Friday, May 27, 2016

डूबने का विशेष दुर्घटनाएँ !

डूबने का आघात :
         डूबने पर अक्सर स्वासावरोध या आधात की अवस्था में स्वचालित साँस रूक जाती है जिसके परिणामस्वरुप दम घुटकर व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है | इसके अतिरिक्त जल में रहने के कारण देह स्वाभाविक गरमी की कमी हो जाती है \ डूब जाने का डर और सदमा भी कई बार आक्रांत की मृत्यु के कारण बन जाते हैं |
निचे दिया हुवा इस का उपचार -
         आक्रांत व्यक्ति के गले, छाती और कमर की किसी वस्तु तथा दुसरे सामानों को यथाशीघ्र ढीला कर देना चाहिए | वायु मार्ग को साफ़ कर देना चाहिए | मुँह में से बालू, जल या अन्य पदार्थ, जो भी अटके हों, निकाल देना चाहिए | डूबे हुए व्यक्ति की देह से पैरों को पकड़कर थोडा चक्राधार चक्कर लगाते हुए घुमाकर जल को बाहर निकाल देना चाहिए | उसकी जिह्वा को तनिक खींचकर थोडा बाहर की और कर देना चाहिए और रोगी को गरम रखना चाहिए | कृत्रिम श्वास देने के लिए नेलसन विधि का प्रयोग करना चाहिए | इसके लिए सब से पहले आहात को पेट के बल लिटा देना चाहिए और उसकी पीठ पर अपने दोनों हाथों को रखकर स्वयं थोडा झुकते हुए दो सैंकिड तक दबाव डालना चाहिए | फिर दबाव को ढीला छोड़ते हुए, पीछे की और धीरे-धीरे बैठते हुए अपने हाथों को फिसलाते हुए आहात की कोहनी तक जाना चाहिए | इस क्रिया में एक सैंकिड का समय लगना चाहिए |

  • तत्पश्चात `आहात ' के हाथों को अपने हाथों से थोडा ऊपर चाहिए और लगभग दो सैंकिड तक वजन को संभालना चाहिए | इसके बाद उसके हाथों को नीचे लाकर छोड़ देना चाहिए |
  • इसके बाद की पीठ पर अपनी दोनों बाहों को सीधा रखकर, हाथों को रखना चाहिए | उसके दोनों अंगूठे मध्यरेखा पर रहने चाहिए | इस क्रिया में एक सैंकिड का समय लगना चाहिए | तत्पश्चात पुन: प्रथम प्रक्रिया को आरंभ करना चाहिए | चारों क्रियाओ की आवृत्ति स्वास चलने तक होनी चाहिए |       
इस विधि में फुफ्फुसों में वायु का आना-जाना सहज और शीग्रता से होता है |
        कृत्रिम स्वसन में सफलता मिल जाने पर और चेतना लौट आने पर `आहात ' को गरम पेय पदार्थ देना चाहिए और उसके रक्त संचार में तीव्रता लानी चाहिए |
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Tuesday, May 17, 2016

प्रमुख रोग जलवाहित के कारण

हैजा फैलने का कारण :
       यह एक भयंकर संक्रामक रोग है जो बहुधा महामारी के रूप में फ़ैल जाता है | यह एक जलजन्य रोग है जो बहुत तेजी से आक्रमण करता और फैलता है | हैजा जीवाणु बहुत सूक्ष्म कौमा (,) के आकर का होता है | इसका संप्राप्ति काल  या ३ दिन होता है | यह रोगी के मलमूत्र, वमन उलटी आदि के द्वारा फैलता है | इसके जीवाणु आहार तथा जल में अनुकूल ताप तथा सूर्य का प्रकाश पाकर फैलते हैं | इनको फैलाने का कार्य मुख्यत: मक्खियाँ करती हैं |


       रोग के लक्षण में उलटी आना और दस्त आना जिनका रंग चावल के जैसा सफ़ेद और पतला होता है | प्यास अधिक लगती है और पेशाब बंद हो जाता है क्योंकि देह में जल की मात्रा कम होने लगती है तथा डी-हाईड्रेशन आरंभ हो जाता है | कमजोर तथा बदन में दर्द व अकडन हो जाती है | देह ठंडी होने लगती है |
परिचर्या और बचाव के उपाय -

  • रोग की आशंका होते ही डॉक्टर को बुलवाना चाहिए | रोगी को लिटा देना चाहिए | केवल चावल का पानी या अंडे की सफेदी फेंटकर देनी चाहिए | 
  • पेट पर हलका घोल थोडा-थोडा देना चाहिए | पिने को परमैगनेट का हलका घोल थोडा-थोडा देना चाहिए |
  • आधा किलो उबले पानी में १२० ग्रेन नमक डालकर घोल तैयार किया जाता है | इसका टिका हाथ या पाँव की नस में डॉक्टर से लगवाना चाहिए |
  • हैजे के रोग तथा जिनको छूत लग चुकी हो उन्हें अन्य व्यक्तियों से अलग कर देना चाहिए | सड़ी गली तथा बासी खाने पिने की वस्तुओं को नहीं खाना चाहिए |
  • सब व्यक्तियों को हैजे का टिका अनिवार्य रूप में लगवा देना चाहिए | इसका असर चार माह तक रहता है | रोगी की सब वस्तुओं को जला देना चाहिए या पूरी तरह विसंक्रमित कर देना चाहिए |
  • समस्त जल साधनों को ब्लीचिंग पाउडर से विसंक्रमित कर देना चाहिए | मक्खियों को नष्ट करना चाहिए | पेट की खराबी का तुरंत उपचार करना चाहिए | 
  • रोगियों को सार्वजनिक स्थानों में नहीं जाने देना चाहिए | हैजे के दिनों में दस्त की दवा नहीं लेनी चाहिए | दूध या पानी उबालकर पीना चाहिए | 
  • खाद्य- पदार्थो को मक्खियों से बचाकर रखना चाहिए और बाजार की मिठाइयाँ कटे हुए फल या सब्जियाँ नहीं खाने चाहिए |                                                                                                                                       यह आपको पढ़कर अच्छा लगा हो तो अपने मित्र या ग्रुप में अवश्य शेयर करे | स्वास्थ्य के लिए अधिक जानकारी www.jangaltips.blogspot.in पे क्लिक करो या गूगल पर टाइप करो | यदि आपके पास स्वास्थ्य के बारे में अधिक जानकारी है तो हमारी E-mail Id है : jangaltipsin2015@gmail.com पर भेज सकते है Thanks.
    

Thursday, May 12, 2016

बॉडी फिटनेस के फंडे सीखे |

फिटनेस कैसे रखना है :
        बॉडी बिल्डिंग की दुनिया में मिसेज मसल नाम से मशहूर माना जाता है की सामान्य पतली दुबली और घर में रहने वाले महिलाएं भी वर्कआउट व बैलेंस डाईट से खुद को फिट बना सकती है | महिलाए घर के कामों को सी एकमात्र एक्सरसाइज न मानें | उन्हें कम से कम 35-40 मिनट वर्कआउट जरुर करना चाहिए | वेट के साथ स्ट्रेंथ वर्कआउट करें और न कर पाएं तो कम से कम रस्सिकुद, योगा और जोंगिग जरुर करना चाहिए |


यह बनाए रखे डाईट रेगुलर और सही लाइफस्टाइल -
     पहले अपनी रेगुलर डाईट में प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट विटामिन और फाइबर की मात्रा धीरे-धीरे बनाएं | बाजार का ऑयली और जंक फूट कम खाए | दिन में थोडा-थोडा करके 5-6 बार खाना है | फ्रूट जूस और पानी ज्यादा लेनी चाहिए | वे अब दिन में 6-7 बार खाने में प्रोटीन कार्बोहाइड्रेट फैट,फाइबर युक्त डाईट लेना और भरपूर पानी पीना है | और दूसरा रोज कमसे कम 30-45 मिनट जोगिंग योगा और कार्डियो रस्सिकूद, स्ट्रेचिंग, ट्रेडमिल वॉक को धीरे-धीरे अपनी एक्सरसाइज में शामिल करना चाहिए | तनाव, भूखे रहने आराम न करने और डाईट चार्ट फ़ॉलो न करने की आदत छोड़ें | पूरा खोराक लें और समय पर सोना है और उठने की आदत डालनी चाहिएं |
         खुराक-प्रतियोगिताओं में जरुरत के अनुसार डाईट बदलती रही है | खाने में ब्रेड, अंडे, ओदस, चिकन, ब्राउन चावल, शकरकंद, फल, पालक के साथ सेम फली और खीरा शामिल है | व् खाने में ऑलिव ऑयल इस्तेमाल  करती है | बादाम व खरोटा एक चम्मच वेह प्रोटीन भरपूर गुणवता वाला प्रोटीन जो खासकर मसल्स मजबूत बनाने के लिए उपयोग में लिया जाता है | यह बाजार में मिलती है | और कैल्शियम,मल्तिवितामिन, ग्लूटेमाईन वह छाछ प्रोटीन और बीसीएए रहता है |

  • हप्ते में 5 दिन कार्डियो वर्कआउट के साथ फ्री वेट कम्पाउंड एक्सरसाइज | 
  • पैरों के लिए स्क्वैट्स, लेग प्रेस कर्ल्स छलांग पंजों के बल खड़े होना, बैठना घुटनों के बल वजन उठाना और लेटकर कुल्हे को ऊपर उठाना |
  • कमर के लिए आगे झुककर वजन उठाना, पुल अप्स, केबल एक्सरसाइज और बाइसेप्स-कर्ल्स साइन के लिए बीच प्रेस लेटकर हाथो को स्ट्रेच करना और केबल चेस्ट प्रेस |
  • कंधों और ट्राईसेप के लिए पुश-अप्स पैरेलल बार डिप्स ट्राईसेप एक्सटेंशन बंधी रस्सी खीचना, फ्रूट और लेटरल एक्सरसाइज हफ्ते में एक बार प्लायोमेट्रिक वर्कआउट भी करना चाहिए |
तिगुनी एक्सरसाइज - मसल्स बनाने के लिए 1-2 साल या फिर कम से कम तिन महीने प्रॉपर डाईट के साथ रेगुलर एक्सरसाइज जरुरी है | महिलाओं के शरीर में प्रोजेस्टेरोन और एक्ट्रोजन हार्मोस की मात्रा कम व स्टार्च की मात्रा ज्यादा होती है | इस वजह से महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले मसल्स बनाने के लिए तीन गुना ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है |
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Sunday, May 8, 2016

संतुलित आहार जीवन के लिए आवश्यक है ?

जीवन में संतुलित आहार :
         आहार जीवन के लिए है न की जीवन आहार के लिए इस उक्ति को ध्यान में रखते हुए हमें उतना ही आहार ग्रहण करना चाहिए जितना हमारे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है | हमें न आवश्यकता से कम आहार करना चाहिए न अधिक | कम खाने से देह का पोषण व विकास ठीक प्रकार से न हो सकेगा | पेशियाँ कमजोर हो जाएँगी और रक्त की कमी से देह पिली व दुर्बल हो जाएगी | कई प्रकार के रोग लग जाएँगे | इसके विपरीत यदि भोजन आवश्यकता से अधिक किया गया है तो हानिकारक है | अंत: मात्रा में आहार ग्रहण करना चाहिए | आहार की मात्रा का उचित होना उसके द्वारा देह से उत्पन्न ताप पर निर्भर करता है | ताप का देह में वही स्थान है जो इंजन में भाप का है | दोनों की गति के लिए उचित मात्रा में ताप व भाव की आवश्यकता होती है | ताप आहार से उत्पन्न होता है | अत: हमें उतना आहार ग्रहण करना चाहिए जिससे हमारी देह को आवश्यक खाद्य पदार्थ ताप उत्पन्न करता है | इससे माप को हम कैलोरी कहते हैं | वस्तुत हमें स्वस्थ रहने के लिए संतुलित आहार लेना चाहिए | इसकी परिभाषा इस प्रकार की जा सकती है |

  • ऐसा आहार जिससे पर्याप्त मात्रा में कैलोरी प्राप्त हो | विभिन्न आहारीय तत्व कार्बोज, वसा, प्रोटीन, लवण, व विटामिन उचित मात्र में हों | जो मिश्रित आहार हो अर्थात जिसमे विभिन्न खाद्य पदार्थ सम्मिलित हों | जिस आहार में उपर्युक्त तीनों विशेषताए पायी जाएँ उसे संतुलित आहार कहेंगे |
हम कैलोरी आयु और व्यवसाय के बारे में विचार करेंगे :
         १. एक व्यक्ति को दिन में कितनी कैलोरी की आवश्यकता है इसका अनुमान उसके कार्य परिश्रम, आयु और जलवायु आदि पर विचार करके ही लगाया जा सकता है | उदहारण कार्यालय में काम करनेवाले एक क्लर्क एक मजदुर बोझा ढोनेवाले कुली और एक कृषक के कार्यो में भिन्नता है तथा इनको परिश्रम भी अलग-अलग रूप में करना पड़ता है |इनकी कैलोरी की मात्रा में भी भिन्नता रहेगी | इसी प्रकार एक नवजात शिशु छोटा बालक स्कुल जाने वाले विद्यार्थी की कैलोरी की मात्रा में भिन्नता होती है | किसी के दैनिक आहार का आयोजन करने से पूर्व हमें उसके लिए उचित कैलोरी की मात्रा निर्धारित करनी चाहिए | कैलोरी की मात्रा का निर्धारित करते समय निम्लिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए |
       २. बढ़ते बच्चों की प्रति किलो भर के अनुसार सभी तत्त्वों की आवश्यकता अधिक होती है | २५ वर्ष की आयु के बाद कैलोरी की आवश्यकता घाट जाती है अत; बच्चों को बड़ों की अपेक्षा अधिक कैलोरी की आवश्यकता होती है क्योंकि उनकी देह बढ़ रही है प्रोढ़ावस्था में वृधावस्था की अपेक्षा अधिक कैलोरी की आवश्यकता होती है क्योंकि प्रौढ़ व्यक्ति अधिक परिश्रम करता है तथा वृदध व्यक्ति पचा नहीं सकता है |
      ३. अधिक भारी काम करने वाले मजदूरों को कैलोरी की आवश्यकता एक क्लर्क की अपेक्षा बहुत अधिक होती है | दैनिक परिश्रम करनेवालों को अधिक कैलोरी की आवश्यकता होती है | मानसिक परिश्रम करनेवालों को कम; क्योंकि दैनिक परिश्रम करने वालों को अधिक शक्ति खर्च करनी पड़ती है | इनके आहार में कार्बोज की मात्रा अधिक होनी चाहिए तथा मानसिक परिश्रम करने वालों के आहार में प्रोटीन |
     ४. ठंडे प्रदेशों में अधिक कैलोरी की आवश्यकता पड़ती है | इसी प्रकार बहुत गर्म प्रदेशों में सोडियम की अधिक आवश्यकता होती है; क्योंकि पसीने में बहुत - सा नमक निकल जाता है | गर्भवती और दूध पिलानेवाली माताओं की आवश्यकता अन्य स्त्रियों से अधिक होती है क्योंकि बच्चे के लिए प्रोटीन, खनिज विटामिन आदि की आवश्यकता होती है | बीमारी आदि में तत्वों की आवश्यकता परिवर्तित जाती है | जैसे मधुमेह में कार्बोज की मात्रा कम होनी चाहिए | ज्वर आदि में सभी तत्वों की आवश्यकता बढ़ जाती है |
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Wednesday, May 4, 2016

छोटी माता और खसरा के उपचार

छोटी माता और खसरा :
        यह भी चेचक की भाँती एक संक्रामण रोग है किंतु चेचक जैसे भयंकर नहीं होता है | छोटी आयु के बच्चों को यह रोग अक्सर हो जाता है | इसका संप्राप्ति काल १२ से १९ दिन तक होता है तथा संक्रामण काल ३ सप्ताह तक |

रोग के लक्षण परिचर्या और बचाव के उपाय -
  •   हलके ताप के पश्चात् दाने पर दाने निकलते है | दाने फ़ैल जाते है तथा धीरे-धीरे फुटकर सूख जाते है | ६ या ७ दिन में पपड़ियाँ सुखकर गिर जाती हैं |
  • रोगी को अलग कमरे में रखना और आराम देना चाहिए | पर्याप्त जल और हलका सादा आहार देना चाहिए | त्वचा को नरम रखने के लिए जैतून का तेल या वैसलीन लगानी चाहिए | 
  • स्वस्थ व्यक्ति को रोगी के संपर्क से बचाना चाहिए | रोगी की वस्तुओं का विसंक्रमण कर देना चाहिए |
        यह भी चेचक की भाँती संक्रामण होता है तथा अधिकतर बच्चों को लगता है परंतु इसका प्रभाव चेचक से हलका होता है | यह रोग का संप्राप्ति काल ७ से १४ दिन तक होता है तथा संक्रामण काल ३ सप्ताह तक होता है |
       यह रोग का संप्राप्ति काल ७ से १४ दिन तक होता है तथा संक्रामक काल ३ सप्ताह तक होता है |
रोग के लक्षण परिचर्या और बचाव के उपाय -

  • यह रोग जुकाम, खाँसी तथा ज्वर से आरंभ होता है | तत्पश्चात माथे तथा सारी देह पर छोटे-छोटे लाल दाने निकल आते हैं ये दाने तीन दिन बाद दिखाई देने लगते है | 
  • दो-तीन दिन में धीरे-धीरे रोग के सब लक्षण समाप्त हो जाते है | रोगी को अलग कमरे में रखना चाहिए | रोगी को हवा के झोंकों और ठंड लगने से बचाना चाहिए क्योंकि इस रोग के बाद निमोनिया होने का डर रहता है |
  • आहार में फलों का रस हरी सब्जी तथा हलकी चीजें देनी चाहिए | पिने को हलका गरम जल देना अधिक अच्छा है | 
  • अच्छा होने के बाद रोगी को कुछ दिन आराम करना आवश्यक है क्योंकि यह रोग कमजोर पैदा करता है |
  • इसके कीटाणु वायु या संपर्क द्वारा फैलते हैं | रोगी व्यक्ति के संपर्क से बच्चों को बचाना चाहिए | एक बार खसरा होने के बाद रोगी में स्वाभाविक रोग क्षमता उत्पन्ना हो जाती है | इसके टीके नहीं होते हैं |
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गर्मी के बाद बारिश का शरीर को क्या लाभ मिलती है |

 बारिश के लाभ :           गर्मी के बाद बारिश बहुत ही सुकून देती है | बारिश का इंतज़ार हर किसी को रहता है | बारिश के पानी का लाभ सभी को ...