Tuesday, July 26, 2016

तीन साल तक बच्चों की खान-पान कैसे रखनी है |

बचपन में बच्चों खान-पान :

        बचपन में बच्चों का खान-पान भी विशेष हो तो उनकी सेहत भी अच्छी बनी रहती है | बच्चों की परवरिश में उनके शुरूआती तीन साल बहुत अहम् होते है | बच्चों में खान-पान का असर उनके विकास में ताउम्र सहायक रहता है |


बच्चों की बीमारी का ध्यान रखें :-

       बीमारी के दौरान भी फीडिंग को बंद न करनी चाहिएं | बीमारी के बाद बच्चों को अतिरिक्त आहार की जरुरत होती है ऐसे में उसके खानपान का विशेष ख्याल रखें | यदि बच्चा सुस्त दिखे तो उसे अधिक खाना खिलाएं | यदि फिर भी कोई फर्क मालूम न पड़े तो विशेषज्ञ को दिखाएं |

प्रारंभिक सालों में आहार के नियम जानते है !

  • 0-6 माह तक : जन्म के समय से छह माह तक सिर्फ ब्रेस्ट फीडिंग करना चाहिए | किसी भी तरह का खाधपदार्थ या पेय पधार्थ यहां तक पानी भी न देनी चाहिए |
  • 6-12 माह तक : छह महीने के बाद कम मात्रा में बच्चे को पूरी तरह से पका हुवा अनाज, दाल, सब्जियां व फल खिलाना शुरू करनी चाहिए | धीरे-धीरे आहार की मात्रा गाढ़ापन बढाएं | बच्चे के भूखा होने के संकेत को समझों | कम से कम 4-5 बार उन्हें खिलाना चाहिए और साथ ही ब्रेस्ट फीडिंग भी करवाना चाहिएं |  
  • 1-2 वर्ष की उम्र तक : बच्चे को चावल, रोटी, हरी पत्तेदार सब्जिया, दाल, पीले फल और दूध से बने पधार्थ खिलाना चाहिएं | दिन में कम से का 5 बार थोडा-थोडा करके ये आहार खिलाना चाहिएं | उसे अलग बर्तन में खाने को देनी और इस बात पर निगरानी रखें की वह कितनी मात्रा में खाना खा रहा है | खाते समय उसके साथ बैठें और उसे खाने के लिए प्रोत्साहित करनी चाहिएं | दो साल की उम्र तक खाने के अलावा उसे फीड भी करवाएं | अगर मुमकिन हो तो इसे आगे भी जारी रखनी चाहिएं |
  • 2-3 वर्ष की उम्र तक : दिन में 5 बार बच्चे को घर का बना पूरा खाना खिलाना चाहिएं | उसे अपने आप खाना खाने के लिए सिखाएं | वह खाते समय उसके साथ बैठना चाहिएं | खाने से पहले साबुन से हाथ अच्छा धुलावएं 
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Thursday, July 21, 2016

ब्यूटी पार्लर के टिप्स और वास्तु के बारे में जानकारी है !

ब्यूटी पार्लर :

        ब्यूटी पार्लर और वास्तु टिप्स यह अपनाने पर इस व्यवसाय को सफल होने में देर नहीं लगाती है | यह तो महिलाओं के साथ-साथ पुरुषो में भी सौंदर्य के प्रति जागरूकता बढ़ गई है | ज्यादा तर महानगरो में ब्यूटी पार्लर का व्यवसाय तो करोड़ों का हो चूका है | पुरुष और महिला दोनों के लिए एक ही ब्यूटी पार्लर का भी प्रचालन बढ़ गया है | यह आजकल ब्यूटी पार्लर महानगरों तथा नगरों के प्रत्येक मुख्य स्थान या गली मुहल्लों में अवश्य ही देखने को मिलता है | यह एक भारतीय संस्कृति पर सभ्यता का ही प्रभाव है अन्यथा भारतीय संस्कृति इस व्यवस्था के प्रति सकारात्मक द्रस्टीकोण नहीं रखती है | जो भी हो समयानुकूल बदलाव होना विकास की और ही संकेत करता है | परिवर्तन एक शाश्वत चलने वाली प्रक्रिया है |


ब्यूटी पार्लर की कमाई के प्रश्न क्या है :-
        सभी ब्यूटी पार्लर की अंधाधुंध कमाई में अगर व्यवसाय फल फुल रहा है तो बहुत सुन्दर और यदि नहीं तो क्यों नहीं ? कभी कभी ऐसा भी देखा गया है की शहर के मुख्य स्थल पर ब्यूटी पार्लर के होते हुए भी अच्छा रेस्पांस नहीं मिलता है | जो गली के अंदर ब्यूटी पार्लर है वहा अच्छा रेस्पांस दे रहे है | इसका मुख्य कारण है की ब्यूटी पार्लर में वास्तु दोष का होना । वास्तु दोष होने पर सकारात्मक ऊर्जा के स्थान पर नकारत्मक ऊर्जा इतना बढ़ जाता है की कई बार ग्राहक को अच्छा रेस्पांस मिले तो वास्तु के निम्न नियमो के अनुरूप आतंरिक साज - सज्जा करके अंधाधुंध कमाई के पात्र बन जाता है ।

निचे दिया हुवा वास्तु टिप्स के क्या क्या लागू करना है ।

  •  ब्यूटी पार्लर का मुख्य द्वार उत्तर ईशान कोण या पूर्व में होना अच्छा होता है । रिस्पेप्शन काउंटर इस प्रकार बनाये की रिसेप्सनिस्ट का मुख्य हमेशा ईशान पूर्व या उत्तर में होना चाहिए । दर्पण दिशा को उत्तर पूर्व या उत्तर और पूर्व दोनों में लगाना चाहिए ।
  •  ब्यूटी पार्लर का मुख्य प्रवेश द्वार पर अंदर की और गणपति की मूर्ती स्थापित करनी चाहिए । वाश बेशिन उत्तर ईशानकोण या पूर्व दिशा में लगाना चाहिए । कैश काउंटर के आस पास मछली घर रखने से धन की वृद्धि होती है । 
  •  कैश काउंटर इस प्रकार रखे की खोलने पर उसका मुख्य उत्तर तथा पूरब दिशा में खुलना चाहिए । पूर्व दक्षिण में बिजली के स्विच व उपकरण होना चाहिए । स्टीम बाथ तथा पेंट्री को आग्नेय कोण में बनाये ।
  • मुख्य ब्यूटीशियन को इस प्रकार बैठना चाहिए की उसका मुंह उत्तर या पूर्व की और रहे | सभी सोंदार्ये प्रसाधन को पश्चिम दिशा में रखना चाहिए | शौचालय दक्षिण या पश्चिम दिशा में होना चाहिए | ग्राहकों को सदैव वायव्य उत्तर या पश्चिम में बैठाना चाहिए | दीवारों या पर्दों का रंग हल्का गुलाबी, नारंगी, आसमानी और हल्का बैंगनी होनी चाहिए | 
  • पार्लर का नाम किसी स्त्रीलिंग शब्द से रखना चाहिए | तौलिया का प्रयोग सफ़ेद या हल्का गुलाबी रंग का ही करना चाहिए | फिजिकल फिटनेस के लिए कोई मशीन, उपकरण आदि हो तो उन्हें नैरित्यु पश्चिम या दक्षिण में लगाएं | 
  • ब्यूटी पार्लर के आग्नेय कोण में हमेशा एक केंडल या लाल बल्ब जलाकर रखना चाहिए | इससे सकारात्मक उर्जा बढती है | कारीगरों में कार्य करने की क्षमता बढ़ जाती है | थ्रेडिंग. वैक्सिंग, पेडिक्योर, मैनी क्योर, हेयर कटिंग, महेंदी, कलरिंग, ट्रिमिंग आदि कार्य कोण पूर्व-दक्षिण में करना चाहिए |
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Tuesday, July 12, 2016

चमकता चेहरा कैसे बनाये !

चमकता चेहरा :

        हर किसीको अपनी-अपनी चहरे की चाहत होती है | चाहे लड़का हो या लड़की  सभी अपनी चेहरे का सौंदर्य चाहत रखते है | दिन भर अपने साथ चेहरे पर लगाने के लिए कई तरह की जैसे की फैराव्लावली, फेस वोश घर में रखते है | ज्यादातर लडकियों में अपने चेहरे के प्रति ज्यादा चिंताए देखी जाती है | कई लोग इस तरह के फेस वोश इस्तेमाल अपने घरो में ही रहकर करते है | अधिक तर लडकियों अपने चेहरे की चमक के लिए हप्ते में दो या तीन बार ब्यूटी पार्लर में जाते है | पानी को कमसे कम रोज ३ से ५ लीटर रोज का पानी पीना चाहिए | इसमें भरपूर शरीर को नमी मिलेगी त्वचा कोमल और साफ़ रहता है | पानी हमारे शरीर में मौजूद गंदगी को साफ़ करता है |
       अगर आप अपनी चेहरे की खूबसूरती को बरक़रार और चमकता हुवा बनाना चाहते है तो कई तरह के तरीको का इस्तेमाल करते है | आप अपने घर बेठे अपने चेहरे की सुंदरता बना सकते है | जैसे की टमाटर में विटामिन `C ' भरपूर मात्रा में होता है | टमाटर की एक प्रमुख खास विशेषता यह है की प्राकृतिक ब्लीच के रूप में भी कार्य करता है | पहले तो दो टमाटर के छिलके को अच्छे से निकाल ले उसमे सिल्के के भीतरी भाग अपने चेहरे की त्वचा की धीरे धीरे रगड़े | रोज सुबह-साम ऐसा करना है चेहरे में धीरे धीरे चमक आने लगेगी |
हम घर बेठे चेहरा चमकता कैसे करे ?
  •   हर दिन रात का नींद ठीक से पूरा होना चाहिए | कम सोने की वजह से हमारे चहेरे की त्वचा मुरझाने लगती है | प्रत्येक दिन रात ८ घंटा सोना ही चाहिए |
  • दूध और पिसा हुवा चावल के पाउडर को मिलाकर चेहरे को साफ़ करने से चेहरे में चमक आती है | काला मस्सा ब्लक हेड जैसी समस्या भी दूर हो जाती है |
  • जैसे फलो के जूस को अधिक से अधिक पिए जिसमे ज्यादा मात्रा में विटामिन `C ' मिलता हो जैसे आम, संतरा ये अंदर से आपके चेहरे में चमक मिलती है |
  • मछली में एक खास तरह की तेल मिलती है | वह प्रोटीन से भरपूर होती है | मछली में नमक तत्व मिलता है जो चेहरे को त्वचा की लिए अच्छी होती है | मछली की सेवन करना चाहिए |
  • अनार का दाना हमारे शरीर में रक्त को बन्ने में मदद करता है | वैज्ञानिको के शोध के अनुसार अनार के एक दाने से एक बूंद रक्त का निर्माण होता है | इसमें चेहरे में धीरे-धीरे लालिमा आने लगती है | 
  • बर्फ की सिल्ली चेहरे की त्वचा में ठंडक बनायी रखती है | इसमें सिल्ली से मस्सगे करने से चेहरे में ब्लड सर्कुलेशन अच्छी बनी रहती है | बर्फ के सिल्ली को अपने हाथो से चेहरे पर धीरे-धीरे स्क्रुबे रगड़े |
  • हरी चाय में पाए जानी वाली ग्रेडीनेट तत्व कैफीन में त्वचा के कोशिका को उत्तेजित करने की क्षमता पाए जाती है | जो नए त्वचा को विकास करने में मदद करता है |
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Friday, July 8, 2016

फर्स्ट एड बोक्स और तीन प्रारंभिक चरण क्या है ?

फर्स्ट एड बोक्स :

      जहां हम रहते हैं काम करते है वहा फर्स्ट-एड बोक्स अवश्य होना चाहिए | यही नहीं, इसकी जगह फिक्स होनी चाहिए और यह हमेशा अपडेट रहना चाहिए | प्राथमिक उपचार की ट्रेनिग भी सबको मिलना चाहिए | हालाँकि इसकी पहली शर्त है धैर्य न खोए | पहले हालात को समझे और फिर पहल करें | हैल्थ इमरजेंसी में पीड़ित व्यक्ति की मदद करने के साथ मददगार ज्यादा जोखिम ना उठाए |

       किसी भी इमरजेंसी में हड़बड़ी न करना चाहिए | पहले तो मरीज का हालात को समझें और फिर पहल करना है | हैल्थ इमरजेंसी के समय पीड़ित व्यक्ति की मदद करने के साथ उसे सांत्वना देना हौसला बढ़ाना जरुरी है तो यह भी जरुरी है | जो की मददगार जोखिम ना उठाए |
निचे दिया हुवा तीन प्रारंभिक चरण -
 १. सबसे पहले हालात को समझाना चाहिए | खतरा हो तो हड़बड़ी नहीं दिखाना हैं | मदद के लिए चिल्लाएं या कोल करें | आप खुद सुरक्षित हों तो ही घायल व्यक्ति की तरफ ध्यान दें |
२. इमरजेंसी फोन नंबर सबको पता होना चाहिए | अपने मोबाइल फोन में इन्हें सेव करना चाहिए | फर्स्ट एड बोक्स में भी ये नंबर होना जरुरी है | 
३. मदद आने तक घायल व्यक्ति का ध्यान रखें | उसे अकेला ना छोड़ें | सांत्वना दें | उसका हौसला बढ़ाना चाहिए |
        साधारण चोट हो तो घायल व्यक्ति को संभालने का प्रयास करें | प्राथमिक उपचार कर दें और सांत्वना देने चाहिए |मसल्स या हड्डी में चोट हो तो घायल व्यक्ति को बिना मूव किए बर्फ लगाएं | कोल्ड पैक्स एप्लाय करना चाहिए | ब्लीडिंग रोकने के प्रयास करें | सावधानी के साथ बेंडेज लपेट देना है | बर्न वाले दुर्घटना हो तो ठंडा व साफ़ पानी डालें | बर्न त्वचा हटाने की कोशिश भी ना करें | कोई क्रीम ना लगाएं | प्राथमिक उपचार के बाद साबुन से हाथ धोना ना भूलें | साथ ही मदद करने के पहले अपनी सुरक्षा का भी ध्यान रखनी चाहिए |

  • घायल या पीड़ित व्यक्ति का उपचार तब ही करें जब ऐसा करना जरुरी हो | मसलन, चोट लगने से खून बह रहा हो तो क्लीन बेन्ड़ेजेस से घाव को कवर करें | ब्लीडिंग रोकने के लिए प्रेशर लगाएं |
  • घायल व्यक्ति डरा होगा तो उसका रंग पिला हो जाएगा त्वचा ब्लुईस हो जाएगी | तापमान कम हो जाएगा | वह उलटी करने लगेगा या पानी मांगेगा | फर्स्ट एड से आप उसके शोक को नियंत्रित नहीं कर सकते | ऐसे समय उसे संभालने के प्रयास करें | प्रयास करें की उसे हवा मिले |
  • घायल व्यक्ति को पीठ के बल लिटा दें | और उसका मुंह थोडा खोल दे | ब्लीडिंग रोकने के प्रयास करें | संभव हो तो व्यक्ति के पैरो के बिच की दुरी फिट भरकर दें | घायल व्यक्ति को कुछ नहीं खिलाएं | कोई तरल पधार्थ पिलाएँगे तो उलटी होने लगेगी |
 क्या होनी चाहिए फर्स्ट बोक्स में विभिन्न आकार व् प्रकार के पर्याप्त बेंडेजेस घाव या कट्स पर लगाने के लिए गाज पेड्स सीजर्स | एंटिसेप्टिक और डिसइन्फेक्टेड जैसे अल्कोहोल या हाइड्रोजन पैराक्साइड आदि | सामान्य पेनकिलर्स इनकी एक्सपायरी का ध्यान रखना है | ग्लोब्ज, थर्मोमीटर, टोर्च, नीडल पेट्रोलियम जैली, प्लास्टिक बेग्स |इमरजेंसी नंबर अस्पताल, फायर स्टेशन, चिकित्सक आदि और यूजर गाइड |


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Tuesday, July 5, 2016

मानसिक रोगों और गुस्सा क्या है ?

गुस्से का कारण :

        यह रोग ऐसा है की बोलने हंसने या रोने की तरह गुस्सा भी अभिव्यक्ति है | स्वाभाविक गुस्सा प्रतिक्रिया है, पर ज्यादा गुस्सा शरीर और मन दोनों के लिए अच्छा नहीं रहता है | गुस्सा रोकना उचित नहीं है | हमारे अंदर ही अंदर घुटने वाले आत्महत्या तक का दुसाहस कर बैठते है | आशय है जहा जितना जरुरी हो उतना गुस्सा करें अन्यथा कई रोगों के शिकार हो जाता है |


        शारीरिक मानसिक रोगों में गुस्सा मस्तिष्क के कोरिस्टोल हार्मोन को प्रभावित करता है | इससे मस्तिष्क को ऑक्सीजन की सप्लाय प्रभावित होती है और सिरदर्द होने लगता है | अवसाद और चिंता यदि लगातार तनाव या नकारात्मकता में जीएगें तो अवसाद या चिंता के शिकार हो जायेगे | सकारात्मक जीवन जिएँ और भावनाओं को व्यक्त करते रहना चाहिए | प्रोफेशनल लाइफ में गुस्से को नियंत्रित ना करने का असर आपकी प्रोफेशनल जिंदगी को प्रभावित करेगा | कार्यस्थल पर कोई भी विवाद हो या अप्रिय स्थिति हो तो कुंठित होने या असंतुष्ठ होने से बेहतर है खुद को रिलीज करें | अपने साथियो परिवारजनों से बात करें | इससे आपका भावावेश रिलीज हो जाएगा |

गुस्से में शरीर को क्या होता है -
  • डायबिटीज को अत्यधिक गुस्सा करने पर टाइप-टू का खतरा बढ़ जाता है | जो लोग छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा होते है उन्हें डायबिटीज हो जाती है |
  • घाव में भावावेश घावों के भरने की प्रक्रिया को धीमा करते है | शोधकर्ता कहते हैं की सर्जरी के बाद गुस्सा ना करे | ज्यादा गुस्सा करने वाले लोगों को ऑफ्टर सर्जरी अस्पताल में ज्यादा दिन रुकना पड़ता है | गुस्सैल व्यक्ति के सामान्य कड्स या घावों को भरने में भी भावावेश जे कारण अधिक समय लगता है |
  • चर्म रोग में सोरोसिस एक्जिमा या स्किन रेशेस जैसे चर्म रोगों का एक कारण है | मानसिक तनाव थकान तनावपूर्ण लाइफ स्टाइल | गुस्सा अभिव्यक्त ना करने से तनाव बढ़ता है तो अत्यधिक गुस्सा अविचलित कर सकता है | 
  • हदय रोग के २५ से ज्यादा चिकित्सकीय अध्ययन का निष्कर्ष है की गुस्सा कोरोनरी हदय रोगों का खतरा बढाता है | स्वस्थ व्यक्ति को भी गुस्से से बचना चाहिए और जिन्हें कोरोनरी हदय रोग है उन्हें तो कतई गुस्सा नहीं करना चाहिए | 
  • ब्लड प्रेशर हाई कई अध्ययनों का निष्कर्ष है की जो लोग अपना भावावेश या गुस्सा छुपाते हैं अथवा दबा लेते है वह हाई ब्लड प्रेशर का शिकार हो जाते है | इसी तरह असंयमित गुस्सा भी ब्लड प्रेशर स्तर अनियंत्रित करता है |
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Friday, July 1, 2016

बारिश के मौसम में बीमार क्यों पड़ते है ?

बीमार क्यों पड़ते है :

        बारिश के मौसम में वात, पित्त और कफ तीनों के प्रभावित हो जाने से बिमारी होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है | मौसम के दूषित जल और नमीयुक्त वायु से शरीर की गर्माहट कम हो जाती है | बारिश के दिनों में आसमान बादलों घिरा रहता है और हवा में नमी बनी रहती है | बच्चे ही नहीं बड़े भी ऐसे मौसम में बीमार पड़ जाते है | ऐसे में में सबसे बड़ी चुनौती रहती है खुद को स्वस्थ रखना | मौसम के सुहानी में दस्तक कई बीमारियों की स्वागत भी लाती है | बारिश के मौसम में सबसे ज्यादा बीमारियाँ गंदे पानी से होती है | उनमे से एक टाइफाइड है | यह गंभीर बीमारी है अगर समय रहते पकड़ में आ जाए तो एंटीबायोटिक्स देने से ठीक हो जाता है | टाइफाइड आमतोर पर समय पर पकड़ में नहीं आता है | शुरू में तो मामूली बुखार लगता है जिसे अकसर अनदेखा कर देते हैं | कई बार पता ही नहीं चलता की बच्चों को बुखार है लेकिन यह बुखार अंदर ही अंदर पनप रहा होती है |

बीमार क्यों पड़ते और फिट रहने के लिए क्या करना है ?
        मौसम के दूषित जल और नमीयुक्त वायु से शरीर की गर्माहट कम हो जाती है | गर्माहट कम होने से शरीर की पाचन क्रिया प्रभावित होती है | साथ ही इस समय वायु और जल गंदा होता है जिसमे शरीर का पित्त प्रभावित हो जाता है | गंदे वातावरण में स्पर्श से कफ पर भी असर पड़ता है | इस तरह बारिश के मौसम में वात, पित्त और कफ तीनों के प्रभावित हो जाने से बिमारी होने की संभावना सबसे ज्यादा होती है | बारिश के मौसम स्वस्थ रहने के लिए गर्मी देने वाले पदार्थो का सेवन करना चाहिए जैसे मूंग की दाल, मट्टा, नींबू, अंजीर और खजूर इत्यादि | पानी उबालकर ही पीना चाहिए | प्रतिदिन हरड के चूर्ण के साथ सेंधा नमक का सेवन करना चाहिए | अधिक वर्षा के दिनों में लवणयुक्त खट्टे पधार्थो का सेवन करना चाहिए | तेल लगाकर नहाना चाहिए | पहनने के वस्त्रों को अकसर धुप में सुखाना चाहिए | इस प्रकार कुछ सावधानियां बरतकर आप स्वस्थ रहकर बारिश के मौसम का आनंद ले सकते है |

  • पानी में सालमोनेला बैक्टीरिया पानी या खाने के द्वारा हमारी आंत में जाता है | जिसमे आंत में अल्सर हो जाता है | यह अल्सर बुखार की वजह बनता है | यह बेक्टीरिया ज्यादातर पोल्द्री प्रोडक्स जैसे अंडे को खाने से शरीर में जाता है |
  • जब तक जांच द्वारा टाइफाइड का पता चले और उसका इलाज शुरू न हो तब तक मरीज बुखार से पीड़ित रहता है | हर किसी को इस सुहाने मौसम का पूरा लुफ्त उठाने की इच्छा होती है पर साथ ही इस मौसम में लोग अक्सर जल्दी बीमार हो जाते है | 
  • बारिश के मौसम में मलेरिया, डेंगू, सर्दी-खासी, जुलाब, उलटी पीलिया इत्यादि अनेक रोग फैलते है | जिस तरह हम बारिश से बचने के लिए छाते के इस्तेमाल करते है ठीक उसी तरह बरसात के मौसम में फैलनेवाली इन बिमारियों से बचने के लिए हमें कुछ एहतियात रूपी छाते का इस्तेमाल करना चाहिए |
  • हमेशा ताजे और स्वस्छ सब्जी फल का सेवन करना चाहिए | ध्यान रहे की खाने से पहले फल सब्जी को अच्छे से स्वच्छ पानी से धो कर साफ़ कर लेनी चाहिए | बासी भोजन पहले से कटे हुए फल तथा दूषित भोजन का सेवन न करे | हमेशा ताजा गरम खाना खाए | 
  • इन दिनों में हमारी पाचन शक्ति सबसे कम होती है | इसलिए जरुरी है अधिक तला, भुना खाना न खाया जाए बल्की एसा भोजन खाए जो आसानी से पच जाए | ज्यादा ठंडा, खट्टा न खाए | ज्यादा नमक वाली चीजे जैसे चिप्स, कुरकुटे, चटनी, पापड कम खाए |
  • बाहर का सडक के किनारे मिलनेवाला या होटल का खाना खाने से पूरी तरह बचना चाहिए | हमेशा उबाल कर ठंडा किया हुबा या फ़िल्टर किए हुए स्वच्छ पानी का सेवन करे | कम से कम १५ मिनट तक पानी अवश्य उबाले |
  • वर्षा ऋतू में अधिक नमी होने के कारण शरीर की गर्मी निकलती है और साथ ही पसीना भी ज्यादा आता है ऐसे में जरुरी है की शरीर में पर्याप्त पानी का प्रमाण रखने के लिए भरपूर पानी का सेवन करे | ठंडा पेय पिने की बजह तुलसी, इलायची की चाय थोडा गरम पानी पीना ज्यादा फायदेमंद होता है |
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गर्मी के बाद बारिश का शरीर को क्या लाभ मिलती है |

 बारिश के लाभ :           गर्मी के बाद बारिश बहुत ही सुकून देती है | बारिश का इंतज़ार हर किसी को रहता है | बारिश के पानी का लाभ सभी को ...