पोलियो जानकारी :
पोलियो की बिमारी एक वायरस के द्रारा फेल जाती है | वायरल एक बहुत ही सुक्ष्म जिव होता है | पोलियो क्या है यह आम लोगों को समझ में नहीं आता है । यह दो बूंद जिंदगी के विज्ञापन तो हम सबको अच्छे लगते है । चलिए तो इसे ही जानते है । पोलियो नफेंटाइल पैरालिसिस या एक्यूट एंटिरीयल पोलियोमाइलिटीस का दुसरा नाम है | यह महामारी में होता है लेकिन हर समय मौजूद रहता है | हालांकि यह अक्सर बच्चों को अपना शिकार बनाता है | पोलियो बड़ी संख्या में लोगों को होता है और यह बीमारी किसी को भी हो सकता है |पोलियो के उपचार और कारण :-
पोलियो की नियमित्त एक प्रकार की टिका ( vaccine ) का आविष्कार किया है जिसका अंत: पेशी इंजेक्शन के रूप में प्रयोग करते हैं | अन्य उपचार के अंतर्गत खाद्य एवं पेय पधार्थो को माक्खियों एवं इसी प्रकार के अन्य जीवों से दूर रखना चाहिए और इसके लिए D.D.T. का प्रयोग अत्यंत लाभकारी है | स्कूल में तथा बोर्डिग हाउस में अधिकतर बच्चे आक्रांत होते है इसके लिए उनका किसी भी प्रकार से प्रुथक्करण आवश्यक है | रोग ग्रस्त बालक को ज्वर उतरने के बाद कम से कम तीन सप्ताह तक अलग रखना चाहिए | उसके मल मूत्र तथा शरीर से निकले अन्य उपसर्ग की सफाई रखना चाहिए | अन्य ओषधिजन्य उपचार के लिए किसी योग्य चिकित्सक की राय लेना उत्तम है | पोलियो के जो मुख्य रूप से वायरस के कारण फैलता है | इस वायरस को विज्ञान की भाषा पाउलिवाइरस के नाम से जाना जाता है | ज्यादातर वायरस युक्त भोजन के सेवन से यह रोग होता है | दूषित भोजन खाने से यह वायरस शरीर में सिर तक तक पहुँच जाता है जिसके कारण सिर की कोशिकायें नष्ट होने लगती हैं | यह वायरस श्वास तंत्र से भी शरीर में प्रवेश कर सकता है | यह वायरस स्पाइनल कोर्ड पर संक्रमण करके वहां पर सुजन पैदा कर देता है | इस सुजन के कारण बच्चे के हाथ और पैर कार्य करना बंध कर देते है | इसके अलावा गर्भवती महिला को यदि उचित प्रोटीन युक्त भोजन नहीं मिलता तो उसके बच्चे को भी पोलियो हो सकता है |
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