बारिश का मौसम :
हर साल की तरह इस बार भी वर्षा ऋतू का आगमन हो गया है | ग्रीष्मकाल के समाप्ति के बाद तपती हुई धरती पर जब बारिश की रिम-झिम गिरती है तो वह समस्त सजीव को तारो ताजा तो करती है | पर साथ ही कई बिमारियों को भी आमंत्रित देती है | हर किसी को इस सुहाने मौसम का पूरा मजा उठाने की इच्छा होती है | इसके साथ ही इस मौसम में लोग अक्सर जल्दी लोग बीमार हो जाते है | बारिश के मौसम में मलेरिया, डेंगू, सर्दी-खासी, जुलाब, उलटी,वगेरे इत्यादि अनेक रोग फेल जाता है | जिस तरह हम बारिश से बचने के लिए छाते के इस्तेमाल करते है ठीक उसी तरह बरसात के मौसम में फैलनेवाली इन बीमारियों से बचने के लिए हमें कुछ एहतियात रूपी छाते का इस्तेमाल करना चाहिए |
वर्षा ऋतू में हवा में अधिक नमी होने के कारण शरीर की गरमी बाहर नहीं निकलती है | इसके साथ ही पसीना भी ज्यादा आता है ऐसे में जरुरी है की शरीर में पर्याप्त पानी का प्रमाण रखने के लिए भरपूर पानी का सेवन करना चाहिए | हमेशा उबाल कर पानी ठंडा किया हुवा या फ़िल्टर किये हुए स्वच्छ पानी का सेवन करना चाहिए | कमसे कम १५ मिनट तक पानी अवश्य उबालना चाहिए | हर किसी को बारिश में भीगना पसंद है पर बारिश में ज्यादा देर तक भीगने से सर्दी-खासी और बुखार हो सकता है | कपडे जुटे चप्पल गिले हो जाने पर तुरंत बदल दे ज्यादा समय तक गिले कपडे पहनने से फंगल इन्फेक्शन रोग हो सकता है | बदलते मौसम में बुजर्गो के बीमार होने की संभावना ज्यादा होती है | इसलिए जरुरी है की उनके स्वास्थ्य का ख्याल रखना है | अपने घर के आसपास गंदगी न होने देना चाहिए | घर के आसपास के गड्ढो को भर दे | जिससे बारिश का पानी रककर सड़ने न पाए | इससे मच्छर उत्पन्न नहीं होता है | अपनी नियमित चल रही दवाइयों का अधिक खुराक जमा कर ले ताकि बारिश की वजह से बाहर न जा सकने पर दवा में कोई गैप न पड़े | किसी भी रोग की शंका होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए |
वर्षा ऋतू में ध्यान रखें -
वर्षा ऋतू में हवा में अधिक नमी होने के कारण शरीर की गरमी बाहर नहीं निकलती है | इसके साथ ही पसीना भी ज्यादा आता है ऐसे में जरुरी है की शरीर में पर्याप्त पानी का प्रमाण रखने के लिए भरपूर पानी का सेवन करना चाहिए | हमेशा उबाल कर पानी ठंडा किया हुवा या फ़िल्टर किये हुए स्वच्छ पानी का सेवन करना चाहिए | कमसे कम १५ मिनट तक पानी अवश्य उबालना चाहिए | हर किसी को बारिश में भीगना पसंद है पर बारिश में ज्यादा देर तक भीगने से सर्दी-खासी और बुखार हो सकता है | कपडे जुटे चप्पल गिले हो जाने पर तुरंत बदल दे ज्यादा समय तक गिले कपडे पहनने से फंगल इन्फेक्शन रोग हो सकता है | बदलते मौसम में बुजर्गो के बीमार होने की संभावना ज्यादा होती है | इसलिए जरुरी है की उनके स्वास्थ्य का ख्याल रखना है | अपने घर के आसपास गंदगी न होने देना चाहिए | घर के आसपास के गड्ढो को भर दे | जिससे बारिश का पानी रककर सड़ने न पाए | इससे मच्छर उत्पन्न नहीं होता है | अपनी नियमित चल रही दवाइयों का अधिक खुराक जमा कर ले ताकि बारिश की वजह से बाहर न जा सकने पर दवा में कोई गैप न पड़े | किसी भी रोग की शंका होने पर तुरंत डॉक्टर के पास जाना चाहिए |
वर्षा ऋतू में ध्यान रखें -
- वर्षा ऋतू में बाहर खाना मना है | बाहर का खाना खाने से जुलाब, उलटी इत्यादि गंभीर रोग हो सकता है | सडक के किनारे बेचे जानेवाले चायनीझ फ्रूट, भेल, पानी पूरी यह पोइजनिंग होने के प्रमुख कारण है |
- ध्यान रहे की खाने से पहले फल सब्जी को अच्छे से स्वच्छ पानी से धो कर साफ़ कर लेनी चाहिए | खास कर हरी पत्तेदार सब्जी | भरपूर स्वच्छ पानी का सेवन करे | बासी भोजन पहले से कटे हुए फल तथा दूषित भोजन का सेवन न करे |
- इस मौसम में सब्जी फल जल्दी ख़राब हो जाता है इसलिए हमेशा ताजा फल या सब्जी का उपयोग करना चाहिए | हमेशा गरम ताजा खाना खाना चाहिए |
- इन दिनों में हमारी पाचन शक्ति सबसे कम होती है | ऐसा भोजन खाना खाए जो आसानी से पच जाए | जब भूख लगे तब ही और जीतनी भूख हो उतना ही आराम से पचने लायक खाना लेना चाहिए |
- ज्यादा ठंडा खट्टा न खाए | ज्यादा नमक वाली चीजे जैसी चिप्स, कुरकुरे, चटनी, पापड़ कम खाए क्योंकि इस मौसम में शरीर में WATER RETENTION की संभावना ज्यादा होती है |
- बारिश में भीगने पर ज्यादा देर तक बालो को गिला न रखना चाहिए | बारिस से बचने के लिए छाता / रेनकोट का इस्तेमाल करना चाहिये |
- अगर आप को अस्थमा है या फिर आपको जल्दी सर्दी-जुखाम-खांसी हो जाती है तो बारिश में न भीगे | बुजर्ग बारिश में ज्यादा बाहर न निकले | गरमा चाय,कोफ़ी या सूप पिए |
- डायबिटीस के मरीजो को विशेष रूप से अपने पैरो को ज्यादा ख्याल रखना चाहिए | पैर गिले होने पर तुरंत इत्यादि त्वचा रोग हो सकते है |खाने में हल्दी इलायची, दालचीनी का इस्तेमाल करे | इनसे रोग प्रतिकार शक्ति बढती है | रात्रि में सोने के लिए मच्छरदानी का उपयोग करना है |