बचपन में बच्चों खान-पान :
बचपन में बच्चों का खान-पान भी विशेष हो तो उनकी सेहत भी अच्छी बनी रहती है | बच्चों की परवरिश में उनके शुरूआती तीन साल बहुत अहम् होते है | बच्चों में खान-पान का असर उनके विकास में ताउम्र सहायक रहता है |बीमारी के दौरान भी फीडिंग को बंद न करनी चाहिएं | बीमारी के बाद बच्चों को अतिरिक्त आहार की जरुरत होती है ऐसे में उसके खानपान का विशेष ख्याल रखें | यदि बच्चा सुस्त दिखे तो उसे अधिक खाना खिलाएं | यदि फिर भी कोई फर्क मालूम न पड़े तो विशेषज्ञ को दिखाएं |
प्रारंभिक सालों में आहार के नियम जानते है !
- 0-6 माह तक : जन्म के समय से छह माह तक सिर्फ ब्रेस्ट फीडिंग करना चाहिए | किसी भी तरह का खाधपदार्थ या पेय पधार्थ यहां तक पानी भी न देनी चाहिए |
- 6-12 माह तक : छह महीने के बाद कम मात्रा में बच्चे को पूरी तरह से पका हुवा अनाज, दाल, सब्जियां व फल खिलाना शुरू करनी चाहिए | धीरे-धीरे आहार की मात्रा गाढ़ापन बढाएं | बच्चे के भूखा होने के संकेत को समझों | कम से कम 4-5 बार उन्हें खिलाना चाहिए और साथ ही ब्रेस्ट फीडिंग भी करवाना चाहिएं |
- 1-2 वर्ष की उम्र तक : बच्चे को चावल, रोटी, हरी पत्तेदार सब्जिया, दाल, पीले फल और दूध से बने पधार्थ खिलाना चाहिएं | दिन में कम से का 5 बार थोडा-थोडा करके ये आहार खिलाना चाहिएं | उसे अलग बर्तन में खाने को देनी और इस बात पर निगरानी रखें की वह कितनी मात्रा में खाना खा रहा है | खाते समय उसके साथ बैठें और उसे खाने के लिए प्रोत्साहित करनी चाहिएं | दो साल की उम्र तक खाने के अलावा उसे फीड भी करवाएं | अगर मुमकिन हो तो इसे आगे भी जारी रखनी चाहिएं |
- 2-3 वर्ष की उम्र तक : दिन में 5 बार बच्चे को घर का बना पूरा खाना खिलाना चाहिएं | उसे अपने आप खाना खाने के लिए सिखाएं | वह खाते समय उसके साथ बैठना चाहिएं | खाने से पहले साबुन से हाथ अच्छा धुलावएं