Sunday, January 31, 2016

अनार और सिल्के में छिपा है : श्रेष्ठ गुण और लाभ

अनार और सिल्का : श्रेष्ठ गुण और लाभ
        अनार  खाने से स्वास्थ्य के लिए लाभ मिलता है | स्वाद भी टेस्टी अनार में विटामिन ( A, C, E, ) और फोलिक एसिड के साथ भरपूर मात्रा में ऐन्टीओक्सीडेंट होती है | अनार का दाम ज्यादा होने के कारन जादातर लोग खाते नहीं है | अनार के अन्दर का दाने गुण-गुण भरपूर मात्रा में होता है | अनार को अनेक बीमारी को दवा के रूप में भी माना जाता है |


अनार को खाने से स्वास्थ्य का लाभ

        अनार पेट की समस्या और गभराहट को दूर करता है | अनार स्वरतंत्र, फेफड़ा, लीवर, हदय, जठर और आंतरडा के बिमारिओ में बहुत लाभ मिलता है | अनार ऐन्टी-वायरल और ऐन्टी-ट्यूमर जैसे तत्व भी देखने मिलती है | मात्र अनार ही नहीं छोड़ भी बहुत उपयोगी होता है | अनार के सिल्के भी लोग नही कामका है इस कारन फेक देते जो लोग सिल्के खाते है लाभकारक साबित होती है |
  • अनार के रस पीनेसे साथी में जलन कम होती है | और मूत्रपिंड में गरमी दूर हो जाता है | जठर में चांदा रूज़ जाती है |अनार का रस नियमित पिने से शरीर का मेद ( जाड़ा पण ) कम होती है | आंतरडा में जलन दूर होती है अनार खाने से चेहरे पे ताजगी लाल दिखती है और ब्लड में सुधार देखने मिलती है |
  •  ऐन्टीओक्सीडेंट होता है जिसमे मुँह पे खिल और संक्रमण दूर करने के लिए मदद होती है | इसके लिए अनार का सिल्के को धुप में सुकाना और तवे पे गरम करके पाउडर बनाकर ठंडा होने के बाद पानी में मिक्ष करके चेहरे पे लगाना है | इसी से मुँह पे खिल दूर हो जाता है |
  • पाचनक्रिया सबंधी सभी समश्या का निवारण एक अनार से उपयोग होता है, अनार का सिल्का या पत्ता का पाउडर बनाकर नियमित पिने से पाचनक्रिया सबंधी का समस्या दूर हो जाता है |
  • सुका हुवा अनार के सिल्के का चूर्ण दिन में २-३ बार एक -एक चम्मच पीनेसे बारबार पेशाब आनेकी समस्या दूर हो जाती है | अनार की सिल्के का पानी में उबाल कर गरारा करने से मुँह में दुर्गन दूर हो जाता है, जिस महिला को मासिक में जादा ब्लीडिंग होता है उसे अनार का छिलके सुकाकर पाउडर बनाकर के एक चम्मच पानी के साथ पीना है । 
  • जब बुखार आता है मुँह का स्वाद बिगड़ जाता है तभी अनार का दाना रस निकाल कर पीनेसे अच्छा रहता है । अनार के पत्ते का चा बनाकर पिने से पाचन सबंधी में राहत मिलती है । जाडा , उलटी होता है तभी यकृत रोगों में अनार का रस लाभ मिलती है ।
  • एक महिना हररोज नियमित रूप से अनार का ज्यूस पिने से पेट के आसपास ज्यादा चरबी भेंगा हुवा  है वो धीरे धीरे काम हो जायेगा । अनार का ज्यूस पिने से ब्लडप्रेशर की बीमारी नियंत्रण में रहता  है । 

Monday, January 25, 2016

योगासन के विधि : मयूरासन भाग ५

योगासन : मयूरासन  

          इस मयूरासन आसन में अर्थात् मोर की आकृति बनती है, इसे मयूरासन कहा जाता है |
 मयूरासन का विधि कैसे करे |


      यह घुटनों के बल बैठ जाएँ | थोडा आगे झुककर दोनों कोहनियों को मिलकर हथेलियों को जमीन पर टिका दें | कलाइयों में एक-डेढ़ इंच का फासला रखें | सिर को आगे की और झुकाकर नाभि को कोहनियाँ पर ले आएँ | हाथों को मजबूती से जमाए रखिए | अब धीरे-धीरे शरीर को कोहनियों पर संतुलित करते हुए टाँगें पीछे की ओर फैला दें | अब श्वास भरते हुए आगे से चेहरा और पीछे से पैर जमीन से उठाकर दोनों कोहनियों पर जमीन के समानांतर कर शरीर का संतुलन करें | कुछ क्षण इस स्थिति में रुकें | वापस आते समय पैर भूमि से लगाएँ , कोहनियाँ हटा दें और पीठ के बल लेटकर शवासन करें | अभ्यास होने तक 1-2 मिनट तक करें |

       मयूरासन के लाभ 

     १.  समस्त उदर रोगों का अच्छा उपचार साधन है | पाचनशक्ति को तीव्र बनता है |

     २.  वात, पित्त, कफ से उत्पन्न होने वाले रोगों में लाभकारी है |

     ३.  रक्त अशुद्धि दूर करता है |

     ४.  पेट का ट्यूमर, जलोदर, तिल्ली, लीवर की वृद्धि उदर वात आदि रोगों में शीघ्र लाभ पहुँचाता है |  

Saturday, January 23, 2016

गणतंत्र दिवस 26 जनवरी : क्यों मनाया जाता है ।

26 जनवरी गणतंत्र दिवस  :
          प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को देश भर में  गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है । क्योंकि इसी दिन सन 1950 को देस भर में संविधान लागु किया गया था । गणतंत्र दिवस एक राष्ट्रीय पर्व है जिसे पूरा भारत वर्ष में एक जुट हो कर मनाया जाता है । इस दिन राजपथ दिल्ली में एक विशेष परेड का आयोजन किया जाता है । इसी दिन अलग अलग राज्यो से प्रोग्राम किया जाता है । जो की राष्ट्रपति भवन राजपथ से होते हुए इंडिया गेट को जाती है । गणतंत्र ( गण + तंत्र ) का अर्थ है जनता का तंत्र जो की लोकतंत्र की सामान्य परिभाषा भी है ।

 
     

         गणतंत्र दिवस २६ जनवरी को ही मनाया जाता है | सन १९२९ के दिसंबर में लाहौर में कांग्रेस का अधिवेशन जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में हुआ था | जिसमें प्रस्ताव पारित कर इस बात की घोषणा की गई कि यदि अंग्रेज सरकार २६ जनवरी १९३० तक
भारत को डोमिनियन  स्टेट घोषित नहीं करेगी तो भारत अपने आप को पूर्णत: स्वतंत्र घोषित  कर देगा | २६ जनवरी १९३० तक जब अंग्रेज सरकार ने कुछ नहीं किया तब कांग्रेस ने उस दिन भारत की पूर्ण स्वतंत्रता के निश्चय की घोषणा की और पूर्ण स्वराज्य के लिए एक सक्रीय आंदोलन का आरंभ किया | २६ जनवरी का महत्व बनाये रखने के लिए सर्वसम्मति से यह प्रस्ताव पास हुवा की २६ जनवरी को भारत गणतंत्र दिवस के रूप में प्रत्येक वर्ष मनाएगा | साथ ही साथ २६ जनवरी की महत्ता इस बात से भी बढ़ जाती है | क्योकि इसी दिन २६ जनवरी १९५० को देस का संविधान जो की विश्व का सबसे बड़ा लिखित संविधान है | जिसके अस्तित्व में आने पर भारत वास्तव में एक सम्प्रभु देश बना | यह दिन उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान के लिए सन्मान दर्शाता है | इस दिन हम सब उनके बलिदानों को याद कर के उन्हें भावांजलि देते है |

26 जनवरी के दिन गणतंत्र पर समारोह : -
       26 जनवरी को सर्वप्रथम भारत के राष्ट्रपति द्वारा भारतीय ध्वज दिल्ली के लाल किले पर फहराया जाता है | और उसके बाद सामूहिक रूप से राष्ट्रगान गाया जाता है | इस अवसर पर हर साल एक परेड इंडिया गेट से राष्ट्रपति भवन तक आयोजित की जाती है | जिसमें भारतीय सेना के विभिन्न अंग जैसे नौसेना, जलसेना, वायुसेना भाग लेते है | इसी दिन परेड प्रारंभ करते हुए प्रधानमंत्री असम जवान ज्योति ( सैनिकों के लिए स्मारक ) पर पुष्प माला डाल कर श्रद्दांजलि अर्पित करते हैं |
     राष्ट्रपति अपने अंगरक्षकों के साथ १४ घोड़ो की बग्घी में बैठकर इंडिया गेट पर आते है जहाँ प्रधानमंत्री उनका स्वागत करते है | राष्ट्रीय धुन के साथ ध्वजारोहण करते हैं | उन्हें २१ तोपों की सलामी दी जाती है, हवाई जहाजों द्वारा पुष्पवर्षा की जाती है | आकाश में तरंगे गुबबारे और सफ़ेद कबूतर छोड़े जाते हैं | भारत की अलग अलग राज्यों की संस्कृति, विशेषता, उनके लोग गीत, कला और विशेषता को परेड में झाँकियों के रूप में दिखाया जाता है | इस परेड को पुरे भारत में उसी समय सभी टेलीविजन और रेडियो पर भी दिखाया जाता है |
     २६ जनवरी को पावन पर्व आज भी हर दिल में राष्ट्रीय भावना की मशाल को प्रज्वलित कर रहा है | तिरंगा लहराता हुवा सभी जगह पे जोश का संचार कर रहा है | सभी जगह पर खुशियों का सौगात है | किसीने कहा है की सच कण - कण  में सोया सहीद, पत्थर - पत्थर में इतिहास है | ऐसे ही अनेक देशभक्त की शहादत का परिणाम है | हमारा गणतान्त्रिक देश भारत है | आइये हम सब मिलकर उन सभी अमर बलिदानियों को अपनी भावांजलि से नमन करते हैं |
   
      

Thursday, January 21, 2016

चेहरा (मुँह) बार बार धोने की आदत : इतना सावधान रखना

चेहरा बार बार धोना : 
      आजकल के लोग बारबार चेहरा धोते है । क्या हम बार बार धोते है तो चेहरा बराबर साफ न करने से मुँह (चेहरा) पे टेम्पल, करचलि या चीरा पड़ जाता है । और चहेरा त्वचा सबंधी के अनेक समस्या  पैदा होती है । इसी कारण से हम आपको चेहरे को क्या क्या ध्यानमे रखना है । क्या ध्यान रखना है उसी बारे में  बताया गया है ।
चेहरा धोते समय यह भूल न करना है |



       चेहरा धोने से पहले हाथ धोना आवश्यक है । उनके बाद चेहरा धोना है हाथ में गंदगी या बेक्टेरिया चेहरे पे न लगना चाहिए इसी लिए हाथ पहेले धोना है । और ठंडा पानी से चेहरा धोनेसे ठंडक मिलती है । और चेहरा धोने के लिए बरफ का टुकड़ा किसी बोटल या बड़ी ग्लास में रखे वो पिगलने के बाद चेहरा अच्छे से धोना है । आजकल के ज़माने में लोग चेहरा बार बार धोते है । चहेरा बार बार धोने से गंदगी दूर होती है और चमकेलि होती है ये लोग मानते परंतु ऐसा बिलकुल नहीं है । चेहरे को बार बार धोने से चेहरे की स्किन पतली होती और चेहरा फट जाती  है

खोटे क्लिंज़र का उपयोग 
        नवसेका पानी से चेहरा धोनेसे रुक्षता आता नहीं चेहरा पोर्स खिलते और त्वचा बहुत अच्चे से साफ होता है । उनके बाद दिन में दो बार गरम पानी मे हल्का नमक डालके थोडा ठंडा होने के बाद धोने से त्वचा अच्छा रहता है । धोने के बाद अच्छा रुमाल या टुवाल से धीरे धीरे साफ करना है ।

सोने से पहले चेहरा धोए ।
    रात में सोने से पहले चेहरा धोना है | बिना धोए सोना नहीं ऐसे करने से चेहरा, त्वचा नुकशान पहुचता है | क्यों की पूरा दिन का चेहरे पे धुल, मिटटी के कीटाणु आता और बिना धोने से सोते है तो त्वचा को नष्ट कर सकता है | सोने से पहले चेहरे धोए और त्वचा को मोइसर करना है |
नमक का पानी एक अच्छा एन्टीबेकटेरियल सोल्यूसन होता है | ये मिश्रण से चेहरा धोने से फायदा होता है | उसे चेहरे पे डाग के समस्या कम होती है |

चेहरा धोते समय जादा घिशना नहीं |
    जादातर लोग चेहरा को धोते समय जादा घिसते है | उसी कारण से चेहरा त्वचा को नुकसान होता है | चेहरा धोते समय जादा घिसकर धोना नहीं | यह ठंडी के दिन ज्यादा ध्यान रखना चाहिए | चेहरा धोने के बाद मोइसर क्रीम या  लोशन लगाना है | इस कारण से चेहरा नरम हो और त्वचा को रुक्ष होता नहीं |
   
  

Tuesday, January 19, 2016

योगासन के विधि : चक्रासन भाग ४

योगासन : चक्रासन 
      इस योगासन के आसन में शरीर की स्थिति चक्र जैसी बनती है, और उसे चक्रासन कहा जाता है |
इस आसन में सीधे लेट जाना है | उनके बाद दोनों टाँगों को घुटनों तक इकटठा करें और एडियाँ नितंबों से लगा दें | पैरों में थोडा-सा फासला रखें | अब हाथों को कंधो के बराबर इस प्रकार रखें |की हथेली निचे की और उगलियों का रुख पैरों की और हो | अब पहले कमर को ऊपर उठाएँ और घुटनों को थोडा आगे ले जाएँ | फिर हाथो और पैरो पर दबाव डालते हुए पीठ को ऊपर उठा दें और शरीर का चक्र बनाकर हाथों और पैरों पर संतुलन करें | गर्दन पीछे लटकी हुई, पैर का पंजा व पूरी हथेली जमीन पर, पेट को जितना ऊपर उठा सकते है, उठाएँ | इस आसन में हाथों और पैरों में जितना कम फासला होगा, आसन उतना ही अच्छा होगा |



              ये चक्रासन का क्या क्या लाभ है -   

  •   पुरे शरीर को विशेषकर कमर को लचीला व मजबूत बनाने का एक श्रेष्ठ आसन है |
  •   समस्त उदर रोगों का नाश कर पाचन-शक्ति को तीव्र करता है और कठिन कब्ज को हटाता है |
  • इस आसन का अभ्यास करने वाले की कमर बुढ़ापे में कभी भी न झुकने वाली होती जाती है | मेरुदंड लचीला, स्वस्थ तथा मजबूत बनता है |
  • इस आसन से पैर के पंजे, टखने, पिंडली, घुटने, पेट, पीठ, कंधे, हाथ, गर्दन आदि समस्त जोड़ो बंधनों व मासपेशियों का अच्छा व्यायाम हो जाता है |
  • इस आसन के निरंतर अभ्यास से चहरे की झुर्रियाँ तथा शरीर की चमड़ी में सिकुडन नहीं पड़ने पाती | बालों का कालापन, चेहरे पर चमक और कांति तथा आकर्षण बना रहता है | 

Sunday, January 17, 2016

ठंडी में जादा चा-कोफ़ी हानिकारक हैं |

ठंडी में जादा चा - कोफ़ी :
        ठंडी में गरमाहट करने के लिए जादातर लोग चा-कोफ़ी सेवन जादा करते हैं | इस कारण ऑफिस में बैठकर काम करनेवाले लोग चा-कोफ़ी जादा प्रमाण में लेते हैं | किंतु ठंडी में जादा चा-कोफ़ी हानिकारक हैं | जादा चा-कोफ़ी लेने से शरीर को कोफीन और सुगर के मात्रा बढ़ जाती हैं | यह प्रमाण अन्य बिमारीको आमंत्रण करता हैं |


       गरम पीनेसे चा-कोफ़ी के सिवाय अन्य ऑप्शन भी हैं | इस के जगह पे गरम दूध, ग्रीन टी के समयांतर गरम पानी पिने के लिए रखे | ठंडी में जादातर लोग धुप में बेठने के लिए पसंद करते हैं | किंतु धुप में जादा बेठने से अल्ट्रावायोलेट किरण शरीर को हानिकारक हो सकता हैं | स्किन को सुरक्षित करना एक मेलनिन नामका एक तत्व का प्रमाण कम हो जाता हैं | इसीलिए थोडा धुप भी हमारा त्वचा को बर्न करता हैं |

      ठंडी में हवा जादा आता हैं | इसीलिए जादातर साम और रात को बहार निकलना नहीं |  और निकलना पड़ा तो नाक या चेहरे को दू पट्टा से बाध कर निकलना है | ठंडा वातावरण में जादातर स्वाइन फ़्लू और देंग्गु के वायरल जादा एक्टिव होता है | इस कारण इतना सलामत रखना आवश्यक हैं | ठंडी में दिन छोटा और रात लंबी होती हैं | इस कारण लोग देर तक सोते रहते हैं | बहार की ठंडी बेड (पथारी ) से उठने देती नहीं | किंतु जादा आराम दिन पे हेल्थ को प्रोब्लम होता हैं |

Friday, January 15, 2016

पोलियो की रोकथाम : और समाधान

पोलियो : 
         बच्चों में पोलियो विश्वव्यापी बीमारी है | यह बीमारी एक वायरस के द्रारा फेलती है जो बच्चो को अपना शिकार बनाती है | वायरस एक बहुत ही सुक्ष्म जीव होता है | जो इस बीमारी के लिए जिम्मेदार है | यह वायरस एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति में अशुद्र भोजन एवं जल के द्रारा फेलता है |

         जब एक बच्चा अशुद्र भोजन या जल का सेवन करता है तो मुँह के द्रारा यह वायरस उसके सरीर में प्रवेश कर जाता है और पेट में तिव्र संख्या में बढ़ता जाता है | फिर ये वायरस पेट की रक्त धमनियों के माध्यम से रीढ़ की हड्डी में प्रवेश कर जाते है, तब ये सरीर की क्रिया को नियंत्रित करने वाली नाड़ियो को विकृत कर देते है और  बच्चा हमेशा के लिए अपंग हो जाता है | 
         पोलियो दो प्रकार का होता है - रीढ़ का पोलियो फेफड़ों को प्रभावित करता है और बच्चे को शरीरिक रूप से अपंग बना देता है | यह ठीक होने में छह दिन से लेकर छह माह तक का समय लेता है | बलवर पोलियो का प्रभाव दिमाग पर पड़ता है | यह गले तथा जीभ को अशक्त कर देता है और श्वसन की पेशियों को प्रभावित करता है | इसे ठीक होने में छह साल का समय लग जाता है | कई केसों में इसके कारण मौत भी हो जाती है | 
           रोकथाम :
  • बच्चों को हमेशा गंदी या धरती पर बार बार गिरी चीज खाने से रोकें | 
  • शिशु को टटटी -पेशाब से खेलते तथा लिथाड़ने से रोकें | अपनी देखरेख में कराकर धोकर स्वच्छ कर देनि चाहिएं |
  • अपने घर के आस पास जहाँ बच्चे खेलते है तथा घर के अंदर आँगन कमरे के फर्श को भली प्रकार साफ सुथरा रखना चाहिएं |
  • बच्चों को टटटी पेशाब के बाद साबुन से हाथ धोने की आदत डालें | 
  • बच्चों को खिलोने मुँह में न डालने देना | ध्यान न देने पर कई बार बच्चे मुँह से निकली टोंफी फल का टुकड़ा या केला उठाकर मुँह में रख लेते है | इससे भी पोलियो का वायरस बच्चे में प्रवेश कर सकता है समाधान :
  • बच्चो को किसी प्रकार के दुसरे इंजेक्शन आदि न लगवाएँ बल्कि दवाइयों से भी दूर रखें | 
  • बच्चों को पोलियो से बचाने के लिए एकमात्र उपाय पोलियो वैक्सीन यानी पोलियो का टीका ही है | दस वर्ष से कम आयु के बच्चों को यह वैक्सीन देनी चाहिए |
  • बच्चे को ज्यादा से ज्यादा स्तनपान कराएँ क्योंकि माँ के दूध में पोलियो से बचाने वाले तत्व होते हैं | यह ध्यान रहे की आठ मास से पहले बच्चे को पोलियो प्राय : नहीं होता है | इसका कारण यही की उसके अंदर माँ के दूध द्रारा प्राप्त रोग प्रतिरोधक शक्ति पर्याप्त मात्रा में होती है |
  • सरकार की ओर से देस को पोलियो मुक्त करने के लिए पल्स पोलियो अभियान चलाया जा रहा है | दो बूंद जिंदगी की नाम से यह दवा रविवार को मुक्त पिलाई जाती है | अपने बच्चों को दवा अवश्य पिलवाएं | यह माता पिता का प्रथम कर्तव्य है |                                                                                                          पोलियो विभिन्न नसों एव पेशियों को हनी पहुचता है | पोलियो के आक्रमण के बाद जिन नसों और पेसियो की कम क्षति होती है, वे ठीक हो जाती हैं | जो पेशियाँ मृतप्राय हो जाती है, वे बिलकुल ठीक नहीं हो पातीं इस कारण वह अंग बिलकुल क्रियाहीन हो जाता है |




Tuesday, January 12, 2016

योगासन के विधि : वज्रासन भाग ३

योगासन : वज्रासन 
       वज्रासन में पाचनशक्ति, वीर्य शक्ति तथा स्नायुशक्ति देने वाला होने से यह आसन वज्रासन कहा जाता है | बिछे हुए आसन पर दोनों पैरों को घुटनों से मोड़कर दोनों एडिओं पर बैठे जाएँ | पैर के दोनों अंगूठे परस्पर लगे रहें | पैर के तलुवों के ऊपर नितम्ब रहें | कमर और पीठ बिलकुल सीधी रहे, दोनों हाथ को कुहनियों से मोड़े बिना घुटने पर रख दें | हथेलियाँ निचे की और रहें, दृष्टि सामने स्थिर कर दें |


        पाँच मिनट से लेकर १/२ घंटे तक वज्रासन का अभ्यास कर सकते हैं |
वज्रासन के लाभ  : -


  • वज्रासन के अभ्यास से शरीर का मध्य भाग सीधा रहता है | श्वास की गति मंद पड़ने से वायु बढती है | आँखों की ज्योति तेज होती है | वज्रनाडी अर्थात विर्यधारा नाडी मजबूत होती है | वीर्य की उध्र्वगति होने से शरीर वज्र जैसा बनता है |  
  • मन की चंचलता दूर होकर व्यक्ति स्थिर बुद्धिवाला बनता है | शरीर में रक्ताभिसरण ठीक से होकर शरीर निरोगी एवं सुन्दर बनाता है | 
  • भोजन के बाद इस आसन में बैठने से पाचनशक्ति तेज होती है भोजन जल्दी हजम होता है, पेट की वायु का नाश होता है | कब्ज दूर होकर पेट के तमाम रोग नष्ट होते हैं | पोण्डुरोग से मुक्ति मिलती है | रीढ़, कमर, जाँघ, घुटने और पैरो में शक्ति बढती है | कमर और पैर का वायु रोग दूर होता है | स्मरण शक्ति में वृद्धी होती है |
  • स्त्रियों के मासिक धर्म की अनियमितता जैसे अनेकों रोग दूर होते है | शुक्रदोष, विर्यदोश, घुटनों का दर्द आदि का नाश होता है | स्नायु पुष्ट होते हैं | स्फूर्ति बढ़ाने के लिए एवं मानसिक निराशा दूर करने के लिए यह आसन उपयोगी है | ध्यान के लिए भी यह आसन उत्तम है |

Monday, January 11, 2016

मकर संक्रान्ति क्यों मनाते है : संबंधी और पौराणिक

मकर संक्रान्ति : संबंधी और पौराणिक महत्व

           मकर संक्रान्ति साल का पहेला त्यौहार है | इस साल का १४ जनवरी को मकर संक्रान्ति त्यौहार मनाया जाएगा | हमें यह त्योहार अच्छा लगता है | यह त्योहार बहुत से लोग इस त्योहार को मनाने का कारण नहीं जानते है | आज हम आपको बताएँ की य त्योहार क्यों मनाया जाता है | क्यों की यह त्योहार पुरे देश में कैसे मनाया जाता है |


        मकर संक्रान्ति हिन्दुओ का पवित्र त्योहार में से एक है तथा भारत के लगभग सभी भागों में यह त्योहार १४ जनवरी को मकर संक्रान्ति मनाया जाता है | यह एक फसल का त्योहार है | इसे विभिन्न सांस्कृतिक रूपों में बहुत श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है | यह त्योहार जो प्रतिवर्ष एक ही तारीख १४ जनवरी को मनाया जाता है | परंतु यह त्योहार कभी कभी १३ जनवरी या १५ जनवरी को भी मनाया जाता है | मकर संक्रान्ति का त्योहार संक्रमणकालीन चरण माना जाता है | जब सूर्य धनु राशी से मकर राशी में प्रवेश करता है | मकर संक्रान्ति स्वयं को आत्मप्रकाशित करने का प्रतिक है | इसे कृतग्नता प्रकट करने के दिवस के रूप में भी जाना जाता है |        मकर संक्रान्ति हिन्दुओ का पवित्र त्योहार में से एक है तथा भारत के लगभग सभी भागों में यह त्योहार १४ जनवरी को मकर संक्रान्ति मनाया जाता है | यह एक फसल का त्योहार है | इसे विभिन्न सांस्कृतिक रूपों में बहुत श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है | यह त्योहार जो प्रतिवर्ष एक ही तारीख १४ जनवरी को मनाया जाता है | परंतु यह त्योहार कभी कभी १३ जनवरी या १५ जनवरी को भी मनाया जाता है | मकर संक्रान्ति का त्योहार संक्रमणकालीन चरण माना जाता है | जब सूर्य धनु राशी से मकर राशी में प्रवेश करता है | मकर संक्रान्ति स्वयं को आत्मप्रकाशित करने का प्रतिक है | इसे कृतग्नता प्रकट करने के दिवस के रूप में भी जाना जाता है |

मकर संक्रान्ति का महत्व और पौराणिक का महत्व  :
       मकर संक्रान्ति का महत्व त्योहार इसके नाम में ही छुपा हुआ है | मकर का अर्थ है मकर राशि और संक्रान्ति का अर्थ है संक्रमण | इस दिन सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है | १२ महीने बारह राशियों के लिए हैं | सूर्य के सभी संक्रमणों में से यह संक्रमण जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते है, सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है की मकर संक्रान्ति के दिन से दिन थोड़े गर्म और थोड़े बड़े होने लगते हैं फिर धीरे धीरे ठण्ड कम होने लगती है |

  • पुरानों के अनुसार इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि के घर आते हैं जो मकर राशि के घर धनु का स्वामी है | पिता और पुत्र दोनों में कभी नहीं बनती परंतु फिर भी मतभेदों के बावजूत पिता सूर्य पुत्र शनि के घर जाते हैं और वहां एक महिना रहते हैं |
  • मकर संक्रांति के दिन से देवताओं के दिन प्रारंभ होते है | राजस्थान में एक शब्द "मलमास " का प्रयोग किया जाता है, एक ऐसा महिना जब कोई भी शुभ कार्य नहीं किये जाते है | मकर संक्रान्ति का दिन मलमास की समाप्ति का प्रतिक है |
  • मकर संक्रान्ति के दिन भगवान विष्णु ने नकारात्मक शक्तियों (असुरों ) को ख़त्म किया था | भगवान विष्णु ने असुरों के सिरों को मंदार पर्वत के निचे दफनाया था | यह दिन नकारात्मक शक्तियों की समाप्ति और नए नैतिक जीवन के प्रारंभ का दिन है |
  • महाभारत में भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था तथा उनहोंने मकर संक्रान्ति के दिन प्राण त्यागने का निर्णय किया | मकर संक्रान्ति के दिन तक बाणों शैय्या पर लेटे रहे | उनकी आत्मा ने इसी दिन उनके शरीर को छोड़ा था | ऐसा माना जाता है की वे लोग जिनकी मृत्यु उत्तरायण के दौरान होती है उन्हें मुक्ति मिलती है अर्थात वे स्थानांतरगमन के चक्र से मुक्त हो जाते हैं |

       

Saturday, January 9, 2016

योगासन के विधि : पदमासन भाग २

योगासन : पदमासन

         इस आसन में फोटो निचे दिया गया है की  पैरों का आधार पर पद्म या अर्थात् कमल जैसा बनने से ये योगासन विधि को पदमासन या कमलासन भी कहा जाता है |


         हम यहापे कैसे आसन करते है उसी विधि को हम बताते है | आसन के उपर बैठ जाये | रेचक करते- करते दाहिने पैर को मोड़कर बाई जंघा पर रखें | यह होने के बाद बाएँ पैर को मोड़कर दाहिनी जंघा पर रखें | पैर के तलुवे ऊपर की और एड़ी नाभि के नीचे रहे, घुटने जमीन से लगे रहने दें | और उनके बाद सर, गर्दन, छाती, आदि पूरा भाग सीधा और तना हुवा रहने दें | और दोनों हाथ दोनों घुटनों के ऊपर ग्नान्मुद्रा में रहें | और बायें हाथ को गोद में रखें | हथेली ऊपर की ओर रहे | उसके ऊपर उसी प्रकार दाहिना हाथ रखें | दरुष्टि को एकाग्र बनायें |

   आसन के लाभ  
  •  अभ्यसपूर्वक यह प्राणायाम के आसन करने से नाड़ीतंत्र शुध्द होकर आसन सिध्द होता है | विशुद्ध नाडी तंत्र वाले योगी के विशुद्ध शरीर में रोग की छाया तक नहीं रह सकती |                                                             
  • उत्साह में वृद्धि होती है, स्वभाव में प्रसन्नता बढ़ती है, मुख तेजस्वी बनता है बुद्धि का अलौकिक विकास होता है |                                                                                                                                                      
  • बौद्धिक मानसिक कार्य करने वालों के लिए चिन्तन मनन करने वालों के लिए एवं के विद्यार्थियों लिए एंव वीर्य रक्षा के लिए यह आसन अद्धितीय है ।                                                                                               
  • मानसिक कार्य करने वालों के लिए, चिंतन-मनन करने वालों के लिए एवं विधार्थियो के लिए यह आसन खूब लाभदायक है | चंचल मन को स्थिर करने के लिए एवं वीर्य रक्षा के लिए यह आसन अद्रीतीय है |


        

Thursday, January 7, 2016

योगासन के विधि : त्रिकोणासन भाग १

योगासन : त्रिकोणासन 
         त्रिकोणासन के विधि सीधे खड़े होकर पैरों के बीच डेढ़ फीट का फासला कर लीजिए | बाएँ हाथ को बाएँ टॉच के साथ रखते हुएँ श्वास छोड़ते हुए निचे की ओर इस प्रकार झुकें क़ि आपकी टॉगें न मुड़ें । हथेली जमीन पर पैर के बाई ओर आ जाए और जमीन को छुए । दाया हाथ ऊपर आसमान की तरफ उठाएँ तथा की हथेली की तरफ ऊपर देखें । फिर धीरे धीरे वापस पहली स्थिति में आ जाएँ । वापस आकर अपने दोनों हाथों को ऊपर निचे खींचे । यही क्रिया बायाँ हाथ ऊपर करके दायीं ओर भी करे ।



        त्रिकोणासन का फायदा ( लाभ ) :-

  • गले के तंतुओं और ग्रंथियो का व्यायाम होता है |                                                                                                                      
  • मेरुदंड की पेशियों और स्नायुओं पर खिंचाव पड़ने से लचक पैदा होती है | कमर को मजबूत होने में सहायता मिलती है |                                                                                                                                        
  • बड़ी ऑत, जिगर तथा तिल्ली पर लाभदायक प्रभाव पड़ता है |

Monday, January 4, 2016

आँख की ज्योति कैसे बढ़ाएँ

 आँख की ज्योति कैसे बढ़ाएँ : 
        आँखों की सुरक्षा के लिए उनकी उचित देखभाल जरूरी है । मल -मूत्र, छींक आदि वेगों को कभी रोकना नहीं चाहिए ।



       
  उपाय : कई अन्य उपाय ऐसे हैं जिनके उपयोग से आँखें स्वस्थ रहती हैं । जैसे मस्तक पर चंदन आँखों के लिए फायदेमंद होता है | मुँह में ठंडा पानी भरकर आँखों  पर पानी के छोटें मारना भी लाभकारी होता है | टहलना स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है,परंतु-सुबह हरी घास पर नंगे पैर टहलना आँखों  को विशेष रूप से लाभ पहुंचाता है,साथ ही प्राकुतीक हरियाली निहारने से आँखों को ठंडक मिलती है |

      १) प्रतिदिन बालों में तेल लगाना,नाक और नाभी में तेल लगाना  आँखों के लिए लाभकारी होता है | इसके लिए नारियल,सरसों या तिल के तेल प्रयोग किया जाना चाहिए |

     २) मक्खन में मिश्री मिलाकर खाने से भी  आँखों को शक्ति मिलती है | रात को सोते समय पैरों के तलवों में तेल लगाना  आँखों के लिए अच्छा होता है |

     ३) भोजन से पहले मल-मूत्र त्याग करना तथा सोते समय हाथ-पैर घोकर सोने से भी  आँखों को रोग मुक्त रखने में मदद मिलती है |

      ४)  आँखों को निरोग रखने में त्रिफला का चूर्ण भी कारगर है | हरड, बहेड़ा  आँखों आँवला मिलकर यह चूर्ण बनाया जाता है | दो चम्मच चूर्ण रात को एक गिलास पानी में भिगोकर सवेरे उस पानी से  आँखों धोने से  आँखों की छोटी-मोटी परेसानी स्वयं ही दूर हो जाती है |
     

Saturday, January 2, 2016

पीठ का दर्द उपचार : कैसे बैठे और कैसे खड़े हों

पीठ का दर्द उपचार : 
         लगभग पीठ का दर्द हर आदमी को जीवन के दौरान कभी न कभी होता है । जिससे वह परेशान रहता है । सच तो यह है कि पीठ दर्द भाग- दौड़ से भरी आधुनिक जीवन शैली का आधुनिक उपहार है । अनजाने में यह हमारे द्वारा बुलाया गया मेहमान है ।


     
       वास्तव में सरीर के इस दर्द की वजह रीढ़ की हड्डी व उससे जुडी मांसपेशियां है जिनमें गलत ढंग से बैठने खड़े होने और लेटने के समय आवश्यकता से अधिक दबाव पड़ने से दर्द होने लगता है ।
       आमतौर पर 40 वर्ष की आयु के बाद रीढ़ की हड्डीयों का क्षरण शुरू होना जाता है । हड्डियों में केल्शियम और अन्य खनिज पद्धार्थों की कमी से मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं । रीढ़ की हड्डी चोट दबाव व् किसी भी प्रकार के कारण तनावग्रस्त होती है उसमे तकलीफ होती है । इसके अलावा पोषक तत्वों की कमी लंबी बीमारी आदि कुछ कारणों से भी पीठ का दर्द होता है ।

      कैसे बेठना है : 
      ऊँची एड़ी के चप्पल व सेंडिल ज्यादा समय तक नहीं पहनें इससे मांसपेशियों पर आवश्यकता से अधिक दबाव पड़ता है । हमेशा कुर्शी की पीठ से अपनी पीठ सटाकर ही बेठना चाहिए । कुछ भी लिखते पढ़ते समय हमारी गरदन और सिर आगे की ओर झुके होने चाहिए । कुरशी में कभी भी अपने सरीर को तोड़ मरोड़कर नहीं बेठना चाहिए ।
      जमीन से कोई भी वास्तु उठाते समय अपनी पीठ को न झुकाकर हमेशा घुटनो को मोड़कर ही वसतु को उठाना चाहिए । उचाई पर रखी किसी वसतु को उतारने के लिए उचकने की जगह स्टूल आदि का उपयोग करना चाहिए । हमेशा सीधे बैठकर ही भोजन करना चाहिए न की कमर को आगे की और झुकाकर ।
    कैसे खड़ा रहे :
      कभी लगातार खड़े रहना हो तो हमेशा पाँव की स्थिति बदलकर ही खड़े रहना चाहिए । हमेशा मुलायम व् आरामदेह जुते चप्पल व सैंडिल पहनने चाहिए । रात में गहरी नींद में सोना चाहिए । गहरी नींद में सोने से मांसपेशिया को बल मिलता है और खून में हार्मोन की मात्रा बढ़ती है ।
      → पीठ में दर्द लगातार हो तो रात को सोने से पहले पीठ की बैंगन हल्दी से सिकाई करें । फिर रुई रखकर बाँध दें । इससे रीढ़ की हड्डी को गरमाहट मिलेगी और दर्द में राहत महसूस होगी ।
       → रात्रि में नित्य शयन से पूर्व ग्वारपाठा का रस गुनगुना करके मालिश करें तथा आधा कप जूस पी लिया करें भरपूर लाभ होगा ।
      → सोने से पूर्व महानारायण तेल की हलके से मालिस धीरे धीरे करे तथा एक छोटा चम्मच हल्दी दूध या गुनगुने पानी से सेवन चार दिन नियमित करें । ठंडी चीजें चावल दही आइस्क्रीम न खाएँ तथा कूलर ए.सी.पंखा की हवा में न सोएँ ।

गर्मी के बाद बारिश का शरीर को क्या लाभ मिलती है |

 बारिश के लाभ :           गर्मी के बाद बारिश बहुत ही सुकून देती है | बारिश का इंतज़ार हर किसी को रहता है | बारिश के पानी का लाभ सभी को ...