभु की कृपा प्राप्त होती है । पूजन से पहले नित्यादि क्रियाओं से निवृत्त होकर शुद्र आसान में बैठकर सभी पूजन सामग्री को एकत्रित कर पुष्प, धुप, दीप, कपूर, लाल चंदन, आदि एकत्रित कर क्रमशः पूजा करनी चाहिए । भगवान श्रीगणेश को तुलसी दल व तुलसी पत्र नहीं चढ़ाना चाहिए । उन्हें शुद्र स्थान से चुनी हुई दूर्वा को धोकर ही चढ़ाना चाहिए ।

     

         श्रीगणेशोत्सव की महारष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, आदि स्थानों में बड़ी ही धूम धाम होती है | भक्तगत यह ध्यान देते है की किसी भी पूजा के उपरांत सभी आवाहित देवताओं की शास्त्रीय विधि से पूजा-अर्चना करने के बाद उनका विसर्जन किया जाता है | किन्तु श्री लक्ष्मी और श्रीगणेश का विसर्जन नहीं किया जाता है | इसलिए श्रीगणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन करे, किन्तु उन्हें अपने निवास स्थान में श्री लक्ष्मी जी सहित रहने के लिए नियंत्रित करनी चाहिए | पूजा के उपरांत क्षमा प्रार्थना करें सभी अतिथि व भक्तो का व्यवहार स्वागत करनी चाहिए | और पूजा कराने वाले ब्राम्हण को संतुष्ट कर यथा विधि पारिश्रमिक दान आदि देनी चाहिए | उन्हें पप्रणाम कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर दीर्घायु, आरोग्यता, सुख, समृद्री, धन-ऐश्वर्य आदि को बढाने के योग्य बनें | श्रीगणेश भगवान को मोदक लड्डू अधिक प्रिय होते हैं इसलिए उन्हें देशी घी से बने मोदक का प्रसाद भी चाहिए | श्रीगणेश स्त्रोत से विशेष फल की प्राप्ति होती है | श्रीगणेश सहित प्रभु शिव व गौरी, नंदी, कार्तिकेय सहित सम्पूर्ण शिव परिवार की पूजा षोडशोपचार विधि से करना चाहिए | व्रत व पूजा के समय किसी प्रकार का क्रोध व गुस्सा न करें | यह हानिप्रद सिद्र हो सकता है | श्रीगणेश का ध्यान करते हुए शुद्र व सात्विक चित्त से प्रसन्न रहना चाहिए |

  • श्रीगणेश अनेक नामों से विख्यात विग्नेश्वर, विघ्न विनायक, रिद्धि के दाता भगवान गणेश सभी कार्यों में प्रथम पूजनीय है | इस से सभी परिचित है | 
  • तिथिषा वाहिंकौ गौरी गनेशोहिर्गुहो रवि: || वसुदुर्गंतको विश्वे हरी: काम: शिव: शशि: ||
  • प्रतिपदा तिथियों के अधिष्ठता क्रमश: इस प्रकाश है | तिथि तथा उनके स्वामी | अग्नि ब्रह्म गौरी गणेश सर्प कर्तिकेया सूर्य वसु दुर्गा काल विश्वेदेवा विष्णु कामदेव शिव चंद्रमा |
  •  चंद्र दर्शन सभी चतुर्थी पर, विशेष रूप से भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को निषिध माना जाता है | शास्त्रों व समाज में प्रचलित है की इस दिन चंद्र दर्शन करने से मिथ्या कलंक लगता है |
  • पुराणों में उल्लेख मिलता है की भगवान् कृष्ण को भी मिथ्या कलंक लगा था | द्वारिकवासी सत्राजित को सूर्य से एक मणि प्राप्त हुई. भगवान कृष्ण भी उस मणि को देख कर आकर्षित हुए थे | उन्होंने तो मजाक में यहाँ तक कह दिया था की यह मणि तो मुझे भी बहुत पसंद है |  कुछ समय के पश्चात सत्राजित को यह शंका हो गयी की भगवान कृष्ण ने ही वह मणि ली होगी. ऐसा मिथ्या कलंक भगवान को भी लगा |
  • दर्शन शास्त्र में कोई भी कार्य अकारण नहीं होता हमारे पूर्वज ऋषि मुनियों ने इस बात पता लगाया की ग्रहों की स्तिथि के अनुशार ही व्यक्ति का मन (मुड) बदलता रहता है |
  • ज्योतिष की गणना के अनुसार भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को सूर्य के जो त्रिभुज कक्षा बनती है उसे षडाषटक, नवपंचम और द्रविरद्वादश दोष बनता है | जिस कारण भी इस दिन चंद्र दर्शन करने से मिथ्या कलंक लगना स्वाभाविक है क्योकि हमारा मन और आत्मा दोनों पर कंट्रोल नहीं होता |                                                                                                                                                   यह आपको पढ़कर अच्छा लगा हो तो अपने मित्र या ग्रुप में अवश्य शेयर करे | स्वास्थ्य के लिए अधिक    जानकारी  www.jangaltips.blogspot.in  पे क्लिक करो या गूगल पर टाइप करो | यदि आपके  पास      स्वास्थ्य के बारे में अधिक जानकारी है तो हमारी                                                             E-mail Id है : jangaltipsin2015@gmail.com पर भेज सकते है Thanks.

गर्मी के बाद बारिश का शरीर को क्या लाभ मिलती है |

 बारिश के लाभ :           गर्मी के बाद बारिश बहुत ही सुकून देती है | बारिश का इंतज़ार हर किसी को रहता है | बारिश के पानी का लाभ सभी को ...