Tuesday, March 29, 2016

माँ के बारे में विचार हैं ?

माँ के बारे में एक निबंध :
         जिस घर में खुदा की तरह पूजा करते है वो है माँ किसी जन्नत से कम नहीं हैं | वो घर की ममता की गहरी माँ झील शक्ति है | माँ से बेहतर किसी को भी नहीं माना जाता है | हरेक के जीवन में एक माँ अनमोल इंसान के रूप में रहती हैं जिसके बारे सब्दों से बयाँ नहीं किया जाता है | ऐसा कहा जाता है की भगवान हर किसी के साथ नहीं रह सकता है इसलिए उसने माँ को बनाया हालाँकि माँ के साथ कुछ महत्वपूर्ण क्षणों को वर्णित किया जा सकता है | एक माँ हमारी जीवन की हर छोटी बड़ी जरूरतों का ध्यान रखने वाली और खुबसूरत इंसान होती है | सुबह के समय बहुत प्यार से हमें बिस्तर से उठाती है और रात के समय माँ प्यारे सपनों के साथ कहानियाँ सुना कर सुलाती है | हमारी माँ हमें स्कूल जाने के लिए तैयार होने में मदद करती है और हमारे लिये सुबह का नाश्ता और दोपहर का खाना भी बना कर देती है | माँ दोपहर में दरवाजे पर खड़ी होकर के हमारे स्कूल से लौटने का इंतजार करती और स्कूल का होमवर्क में मदद करती है |

     

          हर एक के जीवन में माँ ही एक ऐसी होती है जो हमारे दिल में किसी और की जगह नहीं ले सकती है | माँ प्रकृति की तरह है जो हमेशा हमको देने के लिये जानी जाती है बदले में बिना कुछ भी हमसे वापस लिये | हमें अपने जीवन के पल से देखते है जब इस दुनिया में हम अपनी आँखे खोलते है | जब हम बोलना शुरू करते है तो हमारा पहला शब्द होता है माँ | इस धरती पर वो हमारी पहला प्यार पहला शिक्षक और सबसे पहला दोस्त होती है | जब हम पैदा होते है तो हम कुछ नहीं जानते और कुछ भी करने के लायक नहीं होते हालाँकि ये माँ ही होती है जो हमें अपनी गोद में बड़ा करती है |
           माँ हमें इस काबिल बनाती है की हम दुनिया को समझ सकें और कुछ भी कर सकें | माँ एक ऐसी है जो पहली बार हमारे स्कूल की शरुआत घर में ही करती है हमारे जीवन की सबसे पहली और प्यारी शिक्षक होती है वो हमें जीवन का सच्चा दर्शन और व्यवहार करने का तरीका सिखाती है | इस दुनिया में हमारे जीवन के शुरू होते ही वो हमें प्यार करती है और हमारा ध्यान देती है अर्थात उसकी कोख में आने से जीवन तक | बहुत दुख और पीड़ा सहकर वो हमें जन्म देती है लेकिन इसके बदले में वो हमेशा हमें प्यार देती है | इस दुनिया में कोई भी ऐसा प्यार नहीं है जो बहुत मजबूत हमेशा के लिए निस्वार्थ हो शुद्र और समर्पित हो | माँ आपके जीवन में अंधकार को दूर करके रोशनी भरती हैं |

  • हमारे जीवन में सबसे महत्वपूर्ण इंसान हमारी माँ होती है | जो एक वास्तविक प्रकृति की तरह हमेशा हमारी परवरिश करती है | वह हमेशा हमारे साथ रहती है और हर पल हमारा ध्यान रखती है | ढेर सारे दुःख और पीड़ा सहकर वो हमें अपनी कोख में रखती है | जब की उसके वास्तविक जीवन में वो हमेशा हमारे बारे में सोचकर खुश हो जाती है |
  • माँ एक बेहद सामान्य महिला होती है जो अपने बच्चों की ख़ुशी के आगे अपनी ख़ुशी को कुछ नहीं समझती | वह हमेशा हमारी हर क्रिया और हँसी में अपनी रूचि दिखाती है | उसके पास एक स्वार्थहीन आत्मा है और प्यार तथा जिम्मेदारी से भरा दयालु दिल है | आत्मशक्ति से भरी वो एक ऐसी महिला है जो हमें जीवन के सबसे कठिन चुनौती का सामना करना सिखाती है |
  • माँ हमेशा हमारे लिए उपलब्ध रहती है ईश्वर की तरह हमारी परवरिश करती है | अगर इस धरती पर कोई भगवान है तो वो हमारी माँ है | कोई भी हमें माँ की तरह प्यार और परवरिश नहीं कर सकता और कोई भी उसकी तरह अपना सबकुछ हमारे लिये बलिदान नहीं कर सकता | वो हमारे जीवन की सबसे बेहतरीन महिला होती है | जिसकी जगह किसी के भी द्वारा भविष्य में नहीं बदली जा सकती है | बहुत थकने के बावजूद भी वो हमेशा हमारे लिये बिना थके हुये की तरह कुछ भी करने को तैयार रहती है |
  • इस दुनिया में किसी भी चीज को माँ के सच्चे प्यार और परवरिश से नहीं तौला जा सकता है | वो हमारे जीवन की एकमात्र ऐसी महिला है जो बिना किसी मंशा के आपने बच्चे को ढेर सारा प्यारा परवरिश देती है | एक माँ के लिए बच्चा ही सबकुछ होता है | जब हम मजबूर होते है तो वो हमेशा जीवन में किसी भी कठिन कार्य को करने के लिए हमें प्रेरित करती है | वो एक अच्छी श्रोता होती है और हमारे हर अच्छी और बुरी बातों को सुनती है जो हम कहते है | वो हमें कभी रोकती नहीं और किसी हद में नहीं बाँधती | वो हमें अच्छे-बुरे का फर्क करना सिखाती है |
          माँ के बारे में यह आपको पढ़कर अच्छा लगा हो तो अपने मित्र या ग्रुप में अवश्य शेयर करे | स्वास्थ्य के लिए अधिक जानकारी www.jangaltips.blogspot.in पे क्लिक करो या गूगल पर टाइप करो धन्यवाद | 

Friday, March 25, 2016

ऑफिस में टेंशन फ्री वर्कर को कैसे रखा जाता है ?

ऑफिस में टेंशन फ्री :
        वर्कप्लेस को तनाव मुक्त बनाकर प्रोडकटीविटी बढाएं | अगर आप अपने एम्प्लोइज के लिए केरियर डवलपमेंट प्लान बनाकर रखते हैं तो वे लक्ष्य प्राप्त करने के लिए प्रेरित होते हैं | और बिना किसी तनाव के अपना काम कर पाते हैं | इससे उनकी कार्यक्षमता में इजाफा होता है अगर हर एम्पलोई को पता होता है की कंपनी में उसका भविष्य सुरक्षित है तो वह खुलकर अपनी जिम्मेदारियां निभा पाता है |


कभी कभी कार्यक्रमों का आयोजन रखा जाता है !
       जैसे काम करने पर एम्प्लोइज में तनाव पैदा हो सकता है | इसे दूर करने के लिए एम्प्लोइज के लिए क्रिएटिव कार्यक्रमों का आयोजन करना चाहिए | आप उन्हें कोई पार्टी दे सकते हैं या प्रतियोगिता का आयोजन कर सकते है | अगर आप अपने एम्प्लोइज के साथ सही व्यवहार करेंगे तो उन्हें किसी तरह का तनाव नहीं होगा और हंसी - खुसी आपके बताए कार्यो को पूरा करेंगे | अगर आप उन्हें बात- बात पर डाटेंगे तो वह हर काम को अधूरे मन से  करते है | इससे काम बिगड़ भी जा सकता है | इससे बजाय एम्प्लोइज को प्रोत्साहित करना चाहिए | जिस कंपनी के बोस का व्यवहार अच्चा होता है वहा एम्प्लोई लंबे समय तक काम कर सकता है |

     १ .   अगर आप वर्कप्लेस पर काम का बंटवारा सही तरह से करेगे तो एम्प्लोइज को किसी तरह का तनाव                 नहीं होता है | कुछ साहब (बोस) की आदत होती है की वह कुछ एम्प्लोइज पर काम का बोज जरुरत से               ज्यादा डाल देते हैं | इससे वह काम के बोझ टेल दबकर रह जाते हैं | कई बार स्थिति बिगड़ सकती है                  और ऐसे एम्प्लोइज जॉब छोड़ना पड़ जाता है |

    २ .    वर्कर का लाइफ बैलेंस में मदद करना चाहिए | एम्प्लोइज का काम का तनाव कम करने के लिए उनसे               निरंतर संवाद करना चाहिए | आपको उनका वर्कर का लाइफ बैलेंस बनाने में मदद करनी चाहिए | अगर             उन्हें काम या परिवार में परेशानी है तो मदद के लिए आगे आएं | इससे एम्प्लोइ को अच्छा महसूस                   होगा और वह तनाव मुक्त होकर अपने काम करने लग जाता हैं |

Sunday, March 20, 2016

जंगलटिप्स में आर्टिकल 50 पूरा हो गया हैं !

 आर्टिकल 50 पूरा हो गया हैं :

      सभी मित्र को बताते हुए हेल्थ के बारे में 50 आर्टिकल जंगलटिप्स ब्लोगर में लिखा हुवा है |





    सभी को जंगलटिप्स ब्लॉग के बारे में पढ़ने वाले भाइयो तथा बहेनो को जंगलटिप्स  की तरफ से हार्दिक सुभकामना | जिस किसीको हेल्थ के बारे में पढना है तो गूगल पे टाइप (visit) करो www.jangaltips.blogspot.in यह पढ़कर अच्छा लगे तो अपने मित्र या ग्रुप में अवश्य शेयर (sent) करे  दोस्तों और जंगलटिप्स को आगे बढाने मदद करे धन्यवाद | 
    जंगलटिप्स में जुड़ने के लिए आपका E-mai दे दीजिए आपके emai पर हर आर्टिकल आता रहेगा इस emai पे भेज सकते है | nareshkharpadiya@gmail.com पर आर्टिकल में हमारी लिखने में गलती हुए है तो हमें माफ़ करना धन्यवाद | 


  आर्टिकल फिफ्टी " 50 " आर्टिकल फिफ्टी 

होली क्यों मनाया जाता हैं ?

होली क्यों मनाते है :
       होली का त्यौहार रंगों के तोर पर महशूर फाल्गुन महीने में पूर्णिमा के दिन मानते है | उस दिन संगीत या ढोल बजाकर एक दुसरे पर रंग और पानी फेंकते है | भारत में अनेक त्यौहार की तरह होली भी अच्छाई - बुराई पर जित का प्रतिक है | प्राचीन पौराणिक कथा के अनुसार होली से हिरण्यकश्यप की कहानी जुडी है |


          हिरण्यकश्यप प्राचीन भारत का एक राजा था जो की राक्षस की तरह था | वह अपने छोटे भाई की मौत का बदला लेना चाहता था जिसे भगवान विष्णु ने मारा था | इसलिए ताकत पाने के लिए उसने सालों तक प्रार्थना किया था | आख़िरकार उसे वरदान मिल गया | लेकिन इससे  हिरण्यकश्यप  खुद को भगवान समझने लगा और लोगों से खुद की भगवान की तरह पूजा करने को कहने लगा था | इस द्रुष्ट राजा का एक बेटा था जिसका नाम था प्रहलाद और वह भगवान विष्णु का परम भक्त था | प्रहलाद ने अपने पिता का कहना कभी भी नहीं माना और वह भगवान विष्णु की पूजा करता रहा | बेटे द्वारा अपनी पूजा ना करने से नाराज उस राजा ने अपने बेटे को मारने का निर्णय किया | उसने अपनी बहन होलिका से कहा की वो प्रहलाद को गोद में लेकर आग में बैठे जाए क्योकिं होलिका आग में जल नहीं सकती थी | उनकी योजना प्रहलाद को जलने की थी लेकिन उनकी योजना सफल नहीं हो सकी क्योंकि प्रहलाद सारा समय भगवान विष्णु का नाम लेता रहा और बच गया पर होलिका जलकर राख हो गई | होलिका की ये हार बुराई के नष्ट होने का प्रतिक है |इसके बाद भगवान विष्णु ने  हिरण्यकश्यप  का वध कर दिया लेकिन होली से होलिका की मौत की कहानी जुडी है | इसके चलते भारत के कुछ राज्यों में होली से एक दिन पहले बुराई के अंत के प्रतिक के तौर पर होली जलाई जाती है |

  होली का भाग रंग से कैसे बने ?
         यह कहानी  भगवान विष्णु के अवतार भगवान कृष्ण के समय तक जाती है । माना जाता है की भगवान कृष्ण रंगों से होली मानते थे इसलिए होली का यह लोकप्रिय हुवा । वे वृंदावन और गोकुल में अपने साथियों के साथ होली मानते थे । वे पुरे गांव में मजाक भरी सहि शैतानियां करते थे । आज भी वृंदावन जैसी मस्ती भरी होली कही नहीं मनाई जाती है । होली वसंत का त्यौहार है और इसके आने पर सर्दियाँ ख़त्म होती है । कुछ हिस्सों में इस त्यौहार का संबंध वसंत की फसल पकने से भी है । किसान अच्छी फसल पैदा होने की ख़ुशी में होली मानते हैं । होली को वसंत महोत्सव या काम महोत्सव भी कहते हैं ।
         होली एक प्राचीन त्यौहार है । होली प्राचीन हिंदू त्योहारों में से एक है और यह इसा मसीह के जन्म के कई सदियों पहले से मनाया जा रहा है । होली का वर्णन जैमिनी के पूर्वमीमांसा सूत्र और कथक ग्राहय सूत्र में भी है । प्राचीन भारत के मंदिरो की दीवारों पर भी होली की मूर्तियां बनी हैं । ऐसी ही 16वीं सदी का एक मंदिर विजयनगर की राजधानी हंपी में है । इस मंदिर में होली के कई द्रश्य है जिसमे राजकुमार राजकुमारी अपने दासों सहीत एक दूसरे पर रंग लगा रहे हैं । कई मध्ययुगीन चित्र जैसे 16वीं सदी के अहमदनगर चित्र मेवाड़ पेंटिंग बूंदी के लघु चित्र सब में अलग अलग तरह होली मनाते देखा जा सकता है । पहले होली के रंग टेसू या पलाश के फूलों से बनते थे और उन्हें गुलाल कहा जाता है | वो रंग त्वचा के लिए बहुत अच्छे होते थे क्योंकि उनमें कोई रसायन नहीं होता था | लेकिन समय के साथ रंगों की परिभाषा बदलती गई | आज के समय में लोग रंग के नाम पर कठोर रसायन का उपयोग करते हैं | इन ख़राब रंगों के चलते ही कई लोगों ने होली खेलना छोड़ दिया है | हमें इस पुराने त्यौहार को इसके सच्चे स्वरुप में ही मनाना चाहिए |

  •   होली एक दिन का त्यौहार नहीं है | कई राज्यों में यह तिन दिन तक मनाया जाता है |
  • पूर्णिमा के दिन एक थाली में रंगों को सजाया जाता है और परिवार का सबसे बड़ा सदस्य बाकि सदस्यों पर रंग छिड़कता है |
  • इसे पूनो भी कहते है | इस दिन होलिका के चित्र जलाते हैं और होलिका और प्रहलाद की याद में होली जलाई जाती है | अग्नि देवता के आशीर्वाद के लिए मांए अपने बच्चों के साथ जलती हुई होली के पांच चक्कर लगाती हैं |
  • इस दिन को पर्व कहते हैं और यह होली उत्सव का अंतिम दिन होता है | इस दिन एक दुसरे पर रंग और पानी डाला जाता है | भगवान कृष्ण और राधा की मूर्तियों पर भी रंग डालकर उनकी पूजा की जाती है |

Friday, March 18, 2016

आँखों से पानी आना : खुजली और फूलना


आँखों में पानी आना :


      मौसम बदलने पर या मौसम के संधी-काल में,बरसात के दिनों में जब हवा में नमी और प्रदुषण होता है | गरमियों में अंधड़ तथा लू से भी आँखों को पीड़ा होती है और आँखों से पानी आने लगता है | आँख में कोई तिली या लग जाने पर भी आँख से पानी बहाने लगता है |
           आँख फूलना-अकसर देखने में आता है की बच्चे ही नहीं, बड़े भी रात को अच्छी प्रकास से सोए, केकिन प्रात: उठे तो आँखो बंध और सूजी हुई है | कुछ बच्चों की एक आँख ही फूली हुई होती है | इसका कारन सर्दी-गरमी हो जाना है | रात में कूलर की हवा में सोने पर भी कुछ लोगों की आँखें फूल जाती हैं |
           खुजली आना -उपर्युक्त कारणों से या एलर्जी के कारन आँखों में ऐसी खुजली होती है की हाथ रोके नहीं रुकता, मसलते समय आँखों में मीठा सा अहसास होता है, परंतु खुजली निरंतर बढ़ती जाती है | कुछ लोगों के आँखों कीं कोर में अधिक खुजली होती है | खुजली के साथ-साथ आँखों से पानी भी निकालने लगता है | और आँखों एकदम लाल हो जाती हैं |
         सावधानियाँ :
१) सबसे पहले कैसी भी स्थिति में आँखों को साफ़ पानी से धोकर साफ तोलिये से पोंछें, परंतु रगड़े या मसलें नहीं |
२) गंदे हाथों तथा नाख़ून से भूलकर भी आँखों न मलें | यदी खुजली असह्य हो जाए तो साफ रुमाल से हल्की सी मालिश करें |
३) आँख के फूलने और बंद होने पर रात्री को दूध की मलाई आँखों पर रखकर सो जाएँ, सुबह आँख बिलकुल तरोताजा मिलेंगी |
४) आँखों में धुल-मिट्टी पड़ गई हो तो संतरे के छिलके का दो बूंद रस आँखों में टपकाएँ,तुरंत आराम मिलेगा |
५) बच्चों की आँखों फुल जाएँ तो माँ के दूध में रुई के फाहे भीगोकर रात्रि में आँखों पर रख दें | इससे आँखों की पीड़ा मिट जाती है |
६) अगर आँखों में बार-बार दर्द की शिकायत ही तो चश्मा टेस्ट अवश्य कराएँ
७) देर तक टी.वी.न देखें या वीडियो गेम न खेलें | सूर्योदय से पूर्व उठकर टहलने जाया करें |
८) भोजन में विटामिन A की भरपूर मात्रा लें, इसके लिए गरमी के मोसम में प्रात: ठंडा आम चूसकर खाएँ तथा हरी सब्जियों का सेवन करे |


Tuesday, March 15, 2016

गर्भवती महिलाओ का खानपान

गर्भवती का खानपान  :
       एक परिवार में गर्भवती महिला को अपने खानपान की खुद देखरेख करनी पड़ती है | गर्भावस्था के दोरान वे यदि अपने फूड्स के चयन में सावधान हो जाएँ तो वह खुद भी स्वस्थ रहेगी और स्वस्थ बच्चों को जन्म देगी | वे दिन ज्यादा पुराने नहीं हुए जब दादी-नानी अपनी समझ व अनुभव से गर्भवती महिलाओं की देखरेख करती थीं | गर्भवती बहु-बेटी खूब खाए इसलिए वे करती थीं- तुम्हें एक और पेट भरना है | आज न्यूट्रीशियन यही बात इन शब्दों में कहते हैं की गर्भवती महिलाओं को सामान्य से ३०० कैलोरी ज्यादा चाहिए | सुप्रसिद्र पोषण आहार विशेषज्ञ नैनी सेतलवाद के अनुसार अतिरिक्त कैलोरी के अलावा गर्भवती महिलाओं को जो हैल्दी डाइटस चाहिएँ |


      जरुरी है की हरे पत्ते वाली सब्जियों में आयरन प्रचुर मात्रा में होता है | यह रेड ब्लड सेल्स में ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ता है | इससे शरीर के अन्य अंगो का अच्छा पोषण होता है | गर्भवती महिलाओं को खाने में मीठा की इच्छा हो तो वे अंजीर खाएं | इसमें कैल्सियम रहती है | यह कब्ज से राहत दिलवाता है | सलाद के साथ तिलहनों का सेवन करने से अच्छा है | इनमें मौजूद फोलिक एसिड गर्भस्थ भ्रूण के डीएनए  सिंथेसिस के साथ गर्भवती महिला के लिए फायदेमंद है | अच्छी गुणवत्ता के प्रोटीन का सेवन करे | इन्हें आसानी से भोजन में मिलाया जा सकता है, जैसे दाल में पालक इस चीज खाने से अच्छा रहता है |
      वेजिटेबल में सूप व जूस को मैन्यु का हिस्सा बना लें | भोजन के दौरान इनका सेवन करें | रेडिमेंट सूप व् जूस से बचके रहना चाहिए | गर्भवती महिलाएं असामान्य चींजे खाना चाहती हैं | कोई नहीं जानता की ऐसा क्यों होता है | धारणा है की यह गर्भावस्था शिशु की चाह है | उसे सोडियम चाहे तो गर्भवती महिला अचार खाने लगती है | यह जरुरी नहीं है की हर गर्भवती महिला असामान्य हैल्दी फूड्स लेने लगती है तब एसी चाह स्वत ख़त्म हो जाती है | न्यूट्रीयन्स भी भारतीय थाली को गर्भवती महिला के लिए सबसे उपयुक्त मानते हैं | इसमें कई डिशेज होती है | तीखे मसाले होते है तो मिठाई भी | संक्षेप में कहें तो गर्भवती महिला को विभिन्न डिसेज से जरुरी कैलरी लेना चाहिए |
   गर्भवती में सब्जियां प्रोटीन और विटामिन जरुरी है !

  • हरी पत्ती वाली सब्जियां जैसे पालक मैथी प्राप्ति मैग्नेसिस, पोटेशियम फाइबर, आयरन व कई विटामिन्स रहते है |
  • फूलगोभी में कैल्सियम फोलेट, फाइबर एंटीआक्सीडेटस, आयरन आदि मिलता है और शिमला मिर्च में विटामिन सी रहता है |
  • शकरकंद में विटामिन ए व बी-६ पोटेशियम और फाइबर रहता है | टमाटर में विटामिन सी और आयरन रहता है | हरी मटर प्रोटीन व विटामिन्स रहता है | 
  • चुकंदर फोलिक एसिड विटामिन सी आयरन इनके अलावा दूध व डेयरी उत्पाद साबुत अनाज का सेवन भी गर्भवती महिलाओं के लिए फायदेमंद है |

Sunday, March 13, 2016

योगासन के विधि :धनुरासन १२

धनुरासन :
          इस आसन में शरीर की आकृति खींचे हुए धनुष जैसी बनती है, अ: इसको धनुरासन कहा जाता है ।

          धनुरासन की विधि - भूमि पर बीचे बिछे हुए  कम्बल पर पेट के बल उलटे होकर लेट जाएँ, दोनों पैर परस्पर मिले हुए रहें । अब दोनों पैरो को घुटनो से मोड़ें  दोनों हाथों को पीछे ले जाकर दोनों पैरो को टखनों से पकडे । रेचक करके हाथ से पकडे हुए पैरों  को कसरत धीरे-धीरे खींचे । जितना हो सके उतना सिर को पीछे की और ले जाने की कोशिश करें । शरीर को धनुष के आकार में ले आएँ । दॄष्टि भी ऊपर एवं पीछे की ओर रहनी चाहिए । समग्र शरीर का बोझ केवल नाभिप्रदेश के ऊपर ही रहेगा । कमर से ऊपर का घड़ एवं कमर से निचे पुरे पैर ऊपर की ओर मुड़े हुए रहेगे ।
         कुम्भक करके  इस स्थिति में टीके रहें । बाद में हाथ खोलकर पैर तथा सिर को मूल अवस्था में ले आएँ और पूरक करे । प्रारम्भ में 5 सेकेन्ड यह आसन करे । धीरे- धीरे समय बढ़कर 3 मिनट या उससे भी अधिक समय इस आसन का अभ्यास करें । तिन चार बार यह आसन करना चाहिए ।

   १)  सभी मांसपेशियों, अस्थियों व अस्थियों के बंधनों की लचीला, मजबूत और स्वस्थ बनता है | शरीर के विभिन्न अंगों अतिरिक्त या कम चरबी को संतुलित कर शरीर के सुडौल, आकर्षक तथा फुर्तीला बनाने का एक श्रेष्ठ आसन है |

  २)  ऑर्थराइटिस, गठिया, वात तथा जोड़ों के दर्द व अशुद्रियाँ दूर करता है | यह मेरुदंड के उत्तम स्वास्थ्य का सर्वश्रेष्ठ आसन है |
  ३)  महिलाओं को होने वाले मासिक धर्म तथा गर्भाशय से संबंधित रोगों के कारणों को दूर करता है |

  ४)  आँतों आमाशय तथा अन्य पाचनांगों को सशक्त बनाकर पाचन संबंधी रोगों का नाश करता है | गैस, खट्टी डकारे, कब्ज, बवासीर, अपच आदि दुष्ट रोगों से छुटकारा दिलाता है |

        धनुरासन में शलभासन, भुजंगासन और नौकासन का सम्मिश्रण होने के कारण इन आसनों के लाभ भी अनायास ही प्राप्त हो जाते हैं |

Friday, March 11, 2016

योग करते समय पानी न पीना है !

योग करते समय पानी न पिएँ :
          योग करते समय पानी न पिएँ | योग करते समय शरीर गरम हो जाता है | इस समय ठंडा पानी पीनेसे शरीर को एलर्जी; खासी और कफ हो जाती है | योग फिटनेस का जादा लोकप्रिय माध्यम बन गया है | परंतु जो योग का लाभ मिलाना है तो योग करते समय चोक्कस ध्यान में रखना चाहिएं | ध्यान न रखे तो फायदे की जगह नुकशान भुगतनी पड़ शक्ति है | हम यहापे १० बातो की योग और ध्यान निचे लिखा गया है | 



                                            
   योग करते समय ध्यान रखना है !


१    १.  योग करने के बाद तुरंत स्नान नहीं करना है | इस समय शरीर करम हो जाता है | तभी योग     करने के १ घंटे के बाद स्नान करना चाहिएँ | तुरंत स्नान करने से शर्दी - खासी शरीर में दर्द       होता है |

२    २. भोजन बाद तुरंत योग न करे | वज्रासन अलावा तमाम योग और भोजन के बिच कमसे – कम     तीन घंटे का समय रखना चाहिएँ | सुबह है श्रेष्ट खाली पेट योग करना चाहिएं |

                                                                                 
     ३.  योग के समय बाथरूम में न जाना चाहिएं | और इस समय शरीर
       में रहता पानी पसीना ध्वारा निकल ने देना है |
     
     ४. जब बीमार व्यक्ति को योग करने से बचना चाहिएं | जो योग करना ही है तो कोई एक्सपर्ट       का सला लेके ही योग करना चाहिएँ | 








 ५. योग हमेशां खुल्ला और साफ़ वातावरण में करना है | प्राणायाम       तो   हमेशां खुल्ला हवा में करते है | इस कारण ताजा हवा         मिलती है | 

 ६. योग करने से पहले शरीर को तैयार करना है | उनके बाद प्राणायाम और योग करना है | उनके     बाद लास्ट शवासन अवश्य करना है |

    ७. एक्सपर्ट का सलाह बिना कोई बुक्स या सीडी में देखके योग करने से कोई नुकसान नहीं है |      दुशरो को देखकर योग न करिएँ | 

  

    ८. शरुआत में सरल आसन करना है | शरुआत मुस्केली आसन करने से तफलिफ हो जाती है |      और जल्द ही थक लग जाती है |

 ९. खोटे पोजीसन न करे एक्सपर्ट के बताया हुवा योग करना है | खोटे आसन करने से कमर में दर्द    या घुटन दर्द मसल में प्रोब्लेम हो जाता है | 

 १०. शारीरिक प्रोम्लेम में योग नहीं करना है | पीठ, घुटन या मसल्स संबंधी कोई तफलिफ है तो       पेहले एक्सपर्ट का सलाह लेना जरुरी है |



 ११. समतल जमीन पे आसन कुस निचे रखकर योग करना है | सीजन प्रमाण में कपडे               पहना है जादा टाईट या जादा ढीला न पहनना चाहिएं | 

    १२. योग करते समय ज्वेलरी न पहनना चाहिएं | ज्वेलरी, कड़ा, हार या वगेरे पहना हुवा हो तो       योग में समस्या हो सकती है | इस चीज नुकसान पुहचाती है |                                                    
    

Monday, March 7, 2016

योगासन के विधि :मत्स्यासन ११

मत्स्यासन :
        इस आसन में शरीर का आकार मत्स्या अर्थात मछली जैसा बनता है, अत: ये मत्स्यासन कहलाता है |
कैसे करे विधि -

           भूमि पर बीछे हुए आसन पर पद्मासन लगाकर सीधे बैठ जाएँ | फिर पैरों को पद्मासन की स्थिति में ही रखकर हाथ के आधार से सावधानीपूर्वक पीछे की और चित होकर लेट जाएँ, रेचक करके कमर को ऊपर उठायें | घुटने, नितंब और मस्तक के शिखा स्थान को भूमि के साथ लगाये रखें | ठोड़ी छाती के साथ लगी रहे | बाएं हाथ से दाहिने पैर का अंगूठा और दाहिने हाथ से बाएं पैर का अंगूठा पकड़ें दोनों कुहनियाँ जमीन को लगाये रखे | कुम्भक की स्थिति में रहकर दृष्टि को पीछे की ओए सिर के पास ले जाने कोशिश करें | दांत दबे हुए और मुँह बन्द रखें | एक मिनिट से प्रारम्भ करके ५ मिनट तक अभ्यास बढाएं | फिर हाथ खोलकर, कमर भूमि को लगाकर सिर ऊपर उठाकर बैठ जाएँ, पूरक करके रेचक करें |
        पहले भूमि पर लेटकर फिर पद्मासन लगाकर भी मत्स्यासन हो सकता है |

मत्स्यासन के लाभ -

  • मत्स्यासन से शरीर मजबूत बनता है | गला, छाती, पेट की सभी बीमारियाँ दूर होती है, आँखों की रोशनी बढती है | गला साफ़ रहता है, स्वसनक्रिया ठीक से चलती है |
  • छाती व फेफड़ों का विकास होता है, रक्त की गति बढती है, चमड़ी के रोग नहीं होते, दमा और खाँसी दूर होती है | पेट की चर्बी कम होती है |
  • इस आसन से अपानवायु की गति निचे की ओर होने से मलावरोध दूर होता है | पेट साफ़ होता है | स्त्रियों के मासिक धर्म संबंधी सब रोग दूर होते हैं | मासिकस्त्राव नियमित बनता है |

Thursday, March 3, 2016

महाशिवरात्रि क्यों मनाया जाता है |

हिन्दुओं का प्रमुख त्योहार है :
         महाशिवरात्रि हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है | यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है | मानते है की सृष्टि के प्रारंभ में इसी दिन मध्यरात्रि भगवान शंकर का ब्रह्मा से रूद्र के रूप में अवतार हुवा था | प्रलय की वेला में इसी दिन प्रदोष के समय भगवान शिव तांडव करते हुए ब्रह्माण्ड को तीसरे आँख की ज्वाला से समाप्त कर देते हैं | इसलिए इसे   महाशिवरात्रि  कहा गया था | कई स्थानों पर यह भी माना जाता है की इसी दिन भगवान शिव का विवाह हो गया है | तीनों भुवनो की अपार सुंदरी तथा शीलवती गौरा को अर्धागिनी बनाने वाले शिव प्रेतों व पिशाचों से घिरे रहते है | उनका रूप बड़ा अजीब है | शरीर पर मसानों की भस्म गले में सर्पो का हार कंठ में विष, जटाओ में जगत- तारिणी पावन गंगा तथा माथे में प्रलयंकर ज्वाला है | बैल को वाहन के रूप में स्वीकार करने वाले शिव अमंगल रूप होने पर भी भक्तों का मंगल करते हैं |
        एक बार पार्वती जी ने भगवान शिवशंकर से पूछा ऐसा कौन-सा श्रेष्ठ तथा सरल व्रत-पूजन है जिससे मृत्युलोग के प्राणी आपकी कृपा सहज ही प्राप्त कर लेते है ?  - उत्तर में शिवजी ने पार्वती को `शिवरात्रि` के व्रत का विधान बताकर यह कथा सुनाया था | एक गाव में एक शिकारी रहता था | वो हर रोज पशुओ की हत्या करके वह अपने कुटुंब को पाल रहा था | वह एक साहूकार का ऋणी थे लेकिन उसका ऋण समय पर न चूका | क्रोधित साहूकार ने शिकार को शिवमठ में बंदी बना लिया | संयोग से उस दिन शिवरात्रि थी | शिकारी ध्यानमग्न होकर शिव-संबंधी धार्मिक सुन रहा था | संध्या होते ही साहूकार ने उसे अपने पास बुलाया और ऋण चुकाने के विषय में बात किया था | शिकारी अगले दिन सारा ऋण लोटा देने का वचन देकर बंधन से छुट गया | अपनी दिनचर्या की भांति वह जंगल में शिकार के लिए निकल पड़ा लेकिन दिनभर बंदी गृह में रहने के कारण भूख-प्यास से व्याकुल था | शिकार करने के लिए वह एक तालाब के किनारे बेल - वृक्ष पर पड़ाव बनाने लगा | बेल वृक्ष के निचे शिवलिंग था जो बिल्वपत्रों से ढका हुवा था शिकारी को उसका पता न चला | पड़ाव बनाते समय उसने जो टहनियां तोड़ी वे संयोग से शिवलिंग पर गिर गया था | इस प्रकार दिनभर भूखे प्यासे शिकारी का व्रत भी हो गया और शिवलिंग पर बिलपत्र भी चढ़ गए |
        एक रात्रि बित जाने पर एक गर्भिणी मृगी तालाब पर पानी पिने पहुची | शिकारी ने धनुष पर तीर चढ़कर ज्यों ही प्रत्यंचा खिचीं मृगी बोली `में गर्भिणी हूँ | शीघ्र ही प्रसव करुँगी | तुम एक साथ दो जीवों की हत्या करोगे जो ठीक नहीं है | में बच्चे को जन्म देकर शीघ्र ही तुम्हारे समक्ष प्रस्तुत हो जाउंगी तब मार लेना | शिकारी ने प्रत्यंचा ढीली कर दी और मृगी जंगली झाड़ियों में गुप्त हो गई | कुछ ही देर बाद एक और मृगी उधर से निकली | शिकारी की प्रसन्नता का ठिकाना न रहा | समीप आने पर उसने धनुष पर बाण चढ़ाया | तब उसे देख मृगी ने विनम्रतापूर्वक निवेदन किया हे पारधी मै थोड़ी देर पहले ऋतु से निवृत्त हुई हूँ | कामातुर विरहिणी हूँ | अपने प्रिय की खोज में भटक रही हूं | मै अपने पति से मिलकर शीघ्र ही तुम्हारे पास आ जाउगी | शिकारी ने उसे भी जाने दिया | दो बार शिकार को खोकर उसका माथा ठनका | वह चिंता में पड़ गया | रात्रि का आखिरी पहर बीत रहा था तभी एक एनी मृगी अपने बचों के साथ उधर से निकली | शिकारी के लिए यह स्वर्णिम अवसर था | उसने धनुस पर तीर चढाने में देर नहीं लगाई | वह तीर छोड़ने ही वाला था तभी मृगी बोली हे पारधी मै इन बच्चों को इनके पिता के हवाले करके लौट आउंगी इस समय मुझे मत मारो | शिकारी हँसा और बोला सामने आए शिकार को छोड़ दू में एसा मुर्ख नहीं । इससे पहले मैं दौ बार अपना शिकार खो चूका हु | मेरे बच्चे भूख प्यास से तड़प रहे होंगे | उत्तर में मृगी ने फिर कहा जैसे तुम्हे अपने बच्चों की ममता सता रही है, ठीक वैसे ही मुझे भी है | इसलिए सिर्फ बच्चों के नाम पर में थोड़ी देर के लिए जीवनदान मांग रही हूं | हे पारधी मेरा विश्वास कर मैं इन्हें इनके पिता के पास छोड़कर तुरंत लौटने की प्रतिज्ञा करती हूँ |
        मृगी का दिन स्वर सुनकर को उस पर दया आ गई | उसने उस मृगी को भी जाने दिया | शिकार के आभाव में बेल-वृक्ष पर बैठा शिकारी बेलपत्र तोड़ तोड़कर निचे फेकता जा रहा था | पौ फटने को हुई तो एक हष्ट-पुष्ट मृग उसी रास्ते पर आया | शिकारी ने सोच लिया की इसका शिकार वह अवश्य करेगा | शिकारी की तनी प्रत्यंचा देखकर मृग विनीत स्वर में बोला, है पारधी भाई यदि तुमने मुझसे पूर्व आने वाली तिन मृगियों तथा छोटे-छोटे बच्चों को मार डाला है, तो मुझे भी मारने में विलंब न करो ताकि मुझे उनके वियोग में एक क्षण भी दू: ख न सहना पड़े | मै उन मृगियों का पति हूँ | यदि तुमने उन्हें जीवनदान दिया है तो मुझे भी कुछ क्षण का जीवन देने की कृपा करो | मैं उनसे मिलकर तुम्हारे समक्ष उपस्थित हो जाउगा | मृग की बात सुनते ही शिकारी के सामने पूरी रात का घटनाचक्र घूम गया उसने सारी कथा मृग को सुना दी तब मृग ने कहा मेरी तीनों पत्नियाँ जिस प्रकार प्रतिज्ञाबद्र होकर गई है मेरी मृत्यु से अपने धर्म का पालन नहीं कर पाएंगी | अत: जैसे तुमने उन्हें विश्वासपात्र मानकर छोड़ा है वैसे ही मुझे भी जाने दो | मैं उन सबके साथ तुम्हारे सामने शीघ्र ही उपस्थित होता हूँ | उपवास रात्रि जागरण तथा शिवलिंग पर बेलपत्र चढ़ने से शिकारी का हिंसक हदय निर्मल हो गया था | उसमे भगवत शक्ति का वास हो गया था | धनुष तथा बाण उसके हाथ से सहज ही छुट गया | भगवन शिव की अनुकंपा से उसका हिंसक हदय कारुणिक भावों से भर गया | वह अपने अतीत के कर्मो को याद करके पश्चातात की ज्वाला में जलने लगा |
      थोड़ी ही देर बाद वह मृग सपरिवार शिकारी के समक्ष उपस्थित हो गया ताकि वह उनका शिकार कर सके किन्तु जंगली पशुओ की ऐसी सत्यता सात्विकता एवं सामूहिक प्रेमभाव देखकर शिकार को बड़ी ग्लानी हुई | उसके नेत्रों से आंसुओ की झड़ी लग गई | उस मृग परिवार को न मारकर शिकारी ने अपने कठोर हदय को जिव हिंसा से हटा सदा के लिए कोमल एवं दयालु बना लिया | देवलोक से समस्त देव समाज भी इस घटना को देख रहे थे | घटना की परिणिति होते ही देवी-देवताओं ने पुष्प-वर्षा की तब शिकारी तथा मृग परिवार मोक्ष को प्राप्त हुए |

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