दीपावली का त्यौहार :
यह दीवावली हिन्दुओं का बहुत महत्वपूर्ण त्यौहार है | दीपावली हिंदू कैलेंडर के अनुसार दीवाली अश्विन के महीने में कृष्ण पक्ष की १३ वें चंद्र दिन पर मनाया जाता है | यह परम्परागत रूप से हर साल मध्य अक्टूबर या नवम्बर में दशहरा के १८ दिन बाद मनाया जाता है | यह बात तो सभी को मालूम है की दीपावली का त्यौहार क्यों मनाया जाता है भगवान राम जब असुरराज रावण को मारकर अयोध्या नगरी वापस आए तब नगरवासियों ने अयोध्या को साफ़-सुथरा करके रात को दीपकों की ज्योति से जलाया था | दीपावली का त्यौहार हर साल बहुत खुशियों के साथ आता है | दीपावली पाँच दिनों से अधिक समय धनतेरस से भाई-दूज पर पूरा होता है | कुछ स्थानों पर जैसे की महाराष्ट्र में यह छह दिनों में पूरा होता है | अधिक जानने के लिए निचे दिया हुवा है |
भारतवर्ष में मनाए जाने वाले सभी त्योहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों द्रष्टि से अत्यधिक महत्त्व है | इसे दीपोत्सव भी कहते हैं | तमसो माँ ज्योतिर्गमय अर्थात अंधेरे से ज्योति अर्थात प्रकाश की ओर जाइए यह उपनिषदों की आज्ञा है | इसे सिख, बौद्रतथा जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं | जैन धर्म के लोग इसे महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते है | माना जाता है की दीपावली के दिन अयोध्या के राजा श्री रामचंद्र अपने चौद वर्ष के वनवास के पश्चात् लौटे थे | अयोध्यावासियों का हदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से उल्लसित था | श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीए जलाये थे | कार्तिक मास की सघन काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमग उठी थी | तब से आज तक भारतीय प्रति वर्ष यह प्रकाश-पर्व हर्ष व उल्लास से मनाया जाता है | दीपावली दीपों का त्यौहार है | भारतियों का विश्वास है की सत्य की सदा जीत होती है और झूठ का नाश होता है | दीवाली एक धार्मिक विविध रंगों के प्रयोग से रंगोली सजाने, प्रकाश और ख़ुशी का अंधकार हटाने का मिठाइयों का पूजा आदि का त्यौहार है जो पुरे भारत के साथ साथ देश के बाहर भी कई स्थानों पर मनाया जाता है | यह रौशनी की कतार या प्रकाश का त्यौहार कहा जाता है | सम्पूर्ण विश्व में मुख्य: हिन्दुओं और जैनियों द्वारा मनाया जाता है | उस दिन बहुत से देशों जैसे टोबागो, सिंगापुर, सुरिनम नेपाल, मारीशस,गुयाना त्रिनद और श्री लंका, म्यांमार, मलेशिया और फिजी में राष्ट्रीय अवकाश है |
दिवाली का त्यौहार वर्ष का सबसे सुंदर और शांतिपूर्ण समय लाता है जो मनुष्य के जीवन में असली ख़ुशी के पल प्रदान करता है | भगवान की पूजा और त्योहरोत्सव हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाता है हमें अच्छे कार्यों को करने के प्रयासों के लिए शक्ति देता है देवत्व के और ज्यादा करीब लाता है | घर के चारों ओर दिये और मोमबत्ती जलाकर प्रत्येक कोने को प्रकाशमान किया जाता है | यह माना जाता है की पूजा और अपने करीबी और प्रियजनों को उपहार दिये बिना यह त्यौहार कभी पूरा नहीं होता है | व्यापारी अपने वर्ष के कर्च और लाभ जानने के लिए अपने बहीखातों की जाँच करते है | शिक्षक किसी भी विषय में अपने छात्रों की प्रदर्शन और प्रगति का निरिक्षण करते है | लोग उपहार देने के माध्यम से दुश्मनी हटाकर सभी से दोस्ती करते हैं | कॉलेज के छात्र अपने परिवार के सदस्यों, दोस्तों और रिश्तेदारों को दीवाली कार्ड और एस एम एस भेजते है |
- दिवाली का पहला दिन धनतेरस के नाम से जाना जाता है जिसका अर्थ है घर में धन और समृद्धि का आना | लोग बर्तन, सोने और चाँदी के सिक्के, और अन्य वस्तुएँ खरीद कर इस विशवास के साथ अपने घर लाते है की घर में धन की वृद्धी होगी |
- दिवाली का दूसरा दिन नरक चतुर्दशी के नाम के जाना जाता है जो इस विश्वास के साथ मनाया जाता है की भगवान कृष्ण द्वारा राक्षस नरकासुर को हराया गया था | दिवाली का तीसरा दिन अमावश्य के साथ मनाया जाता है जो हिन्दू देवी लक्ष्मी की पूजा के इस विश्वास के साथ मनाया जाता है जो सभी इच्छाओं की पूर्ति करती है |
- दिवाली का चौथा दिन बलि प्रदा के नाम से जाना जाता है जो भगवान विष्णु की कथा से संबन्धित है जिन्होंने अपने वामन अवतार में राक्षस राजा बलि को हराया था | बलि बहुत महान राजा था किन्तु पृथ्वी पर शासन करते हुये वह लालची हो गया क्योंकि उसे भगवान कृष्ण द्वारा असीमित शक्तियों की प्राप्ति का वरदान मिला था | गोवर्धन पूजा इस विश्वास के साथ भी मनाया जाता है की भगवान कृष्ण ने असहनीय काम करके इन्द्र के गर्व को हराया था |
- दिवाली का पाँचवा दिन यम द्वितीया या भाई दूज के नाम से भी जाना जाता है | जो मृत्यु के देवता "यम" और उनकी बहन यामी के इस विश्वास के साथ मनाया जाता है | लोग इस दिन को बहन और भाई के एक दूसरे के प्रति प्रेम और स्नेह के उपलक्ष्य में मनाया जाता है |
दिवाली का जश्म मनाने के पीछे सबसे महशूर और अच्छी तरह से ज्ञात इतिहास का महान हिंदू महाकाव्य रामायण में उल्लेख किया है | इसके अनुसार राम १४ वर्ष का वन में एक लंबा जीवां के बाद अपने राज्य में वापस आये थे | राम के वनवास के पीछे महान उदेश्य लंका के दानव राजा रावण का वध करना था | भगवान राम अयोध्या लौटने का जश्म मनाया था | उस वर्ष से हर साल दीपावली का जश्म मनाने की यह महान हिंदू परंपरा बन गई |
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