Saturday, December 24, 2016

क्रिसमस 25 दिसंबर को क्यों मनाते हैं ?

क्रिसमस :

         क्रिसमस का त्योहार प्रतिवर्ष अंग्रेजी महीने के अनुसार दिसंबर की 25 तारीख को मनाया जाता है | प्रभु ईसा मसीह का जन्म इसी सुभ तिथि में हुआ था | ईसा मसीह ऊँच- नीच के भेदभाव को नहीं मनाते थे | अत: क्रिसमस का पावन पर्व भी किसी एक का नहीं अपितु उन सभी का है जो उनके समर्थक हैं तथा उन पर आस्था रखते हैं | हालांकि क्रिसमस को ईसा मसीह के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है लेकिन ईसाई विद्वान इस बात पर लगभग एकमत हैं की ईसा के जन्म का वास्तविक दिन यह नहीं है | प्रभु यीशु के जन्मदिन के मौके पर आज भारत समेत पूरी दुनिया में क्रिसमस पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है |


         इस त्योहार पर क्रिसमस-ट्री सजाने का विशेष महत्व है | यूरोपीय देशों में तो इसकी सजावट व भव्यता देखते ही बनती है | भारत में भी इसके महत्व को अब विस्तृत रूप से देखा जा सकता है | परिवार के सभी सदस्य इस दिन क्रिसमस ट्री के चारों और एकत्रित होते हैं | सभी मिलकर प्रभु ईसा समीह का स्तुतिगान तथा प्रार्थना करते है | 24 दिसंबर की रात से ही नवयुवकों की टोली जिन्हें कैरल्स कहा जाता है यीशु मसीह के जन्म संबंधी गीतों को प्रत्येक मसीही के घर में जाकर गाते हैं | इसी रात को गिरिजाघरों में प्रभु यीशु के जन्म से संबंधित झांकियां भी सजाई जाती है | इस अवसर पर ईसाई धर्मावलंबी बड़ी संख्या में गिरजाघरों में एकत्रित होकर एक-दुसरे को प्रभु के जन्म की बधाई देते हैं | रात में से ही हैप्पी क्रिसमस-मेरी क्रिसमस से बधाइयों का सिलसिला जारी है | देश के सभी शहरों में लोगों ने क्रिसमस ट्री सजाया जाता है और सांता दूसरों को उपहार देकर जीवन में देने का सुख हासिल करने का संदेश दे रहे हैं | इस अवसर पर ईसाई अपने घरों को बहुत ही आकर्षक ढंग से सजाते है और विभिन्न प्रकार के पकवान बनाकर पड़ोसियों को भेंट करते हैं तथा खुद भी खाते हैं | बच्चों के लिए शंताक्लाज कोई न कोई उपहार अवश्य लाता है क्योंकि ईसा मसीह स्वयं बच्चों से बहुत स्नेह रखते थे | क्रिसमस ईसाइयों का प्रमुख त्योहार है | ईसाई समुदाय के लिए इस त्योहार का वही महत्व है जो हिंदुओं के लिए दशरह तथा दीपावली का है | यह त्योहार विश्वभर में फैले ईसा मसीह के करोड़ों अनुयायियों के लिए पवित्रता का संदेश लाता है तथा उनके बताए हुए मार्गो व उच्च आदर्शो पर चलने हेतु प्रेरित करता है |

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क्रिसमस का त्योहार भारत में सभी समुदायों आनंद उठाने लगे है जिससे सामाजिक सदभाव की अभिवृदधि होती है | सभी समुदायों के लोग एक-दुसरे को क्रिसमस की सुभकामनाएँ देते हैं | ईसा मसीह को परमेश्वर का दूत माना जाता है | वे संसार के दिन-दुनियों का दु:ख दूर करने तथा ईश्वर के वास्तविक स्वरुप को दूसरों के समक्ष प्रकट करने हेतु अवतरित हुए थे | प्रारंभ में उन्हें अनेक कठिनाइयाँ आई परंतु बाद में धीरे-धीरे उनके अनुयायियों की संख्या बढ़ने लगी | उन्हेंने अपने उपदेशों के माध्यम से संसार में व्याप्त अंधविश्वास, अज्ञानता, दुःख आदि को दूर करने का प्रयास किया | यह त्योहार सभी हदयों को पवित्रता के भाव से ओत-प्रोत करता है और हमें प्रेरित करता है कि अनेक कठिनाइयों का सामना करने पर भी हमें सन्मार्ग का त्याग नहीं करना चाहिए तथा दुसरों को भी पवित्रता का मार्ग प्रशस्त करने के लिए यथासंभव सहयोग करना चाहिए |

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Sunday, December 18, 2016

सौ वे आर्टिकल की जानकारी कैसी है ?

 सौ वे आर्टिकल  :

      सभी मित्र को बताते हुए हेल्थ के बारे में 100 वे आर्टिकल जंगलटिप्स ब्लोग में लिखा हुवा है |यह आर्टिकल की अधिक जानकारी निचे दिया हुवा है ।





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  सौ वे आर्टिकल बहुत बहुत सभी को सुभकामनाएँ 

Saturday, December 10, 2016

ठंड में बुजुर्गो और नवजात शिशु को देखभाल कैसे करे !

बुजुर्गो और नवजात शिशु :

          सर्दिया शुरू हो गई हैं मौसम के बदलने का सबसे ज्यादा छोटे बच्चों पर असर पड़ता है | सर्दी जुकाम और गले में इंफेक्शन छोटे बच्चों को ये परेशानियां सबसे ज्यादा होती है | और कई बार तो हल्का बुखार बढ़कर निमोनिया का रूप ले लेता है | ऐसे में सावधानी बरतना बेहद जरुरी होता है | मौसम में हर उम्र के लोगों को देखभाल की आवश्यकता होती है लेकिन बच्चों और बुजुर्गो को ऐसे मौसम में खास देखभाल की आवश्यकता होती है | क्योंकि उनकी प्रतिरोधी क्षमता कमजोर होती है | ऐसे में सबसे ज्यादा डर उच्च रक्तचाप या ब्लड प्रेशर के मरीजों को रहता है | आइये जानें अधिक उम्र या नवजात शिशु का ख्याल कैसे रखनी चाहिए |


          यह बात हम सभी जानते है की दुनिया में सबसे अनमोल रिश्ता माँ और शिशु का होता है | यह रिश्ता प्रेम और स्नेह का प्रतिक होता है | और ऐसा हो भी क्यों ना 9 महिना तक कोख में पालने और असहनीय प्रसव पीड़ा सहने के बाद माँ के गोद में बच्चे की किलकारियां गूंजती है | इससे ना केवल माँ की बल्कि पुरे परिवार की ख़ुशी दोगुनी हो जाती है | जब भी कोई स्त्री पहली बार माँ बनती है तो खुशियों के साथ साथ उसके सामने कई तरह की चुनौती भी होती है | पहली बार शिशु को जन्म देने वाली माताओं को यह पता नहीं होता की उन्हें अपने बच्चे की देखभाल कैसे करनी है | क्योंकि यह उसके लिए बिलकुल नया अनुभव होता है | बच्चों की देखभाल को लेकर नयी माँ के दिमाग में कई प्रकार की शंकाएं या सवाल उत्सुकता होती है | मौसम बदलने का सीधा असर उन पर पड़ता है उनमे से बुजुर्ग तो अपनी तकलीफ बता व समझा कर निदान कर सकते है पर छोटे बच्चे के लिए यह बिलकुल मुश्किल है | ऐसे में छोटे बच्चों की ठंड में बेहतर देखभाल की जरुरत होती है | विशेषज्ञ बताते हैं की अचानक मौसम परिवर्तन का असर सभी पर होता और इससे छोटे बच्चे सबसे ज्यादा प्रभावित होते है | सर्दी जुकाम और गले में इन्फेक्शन के अलावा छोटे बच्चों को परेशानियाँ सबसे ज्यादा होती है |

नवजात बच्चों की देखभाल कैसे करे-

          नवजात शिशु के लिए उसकी माँ का दूध ही सर्वोत्तम होता है | इसलिए माँ को बच्चे को तब तक दूध पिलाना चाहिए जब तक बच्चा पूरी तरह से संतुष्ट न हो जाए | बच्चे को उठाते समय एक हाथ को सर और गर्दन के निचे और दूसरे हाथ को पैर के निचे रखें | बच्चे के सिर और गर्दन को इस तरह पकडे की इन्हें पूरा सपोर्ट मिले | नवजात को हमेशा नर्म और गर्म कपडे में लपेटकर रखना चाहिए | इससे आपका बच्चा काफी सुरक्षित महसूस करता है | बच्चे को वातावरण के बदलाव का ज्यादा असर ना पड़े इसके लिए 0-2 महिना तक शिशु को जरुर लपेटकर रखनी चाहिए | बच्चों की मालिश करने से उनका शारीरिक विकाश होता है | लेकिन बच्चे की मालिश सावधानीपूर्ण की जानी चाहिए | मालिश के लिए जैतून, बादाम या बेबी ऑइल इस्तेमाल कर सकते है | लेकिन मालिश को हमेशा हलके हाथो से करनी चाहिए |

  • बाहर ज्यादा ठंड होने पर बच्चों को इनडोर गेम्स खेलने को प्रेरित करनी चाहिए | बच्चों में ज्यादा दिन तक रहने वाला सर्दी जुकाम निमोनिया भी हो सकता है | शिशु के सर व पैर हमेशा ढक कर रखना चाहिए 
  • नवजात शिशु की रोग प्रतिरोधी क्षमता बनाये रखने के लिए उसे स्तनपान कराना चाहिए | अपने शिशु का टीकाकरण समय पर करायें जिससे वो कई संक्रामक बिमारियों के खतरे से दूर रहे | 
  • अपने चिकित्सक से समय-समय पर मिलते रहे | समय-समय पर ब्लड प्रेशर नापते रहें और ब्लड प्रेशर नियंत्रित रखे | सर्दियों में ब्लड प्रेशर बढ़ने का एक कारण होता है रक्त वाहिकाओं का संकुचित हो जाना जिससे हदय पर दबाव पड़ता है |
  • सरदर्द, घबराहट, आँखों में भारीपन महसूस होने पर चिकित्सक से मिले | खाने में तेल, घी कम से कम खाये और रोज व्यायाम करना चाहिए |
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Monday, November 28, 2016

ठंडी से बचने के कुछ नुस्खे और घरेलु उपचार कैसे करे !

ठंड से बचने का नुस्खे :

         ठंड से बचने के लिए लोग गरम कपडे पहनते है और आलाप ( आग ) जलाते है | ठंड के असर से बचने के लिए शरीर का बाहर के साथ साथ अंदर से भी गरम रहना जरुरी है | अगर हमारा शरीर मौसम के अनुसार खुद को अंदर से ढाल ले तो हमें ना ज्यादा गर्मी लगेगी और ना ज्यादा ठंड लगेगी जिससे हम मौसमी बीमारियों और इन्फेक्शन से भी दूर रहेंगे | बाहर का तापमान होने पर शरीर का तापमान बढ़ सकता है | सर्दी के मौसम में खुद को कैसे वायरस के हमले से बचाएं | सर्दियों में टोपी, मफलर और दस्ताने पहनना आज कल फैशन सा बन गया है | कुछ लोग तो साल भर इसी इंतजार में रहते हैं की कब मौसम ठंडा हो और कब रंग बिरंगे मफलर का इस्तेमाल हो और सर्दी से बचाने में मफलर बहुत फायदेमंद होता है |


         हमारे शरीर का औसत तापमान 98.6 डिग्री फ़ॉरेनहाइट कम या ज्यादा भी हो सकता है | महिलाओं को अमूमल ज्यादा ठंड लगती है क्योंकि उनकी शारीरिक बनावट ही कुछ इस तरह की होती है | पर अगर आप बहुत ज्यादा ठंड लगने की समस्या से लंबे समय से पीड़ित हैं तो आपको डॉक्टर के पास जाकर अपनी समस्या का मूल कारण जल्द तलाशना करनी चाहिए | कुछ ऐसी चीजें हैं जो इस परेशानी की वजह हो सकती है | शरीर में आयरन की कमी  लगातार लगने वाली ठंड की प्रमुख वजह हो सकती है | अब तक अगर आप इस समस्या को सिर्फ कमजोरी थकान या त्वचा के पीलेपन से जोड़ रहे थे तो आप गलत है | पुरे शरीर की लाल रक्त कोशिकाओं में ऑक्सीजन पहुँचाने के अलावा शरीर के विभिन्न हिस्सों से गर्मी और पोषक तत्वों को लाने पहुचाने में आयरन की अहम् भूमिका होती है | शरीर में आयरन की कमी का सीधा मतलब यह है की शरीर अपने ये सभी काम सुचारू रूप से कर पाने में सफल नहीं हो पाएगा | आयरन की इस कमी के कारण आपको कंपकपी भी शुरू हो सकती है | ठंड धीरे-धीरे रफ़्तार पकड़ने लगी है | इस मौसम में थोड़ी-सी लापरवाही बच्चों के लिए भरी पद सकती है | सर्दी-जुखाम से जो सिलसिला लापरवाही की वजह से शुरू होता है वो न्युमोनिया और परमानेंट अस्थमा जा पहुचता है | इसलिए मौसम में बच्चों को लेकर खास सावधानियां बरतने की जरुरत है | विटामिन B 12 की खास बात यह है की यह जानवरों से प्राप्त होने वाली खाद्य पदार्थो में पाया जाता है और शरीर के तापमान को नियंत्रित रखने में अहम् भूमिका निभाता है | शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं को बनाने का काम विटामिन B 12 ही करता है | इस विटामिन की कमी से लाल रक्त कोशिकाएं पुरे शरीर में ऑक्सीजन नहीं पहुंचा पातीं और परिणामस्वरूप लगातार ठंड लगती रहती है |

इन्हें अपनाएं और ठंड भगाएं  -

  • शरीर को कई प्रकार शहद रोगों से दूर रखता है और जरुरत पड़ने से बिमारियों के उपचार में भी सहायत है इसलिए शहद को आयुर्वेद में अमृत सामान माना गया है | सर्दियों में शहद का सेवन करने से शरीर का इम्यून सिस्टम दरुरत रहता है और साथ ही पाचन क्रिया भी बढती है | 
  • अपने आहार में फल, सूखे मेवे और स्प्राउटस शामिल करें | तरल पधार्थो का सेवन ज्यादा करें | जंक फ़ूड से दूर रहें | गेहूं की घास से बने जूस के नियमित सेवन से भी लाभ होता है | तिल, अश्वगंधा और सरसों के तेल से मालिश करें | गर्म पानी के स्नान से भी लाभ मिलता है |
  • सर्दियों में cold cough से राहत पाने में सूप का सेवन काफी फायदेमंद है | आप वेज और नॉन वेजिटेरियन कोई भी सूप बस इतना ध्यान रहे की ये ताजा हो | लौंग, तुलसी,काली मिर्च और अदरक की बनी हुई चाय पिने से ठंड से राहत मिलती है | खाँसी और सर्दी जुकाम से छुटकारा पाने में भी ये उपाय असरदार है | 
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Friday, November 18, 2016

स्वास्थ्य के महत्व और तंदरुस्त कैसे बनाएं रखनी चाहिए !

स्वास्थ्य और तंदरुस्त :

         मनुष्य के जीवन में स्वास्थ्य का सर्वाधिक महत्व है | स्वास्थ्य के बिना धन, संपत्ति, मनोरंजन, और अन्य सुविधाएँ महत्व हीन हैं | जो व्यक्ति तन और मन से स्वास्थ्य होता है वह संसार का सबसे सुखी प्राणी है | ऋषि मुनियों ने शुरू से ही स्वास्थ्य के महत्व को स्वीकार किया है और स्वस्थ बने रहने के लिए प्रकृति के नियमों का पालन करने की सलाह दिन है | जो मनुष्य सूर्योदय से पूर्व उठते हैं और अपनी दिनचर्या पूर्ण करके निर्धारित समय के अनुसार अपना जीवन व्यतीत करते है निष्काम भाव से कर्म करते है तथा रात्रि में समय पर शयन करते हैं वे हमेशा स्वस्थ बने रहते हैं |


        स्वास्थ्य और तंदरुस्ती को बनाए रखना एक व्यक्ति को स्वस्थ और अच्छाई की सामान्य स्थिति में रहने में मदद करता है | यह बिना आराम के शारीरिक गतिविधियों को करने की क्षमता प्रदान करता है | यद्यपि, स्वास्थ्य और तंदुरस्ती को बनाए रखने के लिए सन्तुलित भोजन के साथ नियमित शारीरिक व्यायाम की आवश्यकता होती है | तंदुरस्त,स्वस्थ,बिमारियों से निडर रहने और अन्य बहुत से लाभों के लिए अपने स्वास्थ्य और तंदुरस्त को बनाए रखना बहुत आवश्यक है | स्वास्थ्य और तंदुरस्ती उन लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है जो बहुत ख़ुशी और शांति के साथ जीवन जीना चाहते हैं | एक स्वस्थ और तंदुरस्त व्यक्ति ही पुरे उत्साह के साथ जीवन जीने में सक्षम होता है | हम एक व्यक्ति को स्वस्थ और तंदुरस्त तब कह सकते है यदि वह शारीरिक और मानसिक रूप से तंदुरस्त है | शारीरिक और मानसिक रूप से तंदुरस्त व्यक्ति को बिमारियों का खतरा कम रहता है | किसी भी व्यक्ति का स्वास्थ्य और तंदुरस्ती निम्नलिखित चीजों में मदद करती है |
         आजकल लोग अपने व्यस्त जीवन-शैली में बहुत व्यस्त हो गए हैं और उनके पास स्वस्थ या तंदुरस्त रखने का भी समय नहीं है | यह सत्य है की हमें स्वस्थ और दंदुरस्त रहने के लिए स्वास्थ्यवर्धक खाना चाहिए, अपने आस-पास स्वच्छता रखने का अभ्यास करना चाहिए और नियमित शारीरिक व्यायाम करना चाहिए | जैसे की हम सभी जानते हैं की कठोर परिश्रम का कोई भी विकल्प नहीं है इसी तरह स्वास्थ्य और तंदुरस्ती रहने का भी कोई अन्य विकल्प नहीं है | स्वास्थ्य और तंदुरस्ती स्वस्थ रहन-सहन और स्वस्थ जीवन- शैली का मिश्रण है | हमें शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए नियमित स्वास्थ्यवर्धक भोजन करना चाहिए और शारीरिक व्यायाम करना चाहिए हालांकि, हमें मानसिक रूप से स्वस्थ रहने के लिए सकारात्मक सोचने की आवश्यकता होती है | स्वास्थ्यकर बिंदुओं का ध्यान रखने के लिए उसके भौतिक एवं आध्यात्मिक प्रभावों पर बल दिया गया है | धर्म में गहरी आस्था रखने वालों को स्वास्थ्यकर से संबंधित गतिविधियों के ली प्रोत्साहित करने के लिए इतना बताना काफी होगा की इससे ईश्वर का ध्यान आकर्षित किया जा सकता है और उसकी अनुकंपाओं का पात्र बना जा सकता है | कुराने मजीद में साफ एवं स्वच्छ जैसे शब्दों का अनेक स्थानों पर प्रयोग है जिससे इस्लामी शिक्षाओं में शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य के महत्व का पता चलता है | क्योंकि शरीर मन का आधार होता है उसके स्वास्थ्य का इंसान के मन पर सीधा प्रभाव पड़ता है इसीलिए इस्लाम की अनेक शिक्षाओं में की जो दिशानिर्देशों के रूप में हैं शरीर के स्वास्थ्य एवं स्वास्थ्यकर पर काफी ध्यान दिया गया है |

    स्वास्थ्य और तंदरुस्ती का महत्व -

  • स्वंय के स्वस्थ और तंदरुस्त रखने के लिए हम नियमित से निम्नलिखित तरीकों अपना सकते है | हमें अपनी व्यस्त दिनचर्या से कुछ समय निकालकर नियमित रूप से दैनिक शारीरिक व्यायाम में शामिल होना चाहिए | 
  • स्वंय को व्यायाम 30-60 मिनट का या सप्ताह में 5 से 6 बार व्यायाम किसी भी व्यक्ति के तंदरुस्त रहने के लिए पर्याप्त है | एक व्यक्ति के लिए सही समय पर सही मात्रा में स्वच्छ आहार स्वस्थ और तंदरुस्त रहने के लिए बहुत आवश्यक है | 
  • तंदरुस्त और स्वस्थ रहने के लिए, सोने की अच्छी व्यवस्था किसी भी व्यक्ति के लिए बहुत आवश्यक है | स्वस्थ पोषण के साथ उच्च फाइबर, कम वसा, अधिक प्रोटीन और विटामिन व मिनरल के स्रोत अच्छे स्वास्थ्य के नींव है | 
  • बीमारियों के खतरे को कम करना | शारीरिक और मानसिक रूप से बेहतर महसूस कराना | आत्मविश्वास के स्टार को सुधारना | जीवन में सालों को जोड़कर आयु को लम्बी करने में मदद करना | तनाव को कम करना और जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना | तनाव का स्तर चिन्ता और अवसाद की भावना को कम करना |
  • सभी आयु वर्ग के लोगों के लिए विशेषरूप से युवा पीढ़ी से लिए नियमित शारीरिक गतिविधियों और नियमित व्यायाम आवश्यक है | स्वास्थ्य और तंदरुस्ती जीवन में खुशियाँ लाती है और एक व्यक्ति की तनावमुक्त और बीमारी मुक्त जीवन जीने में मदद करती है | 
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Friday, November 11, 2016

लहसुन खाने से फायदेमंद क्या है !

लहसुन के फायदे :

        लहसुन आयुर्वेद में कहा जाता है की इसके सेवन करने से आप जवान बने रहेगे | साथ ही यह कई बिमारियों से जैसे की बवासीर, कब्ज, कान का दर्द, ब्लड प्रेशर, भूख बढ़ाने आदि में किया जाता है | लहसुन का इस्तेमाल हम खाने का स्वाद बढ़ाने में किया जाता है | इसके इस्तेमाल से खाना का टेस्ट बदल जाता है | लेकिन आप जानते है की लहसुन की एक कलि हमारे शरीर को कई बीमारियों से बचाता है | आपके खाने का स्वाद ही नहीं बढाता है बल्कि आपके सेहत का भी ख्याल रखता है |


        लहसुन और शहद एक बहुत ही पुरानी दवा है | खाली पेट लहसुन खाने से होते है यह चमत्कारी फायदे अगर इम्यून सिस्टम कमजोर हो जाता है तो इंसान को सौ तरह की बीमारियाँ घेर लिती हैं | क्या आप जानते है की लहसुन और शहद को एक साथ मिला कर खाने से ये एंटीबायोटिक का काम करते हैं | यह एक प्रकार का सूपर फूड है | लहसुन पेट संबंधी समस्याओं के लिए काफी फायदेमंद है | साथ ही इसका सेवन करने से आपके पेट में मौजूद विषाक्त पधार्थो को साफ़ कर देता है | शुक्राणु बढाने में कैसे मददगार गरम दूध और शहद हमेशा कच्चे और शुद्ध शहद का ही प्रयोग करें क्योंकि यह कोलेस्ट्रोल को कम करने का मदद करता है | साथ ही इसे खाने से वजन भी कम होता है | लहसुन और शहद के इम्युनिटी बढाए इस धोल की शक्ति बढ़ जाती है और फिर यह इम्यून सिस्टम को मजबूत कर देता है | इम्यून सिस्टम मजबूत होने से शरीर मौसम की मार से बजा रहता है और उसे कोई बिमारी नहीं होती | दिल की सुरक्षा करे इस मिश्रण को खाने से हदय तक जाने वाली धमनियों में जमा वसा निकल जाता है जिससे खून का प्रवाह ठीक प्रकार से हदय तक पहुंच पाटा है | इससे हदय की सुरक्षा होती है | लहसुन खाने से गले की खराश दूर करे इस मिश्रण को लेने से गले का संक्रमण दूर होता है क्योंकि इसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण हैं | यह गले की खराश और सुजन को कम करता है | डयरिया से बचाए अगर किसी को डायरिया हो रहा हो तो उसे इसका मिश्रण खिलाएं | इससे उसका पाचन तंत्र दुरुस्त हो जाएगा और पेट के संक्रमण मर जाएंगे | सर्दी-जुखाम से राहत दिलाए इसको खाने से सर्दी-जुखाम के साथ साइनस की तकलीफ भी काफी कम हो जाती है | यह मिश्रण शरीर की गर्मी बढ़ता है और बीमारियों को दूर रखता है | यह फंगल इंफेक्शन से बचाए फंगल इंफेक्शन, शरीर के कई भागों पर हमला करते है लेकिन एंटीबैक्टीरियल गुणों से भरा यह मिश्रण बैक्टीरिया को ख़तम कर के शरीर को बचाता है |

कच्ची लहसुन खाने के लाभ -

  • लहसुन यह गले की खराश और सुजन को कम करता है | लहसुन को मिश्रण लेने का संक्रमण दूर होता है क्योकिं इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण रहते है | लहसुन और शहद के मेल से इस घोल की शक्ति बढ़ जाती है और फिर यह इम्यून सिस्टम को मजबूत कर देता है | इम्यून सिस्टम मजबूत होने से शरीर मौसम की मार से बचा रहता है और उसे कोई बिमारी नहीं होती है |
  • लहसुन को खाने से सर्दी-जुखाम के साथ साइनस की तकलीफ कम हो जाती है | यह मिश्रण शरीर की गर्मी बढाता है और बीमारियों को दूर रखता है | इस मिश्रण को खाने से हदय तक जाने वाली धमनियों में जमा वसा निकल जाता है जिससे खून का प्रवाह ठीक प्रकार से हदय तक पहुंच जाता है | इससे हदय की सुरक्षा होती है |  
  • लहसुन को शुद्ध और बिना गर्म किया शहद यौन उत्तेजना बढाता है क्योंकि इसमें अनेक पदार्थ जैसे, जिंक, विटामिन ई आदि होता है | यह पौरुष और प्रजनन स्वास्थ्य को बढावा देने का कार्य करता है | इसके अलावा रात को रोज सोते वक्त शहद पिसा लहसुन एक साथ मिक्स कर के खाना चाहिये | यह एक आपके सेक्युअल स्टैमिना और प्लेजर को बढ़ा देता है | 
  • लहसुन शायद वनस्पति जात की यह इकलौती वनस्पति है जिसमे सभी विटामिन और खनिज है | इसलिए लहसुन बालो के लिए भी फायदेमंद है | केवल लहसुन का सेवन ही नहीं बल्कि इसके तेल से भी बालो से जुडी सारी समस्याओं से निजात पाई जा सकती है |  बाल झड़ना - 50 ग्राम  सरसों का तेल, एक लहसुन की सब कलिया छीलकर डाल दे | मंदाग्री में पकाएं | कलिया जल जाए तो उतारकर छानकर बोतल में भर दें | रोज रात को सोने से पहले मालिश करे |
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Tuesday, November 1, 2016

वनस्पति में नीम के फायदे क्या क्या है ?

नीम के फायदे :

         वनस्पतियों में से निम् एक ऐसी वनस्पति है जो सूर्य के प्रतिबिम्ब की तरह है | यह अपने औशधिय गुणों की वजह से आयुर्वेदिक मेडिसिन में पिछले चार पांच हजारो सालों से भी ज्यादा समय से इस्तेमाल हो रहा है | नीम में इतने गुण हैं की ये कई तरह के रोगों के इलाज में काम आता है | यहाँ तक की इसको भारत में गाँव का दवाखाना कहा जाता है | इसकी छाल खासतौर पर मलेरिया और त्वचा संबंधी रोगों में बहुत उपयोगी होती है | नीम के पत्ते भारत से बाहर 34 देशों को निर्यात किए जाते हैं | इसके पत्तों में मौजूद बैक्टीरिया से लड़ने वाले गुण मुंहासे, छाले, खाज-खुजली वगेरे को दूर करने में मदद करते है |


        इस पृथ्वी पर जीवन सूर्य की शक्ति से ही चलता है | सूर्य की उर्जा से जन्म तमाम जीवों में नीम ने ही उस उर्जा को सबसे ज्यादा ग्रहण किया है | किसी भी बिमारी के लिए नीम आयुर्वेदि उपयोग किया जाता है | इस धरती पर मिलने वाले पत्तों में सबसे जटिल नीम का पत्ता ही है | नीम के पत्तों में जबरदस्त औशधिय गुण होता है | इसमें प्राणिक शक्ति भी बहुत अधिक है | अब वे नीम उगाने की कोशिश कर रहे है क्योंकि नीम को अनगिनत तरीकों से इस्तेमाल किया जा सकता है | अगर आपको दांत का दर्द है इसकी दातून का इस्तेमाल किया जाता है | अगर आपको कोई छूत की बीमारी है तो नीम के पत्तों पर लिटाया जाता है क्योंकि यह सिस्टम को साफ़ कर के उसको उर्जा से भर देता है | अगर आपके घर के पास कोई नीम का पेड़ है तो इसका आपके ऊपर कई तरह से अच्छा प्रभाव पड़ता है | अगर आप हर दिन नीम का सेवन करें तो ऐसा हो सकता है इसको कैंसर वाली कोशिकाओं की तादाद एक सीमा के अंदर रहती है ताकि वह हमारी प्रणाली पर हल्ला बोलने के लिए एकजुट न  हो सकें | इसलिए नीम का सेवन बहुत लाभदायक है | नीम में ऐसी भी क्षमता है की अगर आपकी रक्त धमनियों में कहीं कुछ जमना शुरू हो गया हो तो ये उसको साफ़ कर सकती है | नीम का तरह- तरह से इस्तेमाल करने से बैक्टीरिया के साथ निपटने में आपके शरीर की उर्जा खर्च नहीं होती | आप नहाने से पहले अपने बदन पर नीम का लेप लगा कर कुछ वक्त तक सूखने दें फिर उसको पानी से धो डालें | सिर्फ इतने से ही आपका बदन अच्छी तरह से साफ़ हो सकता है |

       नीम के औषधिय गुणों क्या है

  • बैक्टीरिया से भरी पड़ी है | हमारा शरीर बैक्टीरिया से भरा हुवा है | एक सामान्य आकार के शरीर में लगभग दस खरब कोशिकाएँ होती है | और सौ खरब से भी ज्यादा बैक्टीरिया होती है | आप एक है तो वे दस है | आपके भीतर इतने सारे जीव हैं कि आप कल्पना भी नहीं कर सकते है | इनमें से ज्यादातर बैक्टीरिया हमारे लिए फायदेमंद होते हैं | इनके बिना हम जिंदा नहीं रह सकते लेकिन कुछ ऐसे भी होते हैं जो हमारे लिए मुसीबत खडी कर सकते है | अगर आप नीम का सेवन करते है तो वह हानिकारक बैक्टीरिया को आपकी आंतों में ही नष्ट कर देता है | 
  • बिमारियों के लिए नीम के बहुत से अविश्वसनीय लाभ है | सबसे खास यह है की कैंसर-कोशिकाओं को नष्ट कर देता है | हर किसी के शारीर में कैंसर वाली कोशिकाएं होती है | यह एक जगह नहीं होतीं हर जगह बिखरी होती हैं | किसी वजह से अगर आपके शरीर में कुंछ खास हालात बन जाते है तो ये कोशिकाएं एकजुट हो जाती हैं |
  • नीम आपके सिस्टम को साफ़ रखने के साथ उसको खोलने में भी खास तौर से लाभकारी होती है | इस सबसे बढ़ कर यह शरीर में गर्मी पैदा करता है शरीर में इस तरह की गर्मी हमारे अन्दर साधना के द्वारा तीव्र और प्रचंड उर्जा पैदा करने में बहुत मदद करती है |
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Thursday, October 27, 2016

दीपावली कब और क्यों मनाया जाता है !

दीपावली का त्यौहार :

         यह दीवावली हिन्दुओं का बहुत महत्वपूर्ण त्यौहार है | दीपावली हिंदू कैलेंडर के अनुसार दीवाली अश्विन के महीने में कृष्ण पक्ष की १३ वें चंद्र दिन पर मनाया जाता है | यह परम्परागत रूप से हर साल मध्य अक्टूबर या नवम्बर में दशहरा के १८ दिन बाद मनाया जाता है | यह बात तो सभी को मालूम है की दीपावली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है भगवान राम जब असुरराज रावण को मारकर अयोध्या नगरी वापस आए तब नगरवासियों ने अयोध्या को साफ़-सुथरा करके रात को दीपकों की ज्योति से जलाया था | दीपावली का त्यौहार हर साल बहुत खुशियों के साथ आता है | दीपावली पाँच दिनों से अधिक समय धनतेरस से भाई-दूज पर पूरा होता है | कुछ स्थानों पर जैसे की महाराष्ट्र में यह छह दिनों में पूरा होता है | अधिक जानने के लिए निचे दिया हुवा है |
         भारतवर्ष में मनाए जाने वाले सभी त्योहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों द्रष्टि से अत्यधिक महत्त्व है | इसे दीपोत्सव भी कहते हैं | तमसो माँ ज्योतिर्गमय अर्थात अंधेरे से ज्योति अर्थात प्रकाश की ओर जाइए यह उपनिषदों की आज्ञा है | इसे सिख, बौद्रतथा जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं | जैन धर्म के लोग इसे महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते है | माना जाता है की दीपावली के दिन अयोध्या के राजा श्री रामचंद्र अपने चौद वर्ष के वनवास के पश्चात् लौटे थे | अयोध्यावासियों का हदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से उल्लसित था | श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीए जलाये थे | कार्तिक मास की सघन काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमग उठी थी | तब से आज तक भारतीय प्रति वर्ष यह प्रकाश-पर्व हर्ष व उल्लास से मनाया जाता है | दीपावली दीपों का त्यौहार है | भारतियों का विश्वास है की सत्य की सदा जीत होती है और झूठ का नाश होता है | दीवाली एक धार्मिक विविध रंगों के प्रयोग से रंगोली सजाने, प्रकाश और ख़ुशी का अंधकार हटाने का मिठाइयों का पूजा आदि का त्यौहार है जो पुरे भारत के साथ साथ देश के बाहर भी कई स्थानों पर मनाया जाता है | यह रौशनी की कतार या प्रकाश का त्यौहार कहा जाता है | सम्पूर्ण विश्व में मुख्य: हिन्दुओं और जैनियों द्वारा मनाया जाता है | उस दिन बहुत से देशों जैसे टोबागो, सिंगापुर, सुरिनम नेपाल, मारीशस,गुयाना त्रिनद और श्री लंका, म्यांमार, मलेशिया और फिजी में राष्ट्रीय अवकाश है |
         दिवाली का त्यौहार वर्ष का सबसे सुंदर और शांतिपूर्ण समय लाता है जो मनुष्य के जीवन में असली ख़ुशी के पल प्रदान करता है | भगवान की पूजा और त्योहरोत्सव हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है हमें अच्छे कार्यों को करने के प्रयासों के लिए शक्ति देता है देवत्व के और ज्यादा करीब लाता है | घर के चारों ओर दिये और मोमबत्ती जलाकर प्रत्येक कोने को प्रकाशमान किया जाता है | यह माना जाता है की पूजा और अपने करीबी और प्रियजनों को उपहार दिये बिना यह त्यौहार कभी पूरा नहीं होता है | व्यापारी अपने वर्ष के कर्च और लाभ जानने के लिए अपने बहीखातों की जाँच करते है | शिक्षक किसी भी विषय में अपने छात्रों की प्रदर्शन और प्रगति का निरिक्षण करते है | लोग उपहार देने के माध्यम से दुश्मनी हटाकर सभी से दोस्ती करते हैं | कॉलेज के छात्र अपने परिवार के सदस्यों, दोस्तों और रिश्तेदारों को दीवाली कार्ड और एस एम एस भेजते है |

  • दिवाली का पहला दिन धनतेरस के नाम से जाना जाता है जिसका अर्थ है घर में धन और समृद्धि का आना | लोग बर्तन, सोने और चाँदी के सिक्के, और अन्य वस्तुएँ खरीद कर इस विशवास के साथ अपने घर लाते है की घर में धन की वृद्धी होगी | 
  • दिवाली का दूसरा दिन नरक चतुर्दशी के नाम के जाना जाता है जो इस विश्वास के साथ मनाया जाता है की भगवान कृष्ण द्वारा राक्षस नरकासुर को हराया गया था | दिवाली का तीसरा दिन अमावश्य के साथ मनाया जाता है जो हिन्दू देवी लक्ष्मी की पूजा के इस विश्वास के साथ मनाया जाता है जो सभी इच्छाओं की पूर्ति करती है | 
  • दिवाली का चौथा दिन बलि प्रदा के नाम से जाना जाता है जो भगवान विष्णु की कथा से संबन्धित है जिन्होंने अपने वामन अवतार में राक्षस राजा बलि को हराया था | बलि बहुत महान राजा था किन्तु पृथ्वी पर शासन करते हुये वह लालची हो गया क्योंकि उसे भगवान कृष्ण द्वारा असीमित शक्तियों की प्राप्ति का वरदान मिला था | गोवर्धन पूजा इस विश्वास के साथ भी मनाया जाता है की भगवान कृष्ण ने असहनीय काम करके इन्द्र के गर्व को हराया था | 
  • दिवाली का पाँचवा दिन यम द्वितीया या भाई दूज के नाम से भी जाना जाता है | जो मृत्यु के देवता "यम" और उनकी बहन यामी के इस विश्वास के साथ मनाया जाता है | लोग इस दिन को बहन और भाई के एक दूसरे के प्रति प्रेम और स्नेह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है |
      दिवाली का जश्म मनाने के पीछे सबसे महशूर और अच्छी तरह से ज्ञात इतिहास का महान हिंदू महाकाव्य रामायण में उल्लेख किया है | इसके अनुसार राम १४ वर्ष का वन में एक लंबा जीवां के बाद अपने राज्य में वापस आये थे | राम के वनवास के पीछे महान उदेश्य लंका के दानव राजा रावण का वध करना था | भगवान राम अयोध्या लौटने का जश्म मनाया था | उस वर्ष से हर साल दीपावली का जश्म मनाने की यह महान हिंदू परंपरा बन गई |
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Saturday, October 15, 2016

चुकंदर (Beet) खाने से फायदे क्या क्या हैं ?

चुकंदर (Beet) फायदे : 

         चुकंदर एक ऐसी सब्जी है जिसे बहुत से लोग नापसंद करते है | इसके रस को पिने से ना केवल शरीर में रक्त में हिमोग्लोबिन की मात्रा बढती है बल्कि कई अन्य स्वास्थ्य लाभ भी होता है | चुकंदर के फायदा क्या है और क्यों खाना चाहिए | अधिक से लोग चुकंदर का सब्जी बनाकर खाते है | यदि आप सब्जी से नफ़रत करते हो तो सुकंदर के फायदे निचे दिया हुवा है |


         आप अपनी डायट में लाल-बैंगनी रंग के चुकंदर को शामिल नहीं कर रहे है तो फ़ौरन कर दीजिये | चुकंदर आपके ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रण में रखने से लेकर आपका सेक्सुअल स्टैमिना तक बढाता है | चुकंदर में अच्छी मात्रा में लौह की विटामिन और खनिज होता है | रक्त्वर्धन और शोधन के काम में सहायक होता है | इसमें पाए जाने वाले एंटीओक्सीडेंट तत्व शरीर को रोगों से लड़ने की क्षमता प्रदान करता है | खासकर के चुकंदर के रस का सेवन करने से व्यक्ति में रक्त संचार काफी बढ़ जाता है | रक्त की धमनियों में जमी हुई चर्बी को भी इसमें मौजूद बेटेन नामक तत्व जमने से रोकता है | चुकंदर एक कन्दमूल है और प्रोटीन भी मिलती है | यह जठर और आंतो को साफ़ रखने में मदद करता है | चुकंदर रक्तवर्धक (ब्लड को साफ़ करता ) शरीर में ताकत देने वाला और शरीर को लाल बनाने वाला कमजोरी को दूर करता है | चुकंदर का सेवन करने से शरीर फीकापन दूर होता है | शरीर लाल बनता है और शरीर में एक विशेष प्रकार की शक्ति एव चेतना उत्पन्न होता है | इसके अतिरिक्त चुकंदर दूध पिलाने वाली स्त्रियों के स्तनों में दूध को बढाता है |  यह जोड़ों के दर्द को दूर करता है | यह यकृत को शक्ति देता है और दिमाग को तरोताजा रखने में मदद करता है | सोडियम पोटेशियम, फोस्फोरस, क्लोरिन, आयोडीन, आयरन और अन्य महत्वपूर्ण विटामिन पाए जाते है | चुकंदर खाने से हिमोग्लोबिन बढ़ता है | उम्र के साथ उर्जा व शक्ति कम होने लगती है चुकंदर का सेवन अधिक उम्र वालों में भी उर्जा का संचार करता है | इसमें एंटीओक्सीडेंट पाए जाते है | जो हमेशा जवान बनाएं रखते है | चुकंदर शरीर को शुद्र और स्वस्थ करता है | यह बलगम को गलाकर बाहर निकालता है तथा गुर्दे के दर्द को झनकबाई  और दिमाग को तरोताजा रखता है | चुकंदर गुणकारी होने पर भी कंदमूल होने के कारण पचने में कुछ भारी पड़ता है | इसका अधिक मात्रा में सेवन कभी-कभी पेट में गैस पैदा करता है | अत: कमजोर पाचनशक्ति वालों को चुकंदर का प्रयोग सोच-विचार कर ही करना चाहिए |

      चुकंदर में पाये जाने वाले विभिन्न तत्व क्या है ?

  • चुकंदर में नाईट्रेटस का एक अच्छा स्त्रोत है इसका सेवन किए जाने पर ये नाइट्राईटस और एक गैस नाइट्रिक ऑक्साइड में बदल जाता है | ये दोनों तत्व धमनियों को चोडा करने और ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करता है | शोधकर्ताओं ने ये भी पाया है की हर रोज 500 ग्राम चुकंदर खाने से लगभग 6 घंटे में व्यक्ति का ब्लड प्रेशर घट जाता है | 
  • चुकंदर का रस या चुकंदर को पानी में उबालकर इसका सूप सेवन करने से पथरी गलकर निकल जाती है इसकी मात्रा ३ ग्राम तक दिनमे ४ बार है | यह प्रयोग कुछ सप्ताह तक निरन्तर जारी रखे | इस प्रयोग से गुर्दे की सुजन भी दूर हो जाती है | अत: गुर्दे के रोगों में लाभदायक है | चुकंदर का रस निकालकर या चुकंदर को पानी में उबालकर उसका सूप ३० मिलीलीटर २-३ सप्ताह तक पिने में ४ बार बनाकर पिने से पथरी गल जाती है | 
  • गर्भवती महिलाओं में चुकंदर उच्च मात्रा में फोलिक एसिड पाया जाता है | यह पोषक तत्व गर्भवती महिलाओं और अजन्म बच्चों के लिए महत्वपूर्ण होता है क्योकि इससे अजन्म बच्चे का मेरुदंड बनने में मदद मिलती है | चुकंदर गर्भवती महिलाओं को अतिरिक्त उर्जा देता है | 
  • चुकंदर को नेचुरल वियाग्रा भी कहा जाता है | पुराने ज़माने में इसका इस्तेमाल यौन स्वास्थ्य के लिए किया जाता है | चुकंदर नाइट्रिक ऑक्साइड रिलीज करता है जिससे की रक्त वाहिनियों का विस्तार होता है और जेनेटल्स में खून का दौरा बढ़ता है | इसके अलावा, चुकंदर में बहुत अधिक मात्रा में एक केमिकल बोरोन पाया जाता है जो की ह्युमन सेक्स हार्मोन के निर्माण में मददगार होता है | इसलिए अगर अगली बार वियाग्रा लेने का सोचें तो पहले चुकंदर ट्राई करना चाहिए |
  • चुकंदर का जूस पिने से व्यक्ति का स्टैमिना १६ प्रतिशत तक बढ़ जाता है | ऐसा इसके नाइट्रेट तत्व के कारण होता है | शरीर में ऑक्सीजन बढ़ने से मस्तिष्क भी ठीक प्रकार से अपना काम कर पाटा है | चुकंदर खाकर आप डिमेंशिया तक में राहत पा सकते है |

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Friday, September 23, 2016

चक्कर क्यों आता है और घरेलु उपचार कैसे करना हैं ?

चक्कर आने की समस्या :

         चक्कर शब्द का मतलब अलग-अलग लोगों के लिए अलग होता है | कुछ लोगों के लिए इसका मतलब है सर भारी सा लगना और असंतुलित महसूस करना जबकि दुसरे लोग इस शब्द का प्रयोग तब करते हैं जब वो ये बताना चाहते हैं की उन्हें आस-पास सबकुछ घूमता हुआ सा लग रहा है | इस बीमारी का लक्षण काफी अस्पष्ट सा है और ऐसे कई तत्व हैं जो चक्कर आने के कारण हो सकते हैं | इसलिए चक्कर आने पर या आने से पहले इसे रोकने के लिए उपाय करना एक प्रयत्न-त्रुटी विधि से उपयोग करने की प्रक्रिया हो सकती है |


         अगर आपको दिन में कई बार चक्कर आता है और पूरी दुनिया गोल-गोल घुमती नजर आती है तो हो सकता है की आप वर्टिगो नामक बिमारी से ग्रस्थ हों | सिर दर्द, चक्कर, नोजिया यह वर्टिगो के लक्षण हैं | वर्टिगो लैटिन का शब्द है, जिसका अर्थ है चक्कर आना | दरअसल इसमें यह एहसास होता है की सब कुछ घूम रहा है | कैसे निपटें लो ब्लड प्रेशर से आप स्थिर हैं लेकिन कुछ सेकेंड के लिए वातावरण चक्कर लगाने लगता है | खास बात यह की आडा या तिरछा देखने पर इसमें सब घूमता दिखाई देता है | कभी-कभी चक्कर के साथ उल्टी जैसा भी महसूस होता है | अगर आपको लगातार कई महीनों से चक्कर आ रहें हैं तो उसे नजरअंदाज न करें | कई बार चक्कर आने का कारण लो बीपी या एनीमिया भी होता है | चक्कर आना एक सामान्य समस्या है जिसमें इंसान का सिर अचानक से घूम जाता है और उसकी आँखों के सामने अँधेरा छाने लगता और वह गिर जाता है | लेकिन अधिक चक्कर आना भी आपके लिए खतरनाक हो सकता है | इसलिए इस समस्या को दूर करने के लिए वैदिक वाटिका आपको इसके कुछ सरल और आसान घरेलु उपायों के बारे में बता रहे है ताकि आप चक्कर आने की परेशानी से बच सकते है |

    घरेलु उपचार कैसे -
          यहाँ पर ऐसे कई उपाय बताये गए हैं जो आप तब अपना सकते है जब आपको चक्कर आ रहा हो | चक्कर आते ही सिर घुमने लगता है और आस-पास की सभी वस्तुएं घुमती नजर आती हैं | कई बार अधिक ऊंचाई पर या गहरे पानी को देखने से भी चक्कर सा आने लगता है | ऐसी स्थिति में क्या चिकित्सकीय उपचार है | यूं तो महीने के आखिरी दिनों में यदि मेहमान घर में आ जाएं तो कुछ मेजबानों को चक्कर आ जाता होगा परंतु यहाँ हम उस चक्कर की नहीं बल्कि वास्तविक चक्कर, वर्टिगो की बात कर रहे हैं |

  • नारियल पानी का सेवन और नारियल का पानी रोज पिने से चक्कर आना बंध हो जाते हैं | आंवले के पाउडर का सेवन सुखा आंवला पिस कर चूर्ण बनाये फिर 10 ग्राम आंवला चूर्ण को 10 ग्राम धनिया पाउडर के साथ 1 ग्लास पानी के साथ पीना चाहिए |
  • अदरक खाएं खाने में और चाय में अदरक का भरपूर प्रयोग करे अदरक चक्कर को रोक देता है | जब चक्कर आता है तब लेट जाएं तुरंत लेट जाएं | सिर के निचे तकिया जरुर लगाना चाहिए  |प्राणायाम करें अगर ज्यादा चक्कर आता है तो रोज सुबह उठ कर अनुमोल विमोल प्राणायाम करनी चाहिए | 
  • कम पियें चाय-कोफ़ी इस समस्या को दूर करने के लिए चाय और कोफ़ी पर नियंत्रण लगाए | इससे चक्कर आने की तकलीफ बढती है | ठंडा पानी पियें जब चक्कर आने पर और बर्फ के सामान ठंडा पानी 3 ग्लास पिने से भी तुरंत राहत मिलती है | 
  • ब्लडप्रेशर में अचानक से कमी का आना, दिमाग में खून का सही तरह से प्रवाह न हो पाना, शरीर में पोषक तत्वों की कमी आदि चक्कर आने की मुख्य वजह होता है | अक्सर चक्कर आने का कारण शरीर में पानी की कमी हो जाना होता है | सामान्यतय पानी की कमी तब होती है जब आप पर्याप्त मात्रा में पानी नहीं ले रहे होते हैं |
  • तेज चमक वाली रौसनी से आपका ध्यान भटक सकता है और चक्कर आने की समस्या गंभीर हो सकती है | किसी अँधेरे कमरे में बैठने या लेटने की कोशिश करें या एक या दो मिनट के लिए अपनी आँखे बंध कर लेनी चाहिए | 
  • अगर आपको चक्कर आते रहते हैं तो अचानक से कोई मूवमेंट नहीं करना चाहिए क्योंकि तेजी से मूवमेंट करने पर आपका ब्लडप्रेशर भयंकर रूप से बढ़ सकता है | आप जब भी उठे या बैठे तो अगर संभव हो तो आपको किसी मजबूत और स्थिर सतह को पकड़ के धीरे-धीरे और सतर्कता के साथ कोई भी हरकत करनी चाहिए |
उदहारण के लिए भूखे रहने पर आपको चक्कर आ सकता है, काफी तेजी से खड़े होने पर या बहुत गर्म पानी से नहाने पर भी आपको चक्कर आ सकता है | इसलिए चक्कर आने के कारणों का पता करके  आप पहले से ही चक्कर आने की समस्या का समाधान कर सकते है |

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Thursday, September 8, 2016

अस्थमा के कुछ बुनियादी का समस्या क्या है ?

अस्थमा का जीत :

           यहाँ आप जानेंगे अस्थमा के बारे में कुछ बुनियादी बाते । आप भी यह बात जान जाएंगे की अस्थमा पर जीत आसान है ।और आप यह जीत हासिल कर सकते है । अस्थमा पर जीत कितनी आसान है । हमें सिर्फ रोजाना अपनी दवा लेनी होती है जो मुझे बिलकुल ठीक रखती है । मगर मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं की एक लंबे समय तक मैं डॉक्टर के पास जाने से बचता रहा । मुझे खाँसी आती थी मगर क्योंकि इन दिनों बहुत बार लोग प्रदुषण या फ़्लू वगैरा की वजह से भी खाँसते हैं । अपने फेफड़ों में निचे दिया हुवा ऐसे दीखता हैं । यह डॉक्टर ने कुछ तस्वीरों और मॉडल्स की मदद से समझाया की अस्थमा होने पर यह होता हैं ।


             फेफड़ों के अंदर छोटी-छोटी हवा-नलिया (एयर ट्यूब्स) होती हैं जो ठीक तरह खुली होनी चाहिएँ जैसे यहाँ दिखाया गया है । मगर अस्थमा की वजह से यह हवा-नलियां बेहद संवेदनशील हो जाती हैं । अगर कोई चीज उनमे उत्तेजना पैदा करे तो उनमें अंदर से सूजन आ जाती हैं । और वो सिकुड़कर एक चिपचिपे पदार्थ जिसे " म्युकस" कहते है । यह ब्लॉक हो जाती हैं । इसलिए कभी-कभी साँस लेने में दिक्कत होती हैं ।

अस्थमा के रोगी के लिए क्या सावधानी बरते -
  • अस्थमा के रोगियो को अक्सर आम्लपित्त / एसिडिटी की तफलिफ होती है इसलिए चाय, कोफ़ी. तेल, गरम मसाला नहीं लेनी चाहिए | व्यायाम करने के 10 मिनिट पहले अपनी दवा लेनी चाहिए | अस्थमा वाले व्यक्ति को अकेले कभी व्यायाम नहीं करनी चाहिए | 
  • अस्थमा के दौरान के दरम्यान ठंडा पानी, आइसक्रीम, छाछ, ठंडे फ्रूटज्यूस इत्यादि नहीं लेनी चाहिए | ठंडे पानी से न नहाये या ज्यादा समय तक बालो को गिला ना रखे | सर्दी-जुखाम हलकी खाँसी, बुखार इनकी उपेक्षा ना करे | 
  • धुल, मिट्टी, ठंडी हवा गंध रसायन, सिगरेट-बीडी का धुवा,तंबाकू के संपर्क से बच कर रहना चाहिए | अस्थमा के अन्य कारणों से अपना बचाव करे | उदहारण के लिए ठंडी हवा, फूल के पराग कन प्रदूषित हवा, धुल, धुवा और अन्य | सर्दी-जुखाम या वायरल इन्फेक्शन होने पर कसरत नहीं करनी चाहिए |
  • अगर आपको एलर्जिक अस्थमा है तो घर के बाहर या जिस जगह पर धुल मिट्टी ज्यादा है वहा कसरत करने से बचना चाहिए | ठन्डे मौसम में घर के अन्दर व्यायाम करे या मुंह पर मास्क या स्कार्फ लगा कर व्यायाम करनी चाहिए | 
  • ठंडी के दिनों में हमेशा गरम कपडे पहने और थंड से अपना बचाव करे | AC के सामने ना सोये |
अस्थमा के रोगी के लिए दवा संबंधी जानकारी -

           हमेशा डॉक्टर द्वारा दी हुई पूरी दवाई ले. अस्थमा में दवाई हमेशा धीरे-धीरे कम की जाती है | डॉक्टर द्वारा दी हुई दवाई ख़त्म हो जाने पर डॉक्टर द्वारा निर्देशित तारीख पर फिरसे जाच कराने जाना चाहिए | अचानक दवा बंध करने से या डॉक्टर द्वारा बताते समय अनुसार दवा ना लेने पर अस्थमा दौरा फिरसे हो सकता है | डॉक्टर से कोई भी सवाल या समस्या पूछने से ना हिचकिचाए | कभी कभी डॉक्टरी सलाह मशवरे के बिना स्वयं मेडिकल से कोई भी दवा नहीं लेनी चाहिए |

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Sunday, September 4, 2016

गणेश चतुर्थी क्यों मनाया जाता है !

गणेश चतुर्थी महत्व :

        भारतीय संस्कृति के अनुसार संस्कारों में किसी कार्य की सफलता हेतु पहले उसके मंगला चरण या फिर पूजा देवों के वंदन की परम्परा रही है | सर्वप्रथम श्रीगणेश जी की वंदना व अर्चना का विधान है | इसलिए धर्म में सर्वप्रथम श्रीगणेश जी की पूजा से ही किसी कार्य की शुरुयात होती है | श्रीगणेश पूजा अपने आप में बहुत ही महत्वपूर्ण व कल्याणकारी है । चाहे वह किसी कार्य की सफलता के लिए हो या फिर चाहे किसी कामनापूर्ति स्त्री, पुत्र, पौत्र, धन, समृद्धि के लिए या फिर अचानक ही किसी संकट में पड़े हुए दुखों के निवारण हेतु हो । जो गणेश व्रत या पूजा करता है उसे मनोवांछित फल तथा श्रीगणेश प्रभु की कृपा प्राप्त होती है । पूजन से पहले नित्यादि क्रियाओं से निवृत्त होकर शुद्र आसान में बैठकर सभी पूजन सामग्री को एकत्रित कर पुष्प, धुप, दीप, कपूर, लाल चंदन, आदि एकत्रित कर क्रमशः पूजा करनी चाहिए । भगवान श्रीगणेश को तुलसी दल व तुलसी पत्र नहीं चढ़ाना चाहिए । उन्हें शुद्र स्थान से चुनी हुई दूर्वा को धोकर ही चढ़ाना चाहिए ।

     

         श्रीगणेशोत्सव की महारष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, आदि स्थानों में बड़ी ही धूम धाम होती है | भक्तगत यह ध्यान देते है की किसी भी पूजा के उपरांत सभी आवाहित देवताओं की शास्त्रीय विधि से पूजा-अर्चना करने के बाद उनका विसर्जन किया जाता है | किन्तु श्री लक्ष्मी और श्रीगणेश का विसर्जन नहीं किया जाता है | इसलिए श्रीगणेश जी की प्रतिमा का विसर्जन करे, किन्तु उन्हें अपने निवास स्थान में श्री लक्ष्मी जी सहित रहने के लिए नियंत्रित करनी चाहिए | पूजा के उपरांत क्षमा प्रार्थना करें सभी अतिथि व भक्तो का व्यवहार स्वागत करनी चाहिए | और पूजा कराने वाले ब्राम्हण को संतुष्ट कर यथा विधि पारिश्रमिक दान आदि देनी चाहिए | उन्हें पप्रणाम कर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर दीर्घायु, आरोग्यता, सुख, समृद्री, धन-ऐश्वर्य आदि को बढाने के योग्य बनें | श्रीगणेश भगवान को मोदक लड्डू अधिक प्रिय होते हैं इसलिए उन्हें देशी घी से बने मोदक का प्रसाद भी चाहिए | श्रीगणेश स्त्रोत से विशेष फल की प्राप्ति होती है | श्रीगणेश सहित प्रभु शिव व गौरी, नंदी, कार्तिकेय सहित सम्पूर्ण शिव परिवार की पूजा षोडशोपचार विधि से करना चाहिए | व्रत व पूजा के समय किसी प्रकार का क्रोध व गुस्सा न करें | यह हानिप्रद सिद्र हो सकता है | श्रीगणेश का ध्यान करते हुए शुद्र व सात्विक चित्त से प्रसन्न रहना चाहिए |

  • श्रीगणेश अनेक नामों से विख्यात विग्नेश्वर, विघ्न विनायक, रिद्धि के दाता भगवान गणेश सभी कार्यों में प्रथम पूजनीय है | इस से सभी परिचित है | 
  • तिथिषा वाहिंकौ गौरी गनेशोहिर्गुहो रवि: || वसुदुर्गंतको विश्वे हरी: काम: शिव: शशि: ||
  • प्रतिपदा तिथियों के अधिष्ठता क्रमश: इस प्रकाश है | तिथि तथा उनके स्वामी | अग्नि ब्रह्म गौरी गणेश सर्प कर्तिकेया सूर्य वसु दुर्गा काल विश्वेदेवा विष्णु कामदेव शिव चंद्रमा |
  •  चंद्र दर्शन सभी चतुर्थी पर, विशेष रूप से भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को निषिध माना जाता है | शास्त्रों व समाज में प्रचलित है की इस दिन चंद्र दर्शन करने से मिथ्या कलंक लगता है |
  • पुराणों में उल्लेख मिलता है की भगवान् कृष्ण को भी मिथ्या कलंक लगा था | द्वारिकवासी सत्राजित को सूर्य से एक मणि प्राप्त हुई. भगवान कृष्ण भी उस मणि को देख कर आकर्षित हुए थे | उन्होंने तो मजाक में यहाँ तक कह दिया था की यह मणि तो मुझे भी बहुत पसंद है |  कुछ समय के पश्चात सत्राजित को यह शंका हो गयी की भगवान कृष्ण ने ही वह मणि ली होगी. ऐसा मिथ्या कलंक भगवान को भी लगा |
  • दर्शन शास्त्र में कोई भी कार्य अकारण नहीं होता हमारे पूर्वज ऋषि मुनियों ने इस बात पता लगाया की ग्रहों की स्तिथि के अनुशार ही व्यक्ति का मन (मुड) बदलता रहता है |
  • ज्योतिष की गणना के अनुसार भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को सूर्य के जो त्रिभुज कक्षा बनती है उसे षडाषटक, नवपंचम और द्रविरद्वादश दोष बनता है | जिस कारण भी इस दिन चंद्र दर्शन करने से मिथ्या कलंक लगना स्वाभाविक है क्योकि हमारा मन और आत्मा दोनों पर कंट्रोल नहीं होता |                                                                                                                                                   यह आपको पढ़कर अच्छा लगा हो तो अपने मित्र या ग्रुप में अवश्य शेयर करे | स्वास्थ्य के लिए अधिक    जानकारी  www.jangaltips.blogspot.in  पे क्लिक करो या गूगल पर टाइप करो | यदि आपके  पास      स्वास्थ्य के बारे में अधिक जानकारी है तो हमारी                                                             E-mail Id है : jangaltipsin2015@gmail.com पर भेज सकते है Thanks.

Tuesday, August 30, 2016

त्वचा की समस्या और देखभाल के टिप्स क्या है ?

त्वचा की समस्या और देखभाल :

        त्वचा का गोरापन जन्म के साथ आता है | मगर इसका मतलब यह नहीं है की बाकी लोग की त्वचा गोरी नहीं हो सकती है | त्वचा में चमक यानी ग्लो दो तरह से आती है | एक महंगे कोस्मेटिक से जो टिकाऊ नहीं होती और दूसरा प्रकृति यानी कुदरत से हमें सुन्दर दिखने के लिए नायाब उपहार दिए है |  क्या आपने कभी खास मौसम में या किसी एलर्जी की वजह से अपनी त्वचा पर लाल-लाल चकत्तों का आना, खुजली या फिर नोंचने-खरोचने की इच्छा | यह सभी स्किन सेंसेटीविटी  यानी त्वचा संवेदनशीलता के संकेत हैं |


       अगर हम इसे आजमाएं तो त्वचा का गोरापन कोई सपना नहीं रह जाएगा | बस जरुरत है इसके इस्तेमाल की विधि को जानने की | त्वचा पर एलर्जी या बाहरी तत्वों से बचाव के लिए एक बैरियर होता है | यह बैरियर स्किन का PH लेवल होता है | स्किन बैरियर उन सभी कारकों से लड़ता है जो आपकी त्वचा की संवेदनशीलता को बढाती है | हमारी त्वचा बहुत सारे चीजों के संपर्क में आती है | जैसे एयर कंडीशन, मौसम, गर्मी, ठंड, बरसात, सूर्य की तेज पराबैंगनी किरणे केमिकल और धुल-गुबार इत्यादि | त्वचा की उपरी सतह पर pH लेवल ५.५ होता है | यह लेवल सभी तरह के बदलाव को सहन करता है |

घरेलु उपचार त्वचा की समस्या -
       इसे आजमाएं झाइयां होगी ख़त्म एक चम्मच क्रीम में पिसे हुए बादाम और नींबू का रस मिलाकर पेस्ट बना लें | इसे चेहरे पर लगाएं | इस फेस पैक से चेहरे की झाइयां ख़त्म होती है | सफ़ेद तिल और हल्दी की बराबर मात्रा लें और इसे पानी के साथ अच्छी तरह पिस लें | इस पेस्ट को प्रभावित स्थान पर लगाएं | सूखने पर उबटन की तरह मलकर छुडाएं | झाइयाँ छु मंतर हो जाएगी | झाइयों पर पपीता मलने से भी काफी फायदा होता है | हालांकि ऐसे बहुत से लोग हैं जिन्हें इस बात का नहीं पता होता की उनकी त्वचा किस प्रकार की है ? संवेदनशील या सामान्य तो आइए पहले जानते हैं की वे कौन से संकेत हैं जो हमें हमारी त्वचा की संवेदनशीलता का आभास कराते हैं |

  • शेव करने के बाद त्वचा रुखा हो जाना या जलन और खुजली होना | चेहरा धोने के बाद उसमें खिंचाव महसूस करना | त्वचा अचानक ज्यादा लाल हो जाना और मुंहासे निकल आना | मौसम के बदलाव का त्वचा पर जल्द असर दिखना | 
  • बिना किसी बाहरी कारण के भी त्वचा में जलन होना या खुजली होना | कुछ नहाने और कपडे के साबुन भी ऐसे होते हैं जिनके प्रयोग से त्वचा में जलन होने लगती हैं | 
स्किन का सेंसेटिव ख्याल कैसे रखना है |

  • जांच- परखकर ही कोस्मेटिक का इस्तेमाल करनी चाहिए | धुल-मिट्टी और केमिकल से त्वचा को बचा कर रखनी चाहिए | हर्बल और नेचुरल सौन्दर्य उत्पादों का इस्तेमाल करनी चाहिए | धुप में निकलने से पहले चेहरे पर सनस्क्रीन क्रीम या लोशन लगानी चाहिए |
  • ठंड में हमेशा मुलायम उन के स्वेटर पहने | सिंथेटिक उन से स्क्रीन में एलर्जी हो सकती है | बालों में कंघी के लिए कड़े बालों वाले ब्रश का इस्तेमाल नहीं करनी चाहिए | तेज परफ्यूम वाले साबुन या डिटरजेंट के प्रयोग से परहेज करनी चाहिए | सौंदर्य उत्पाद खरीदते समय लेबल को देख लें अगर वह संवेदनशील त्वचा के लिए है तभी ही खरीदनी चाहिए |
गोरापन पाने की आसान और उपाय कैसे करे |
  • चेहरा धोने के लिए हमेशा एंटी बैक्टेरिया साबुन का उपयोग करनी चाहिए | चेहरे को दिन में २-३ बार धोएं | जिनकी त्वचा तैलीय होती है उन्हें अधिक चेहरा नहीं धोना चाहिए क्योकि यह त्वचा की तेल ग्रंथियों को सक्रीय करती है | 
  • सप्ताह में २-३ बार चेहरे को स्क्रब करना चाहिए क्योकि इससे त्वचा की मृत त्वचा कोशिका खत्म होती है और नई कोशिकाओं का निर्माण होता है | दिन भर में कम से कम १० ग्लाश पानी पिएँ | पानी आपके श रीर से विषाक्त पदार्थो को बाहर करती है |                                                                                             यह आपको पढ़कर अच्छा लगा हो तो अपने मित्र या ग्रुप में अवश्य शेयर करे | स्वास्थ्य के लिए अधिक    जानकारी  www.jangaltips.blogspot.in  पे क्लिक करो या गूगल पर टाइप करो | यदि आपके  पास स्वास्थ्य के बारे में अधिक जानकारी है तो हमारी                                                      E-mail Id है : jangaltipsin2015@gmail.com पर भेज सकते है Thanks.

     
      
        

Saturday, August 27, 2016

खुजली का समस्या और उपचार कैसे करना है !

खुजली का समस्या :

          खुजली शरीर में कई कारण हो सकते है | जैसे की किसी खाध पदार्थ या दवा से एलर्जी, त्वचा का रुखा होना, ठीक से न नहाना और गंदे कपडे पहनना मच्छर या अन्य किटानो काटने से कोई चर्म रोग या पेट में कीड़े होने आदि पर खुजली की समस्या हो सकती है | रिसर्च के अनुसार, शरीर में इम्यून सिस्टम में गड़बड़ी के कारण भी खुजली होती है | खुजली होने पर किसी भी काम में मन नहीं लगता इंसान सिड्चीडा होता है | इसलिए इसको दूर करने के उपाय करना बहुत जरुरी होता है |


       यहाँ निचे दिया हुवा चार पांच प्रकार है जैसे की नारियल, पुदीना, तुलसी, सेब के सिरके, और नींबू अनेक काम आने वाली खुजली को दूर कर शकते है |

  • नारियल का तेल खुजली वाली त्वचा के लिए तेल बहुत अच्छा होता है | शुष्क त्वचा या मच्छर के काटने पर होने वाली खुजली के लिए तो नारियल का तेल अद्रत काम करता है | प्रभावित क्षेत्र पर सीधा इसे लगाना नारियल के तेल को इस्तेमाल करने का सबसे अच्छा तरीका हैं | 
  • तुलसी के पत्ते थिमोल और कपूर से समृद्र होने के कारण है | इनमे त्वचा की जलन को कम करने की क्षमता होती है | खुजली होने पर तुलसी के कुछ पत्तों को लेकर उन्हें प्रभावित क्षेत्र पर रगड़े | या तुलसी के पत्तों की चाय बनाकर उसे खुजली वाले स्थान पर लगाना चाहिए | 
  • विटामिन C से नींबू समृद्र और ब्लीचिंग प्रकृति के कारण नींबू खुजली वाली त्वचा के लिए सबसे अच्छे उपायों में से एक है | नींबू में मौजूद वाष्पशील तेल में उत्तेजना को सुन्न करने की क्षमता होती है | जिसके कारण यह जलन और सुजन को दूर करने में मदद करता है | इसके लिए नींबू को काटकर उसके रस को खुजली वाली जगह पर मलने से हर तरह की खुजली से छुटकारा मिल जाता है |
  • कीड़े के काटने और खुजली के लिए पुदीना बहुत अच्छा होता है | यह शीतल संवेदना प्रदान कर आपको तुरंत राहत का अनुभव करता है | इसकी पत्तियों को मसलकर सीधे खुजली वाले स्थान पर रगड़ना पुदीने को लगाने का सबसे आसान और तेल तरीका है |
  • बहुत से लोग सेब का सिरका सिर में रुसी को दूर करने के लिए सिरके का उपयोग करते हैं | इसी तरह से यह खुजली वाली त्वचा के लिए भी अच्छी तरह से काम करता है | इसमें मौजूद एंटीसेप्टिक और एंटीफंगल गुण इसे खुजली विरोध एजेंट बनता है | खुजली वाले स्थान पर रुई की सहायत से सेब के सिरके को लगाने से फायदा होता है | 
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Sunday, August 21, 2016

मच्छरों से कैसे बच पाएं

मच्छरों से छुटकारा कैसे पाएं :

           कोई मच्छर आपके कान के पास भिनभिनाये और यह जानना की थोड़ी देर में आपके शरीर के खुले हुए हिस्से पर उसके काटने का निशान भी हो जाता है | ज्यादा आद्रता वाले क्षेत्रों में मच्छर पनपते हैं और दुनिया के कई हिस्सों में ये बीमारियाँ फ़ैलाने के जिम्मेदार हैं | चाहे आप अपनी अगली कैंपिंग में मच्छर के काटने से बचना चाहते हों या अपने यार्ड में मच्छारों की जनसंख्या को सिमित करना चाहते हो तो इस लेख में आपके लिए मददगार तरीके हैं | यह जानने के लिए की मच्छारों से कैसे छुटकारा पाएं और उन्हें वापस आने से कैसे रोकें |
       

आपके पास ऐसी कोई चीज नहीं है ? तो मच्छर  को अपने दोनों हाथों से ताली बजाते हुए मार दें । दोनों हाथों का उपयोग एक हाथ की अपेक्षा अधिक प्रभावी होगी क्योंकि दोनों हाथों की तरफ से आ रही हवा उसे आपके किसी हाथ तक पंहुचा ही देगी । अपने शरीर से दूर रखना मच्छरों के काटे जाने से बचने का सर्वोत्तम तरीका है | जब आप घर के बाहर हों विशेषत: दिन के समय अपने शरीर के खुले हिस्सों और कपड़ों पर इन्फेक्ट रिपेलेंट लगाएं | जब आप सनस्क्रीन का उपयोग कर रहें हों तो उसे इन्सेक्ट रिपेलेंट से पहले लगाएं | दो महीने से कम के नवजातों की सुरक्षा के लिए रिपेलेंट के स्थान पर सही माप की मच्छरदानी का प्रयोग करें | प्रयोगशाला में सिंथेटिक केमिकल्स को मिलकर बनाये गए केमिकल निवारकों के सुरक्षित होने पर प्रश्न उठाये गएँ है और इनके बजे कई प्राकृतिक उपाय भी उपलब्ध है जिनका आप उपयोग कर सकते हैं | सिट्रोनेल ऑइल सिनमन ऑइल और केस्टर ऑइल मच्छरों को दूर रखने में प्रभि माने जाते है | लेमन यूकेलिप्टस का तेल भी बाजार में कई नामो से उपलब्ध है इन्हें प्राकृतिक रूप से यूकेलिप्टस से निकल कर बनाया जाता है और इनमे बड़ी अच्छी सुगंध और अहसास मिलता है | ये प्लास्टिक की परत जैसे नहीं लगते और मच्छरों को भगाने में प्रभावी है | गर्म मौसम में भरी और गहरे रंग के कपड़ों को पहनने से बचें | मच्छर गर्म शरीरों के प्रति आकर्षित होते है | ठंडा रहना मच्छरों के काटने से बचने का एक प्रभावी उपाय है | ऐसा प्रतीत होता है की कला, नीला और लाल रंग भी मच्छरों को सबसे ज्यादा पसंद हैं | मच्छरों मौसम में बाहर होने पर सेंट न लगाएं मच्छर पसीने से आकर्षित होते है | रात के समय खुद को सुरक्षित रखने के लिए मच्छरदानी का उपयोग करना चाहिए | यदि आप मच्छरों के अधिक्य वाली जगह पर सो रहे हैं तो मच्छरदानी को ऐसे उपयोग करें की वह चारों तरफ से आपको घेर ले | केवल यही एक प्रभावी तरीका है जो उन्हें अंदर आकर आपको काटने से रोक सकता है |

  • नियमित रूप से जांच करे की आपकी मच्छरदानी में कोई छेद ना हो पैर के अधिक लब्मे नाख़ून भी सोते समय इसमें छेद कर सकते हैं | सुनिश्चित करें की सोते हुए आप कहीं से भी मच्छरदानी को न छुए |
  • जब आप मच्छरों का आधिक्य महसूस करें तो पालतू पशुओं या पक्षियों के आश्रम को मच्छरदानी से ढक दें | अपने घर के सब दरवाजे और खिडकियों में छेद या टूट-फुट की जांच करे जिनसे मच्छर अंदर आ सकते हों | मच्छरों को अंदर आने से रोकने का कोई एकदम निश्चित तरीका नहीं है परंतु इन क़दमों को उठाने से आपको मदद करुर मिलेगी |
  • शाम,सुबह और अँधेरे में बाहर आने की प्रवत्ति होती है इसलिए अगर आप से हो सके तो इन समयों पर घर के अंदर ही रहें | जब आप ऐसे समय पर बाहर निकलतें है जब मच्छर सबसे ज्यादा सक्रीय हों तो स्वयं को उनसे सुरक्षित रखने के लिए पर्याप्त कपडे पहनें |
  • आप कही बाहर खाना खा रहें हैं तो आप उचित दुरी पर साबुन के पानी से भरा एक बर्तन रख के मच्छरों से बच सकते है | मच्छर पानी के स्त्रोत की तरफ आकर्षित होंगे और वे साबुन के झाग में फस के डूब जाता है | 
  • अपने घर के आस-पास लहसुन उगाएँ | यह आपके घर के आस-पास या बालकनी आदि में कहीं भी लगाया जा सकता है | लहसुन पाउडर का अपने अहाते में छिडकाव भी भागने में मददगार हो सकता है | अपने अहाते और आँगन के क्षेत्रो के आसपास थोडा अतिरिक्त छिडकाव करें | यह आपके पालतू पशुओं को अगर वो इस क्षेत्र में सोते हैं तो मच्छरों के काटने से बचा सकता है |
  • अगर किसी विशेष पानी के स्त्रोत को हटाना संभव न हो तो ऐसे पामी में Bacillus Thuringiensis Israelensis (BTIs) छोड़ दें | BTIs बैक्टीरिया की एसी प्रजाति है जो लार्वासाइड की तरह काम करता है और यह एक महीने जितने समय तक मच्छर के लार्वा को मारता रहता है इसके अतिरिक्त यह बच्चो और पालतू जानवरों के लिए सिरक्षित होता है और विषेला नहीं होता है |
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Tuesday, August 16, 2016

रक्षा बंधन का महत्व और विशेष क्या है ?

रक्षा बंधन का महत्व और विशेष :

          रक्षा बंधन के पर्व श्रवन मॉस की पूर्णिमा को मनाया जाता है | यह पर्व भाई-बहन के रिश्तों की अटूट डोर का प्रतिक है | यह एक भारतीय परम्पराओं का ऐसा पर्व है | यह केवल भाई बहन के स्नेह के साथ हर सामाजिक संबंध को मजबूत करता है | इस लिए यह पर्व भाई-बहन को आपस में जोड़ने के साथ साथ सांस्कृतिक सामाजिक महत्व रखता है | रक्षा बंधन के महत्व को समझने के लिए सबसे पहले इसके अर्थ को समझाना होगा रक्षाबंधन का महत्व रक्षा+बंधन दो शब्दों से मिलकर बना है | इस दिन भाई अपनी बहन को उसकी दायित्वों का वचन अपने ऊपर लेते है | आज के परिपेक्ष्य में राखी केवल बहन का रिश्ता स्वीकारना नहीं है | अपितु राखी का अर्थ है जो यह श्रधा या विश्वास का धागा बांधता है | वह राखी बंधवाने वाले व्यक्ति के दायित्वों को स्वीकार करता है | उस रिश्ते को पूरी निष्ठा से निभाने की कोशिश करता है |


         रक्षा बंधन का पर्व विशेष रूप से भावनाओं और संवेदनाओ का पर्व है | एक ऐसा बंधन जो दो जनों के स्नेह की धागे से बांध ले | रक्षा बंधन को भाई बहन तक ही सिमित रखना सही नहीं होगा बल्कि ऐसा कोई भी बंधन जो किसी को भी बांध सकता है | भाई-बहन के रिश्ते की सीमाओ से आगे बढ़ते हुए यह बंधन आज गुरु का शिष्य को राखी बांधना एक भाई का दुसरे भाई को बहनों का आपस में राखी बांधना और दो मित्रों का एक -दुसरे को राखी बांधना, माता-पिता का संतान को राखी बांधना हो सकता है | आज के सिमित परिवारों में कई बार घर में केवल दो बहेन या दो भाई ही होते है इस स्थिति में रक्षा बंधन के त्यौहार पर मासूस होते है | यह रक्षा बंधन का पर्व किस प्रकार मनायेंगे | उन्हें कौन राखी बांधेगा या फिर वे किसे राखी बांधेगी इस प्रकार की स्थिति सामान्य रूप से हमारे आसपास देखि जा सकती है | ऐसा नहीं है की केवल भाई बहन के रिश्तों को ही मजबूती या राखी की आवश्यकता होती है | जबकि बहन का बहन को और भाई का भाई को राखी बांधना एक दुसरे के करीब लाता है | आधुनिक युग में समय की कमी ने रिश्तों में एक अलग तरह की दुरी बना दी है | जिसमे एक दुसरे के लिए समय नहीं होता इसके कारण परिवार के सदस्य भी आपस में बातचीत नहीं कर पाते है | गलतफहमियों को स्थान मिलता है | अगर इस दिन बहन-बहन और भाई-भाई को राखी बांधता है तो इस प्रकार की समस्याओं से निपटा जा सकता है | यह पर्व सांप्रदायिकता और वर्ग-जाती की दीवार को गिराने में भी मुख्य भूमिका निभा सकता है | राखी कच्चे सूत जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे,तथा सोने या चाँदी जैसी महँगी वस्तु तक की ही सकती है | राखी सामान्यत: बहेनें भाई को ही बाँधती है परन्तु ब्राहमणों गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों जैसे पुत्री द्वारा पिता को भी बाँधी जाती है | कभी-कभी सार्वजनिक रूप से किसी नेता या प्रतिष्ठत व्यक्ति को भी राखी बाँधी जाती है |

एक रक्षाबंधन की यहाँ कथा है :-
        रक्षाबंधन कब प्रारंभ हुवा इसके विषय में कोई निच्शित कथा नहीं है लेकिन जैसा की भविष्य पूरण में लिखा है की उसके सबसे पहले इन्द्र की पत्नी ने देवराज इन्द्र को देवासुर संग्राम में असुरों पर विजय पाने के लिए मंत्र से सिद्र करके रक्षा सूत्र बंधा था | इससे सूत्र की शक्ति से देवराज युद्ध में विजय हुवा | शिशुपाल के वध के समय भगवान कृष्ण की उंगली कट गई थी तब द्रोपदी ने अपनी साडी का आंचल फाड़कर कृष्ण की उंगली पर बांध दिया | इस दिन सावन पूर्णिमा की तिथि थी | भगवान श्रीकृष्ण ने द्रोपदी को वचन दिया की समय आने पर वह आंचल के एक-एक सूत का कर्ज उतरेंगे | द्रोपदी के चीरहरण के समय श्रीकृष्ण ने इसी वचन को निभाया | आधुनिक समय में राजपूत रानी कर्मावती की कहानी काफी प्रचलित है | राजपूत रानी ने राज्य की रक्षा के लिए मुग़ल शासक हुमायूं को राखी भेजी | हुमायूं ने राजपूत रानी को बहन मानकर राखी की लाज राखी और उनके राज्य की शत्रु से बचाया था | 

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Friday, August 12, 2016

स्वतंत्र 15 अगस्त क्यों मनाते है ?

स्वतंत्र का दिवस :

           15 अगस्त का हमारे देश में रास्ट्रीय महत्व है | भारत का स्वतंत्रता दिवस हर वर्ष 15 अगस्त को मनाया जाता है | सन 1947 में इसी दिन भारत के निवासियों ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की थी | हर साल 15 अगस्त के दिन भारत के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीन से देश को संम्बोधित करते है | 15 अगस्त 1947 के दिन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने दिल्ली में लाल किले के लाहौर गेट के ऊपर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया था |


          महात्मा गाँधी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्र संग्राम में लोगों ने काफी हद तक अहिंसक प्रतिरोध और सविनय अवज्ञा आंदोलनों में हिस्सा लिया | स्वतंत्र के बाद ब्रिटिश भारत को धार्मिक आधार पर विभाजित किया गया जिसमें भारत और पाकिस्तान का उदय हवा | विभाजन के बाद दोनों देशों में हिंसक दंगे भड़क गए और सांप्रदायिक हिंसा की वजह से लगभग 15 लाख लोग ने एक से दुसरे देश को विस्थापित हुये | इस दिन को झंडा फहराने के समारोह पर परेड और सांस्कृतिक आयोजनों के साथ पुरे भारत में मनाया जाता है | भारतीय इस दिन अपनी पोशाक, सामान, घरों और वाहनों पर राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शित कर इस उत्सव को मनाते हैं और व दोस्तों के साथ देशभक्ति फ़िल्में देखते है | इस दिन देशभक्ति के गीत सुनते हैं | 17 वीं सदी से ही यूरोपीय व्यापारियों ने भारतीय उपमहाद्वीप में पैर जमाना आरम्भ कर दिया था | अपनी सैन्य शक्ति में बढ़ोतरी करते हुये ईस्ट इण्डिया कंपनी ने 18 वीं सदी के अन्त तक स्थानीय राज्यों को अपने वशीभूत करके अपने आप को स्थापित कर लिया था | 1857 का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद भारत सरकार अधिनियम 1858 के अनुसार भारत पर सीधा अधिपत्य ब्रिटानी ताज का हो गया | दशकों बाद नागरिक समाज ने धीरे-धीरे अपना विकास किया और इसके परिणामस्वरूप 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का निर्माण हुवा | प्रथम विश्व युद्ध  इसके परिणामस्वरूप मोहनदास करमचन्द गांधी के नेतृत्व में असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोपनों तथा राष्ट्रव्यापी अहिंसक आंदोलनों की शरुआत हो गयी | 1930 के दशक के दौरान ब्रिटानी कानूनों में धीरे-धीरे सुधार जारी रहे परिणामी चुनावों में कांग्रेस ने जीत दर्ज की | द्वितीय विश्व युद्ध में भारत की सहभागिता कांग्रेस द्वारा असहयोग का अंतिम फैसला और अखिल भारतीय मुस्लिम लीग द्वारा मुस्लिम राष्ट्रवाद का उदय 1947 में स्वतंत्रता के समय तक राजनितिक तनाव बढ़ता गया | आनन्दोत्सव उपमहाद्वीप के भारत और पाकिस्तान के खूनी विभाजन के रूप में अन्त हुवा |
          भारत की स्वतंत्रता में लाखो मुस्लिम, सिख और हिन्दू शरणार्थियों ने स्वतंत्रता के बाद तैयार नयी सीमाओ को पैदल पार कर सफ़र तय किया | महात्मा गांधी की उपस्थिति ने सांप्रदायिक हिंसा को कम किया | नई सीमाओं के दोनों और 2 लाख 50 हजार से 10 लाख लोग हिंसा में मारे गए | पूरा देश स्वतंत्रता दिवस मना रहा था | गाँधी जी नरसंहार को रोकने की कोशिश में कलकत्ता में रुक गए पर 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस घोषित हुवा और पाकिस्तान नया देश अस्तित्व में आया मुहम्मद अली जिन्ना ने कराची में पहले गवर्नर के रूप में शपथ ली | भारत की संविधान सभा ने नई दिल्ली में संविधान होल में 14 अगस्त को 11.00 बजे अपने पांचवें सत्र की बैठक की सत्र की अध्यक्षता राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने की | इस सत्र में जवाहर लाल नेहरु ने भारत की आजादी की घोषणा करते हुए ट्रिस्ट विद डेस्टिनी नामक भाषण दिया | सभा के सदस्यों ने ओपचारिक रूप से देश की सेवा करने की शपथ ली | महिलाओं के एक समूह ने भारत की महिलाओं का प्रतिनिधित्व किया व ओपचारिक रूप से विधानसभा को राष्ट्रीय ध्वज भेंट किया | अधिकारिक समारोह नई दिल्ली में हुए जिसके बाद भारत एक स्वतंत्र देश बन गया | नेहरु ने प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में पद ग्रहण किया है और वायसराय लोर्ड माउंटबेटन ने पहले गवर्नर जनरल के रूप में अपना पदभार संभाला | महात्मा गाँधी के नाम के साथ लोगों ने इस अवसर को मनाया | गाँधी ने हालांकि खुद आधिकारिक घटनाओं में कोई हिस्सा नहीं लिया | इससे बजाय, उन्होंने हिंदू, और मुसलमाननों  के बिच शांति को प्रोत्साहित करने के लिए कलकत्ता में एक भीड़ से बात की उस दौरान ये 24 घंटे उपवास पर रहे | 15 अगस्त 1947 को सुबह 11.00 बजे संघटक सभा ने भारत की स्वतंत्रता का समारोह आरंभ किया, जिसमे अधिकारों का हस्तांतरण किया गया | जैसे ही मध्यरात्रि की घडी आई भारत ने अपनी स्वतंत्रता हासिल की और एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया |
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गर्मी के बाद बारिश का शरीर को क्या लाभ मिलती है |

 बारिश के लाभ :           गर्मी के बाद बारिश बहुत ही सुकून देती है | बारिश का इंतज़ार हर किसी को रहता है | बारिश के पानी का लाभ सभी को ...