बच्चों में बुखार :
छोटे बच्चों को बुखार बहुत प्रभावित करता है | यह वायरस वाले इन्फेक्शन से होता है | परंतु जब बालक मानसिक रूप से परेशान होता है तो उसके शरीर का तापमान बढ़ जाता है | अधिक गर्मी होने या ज्यादा जोर से व् देर तक रोने से भी बच्चे के शरीर का तापमान बढ़ जाता है | ऐसे बुखार में कोई दवा देने की आवश्यकता नहीं होती | कपकपी लगकर बुखार चढ़ना मलेरिया या मूत्र प्रणाली में संक्रमण के कारन हो सकता है |
बच्चों मे उपचार कैसे किया जाये :
जब बच्चे को बुखार 102 या 103 डिग्री हो तब उसे तीव्र बुखार माना जाता है | ऐसे बुखार में बच्चे को दौरे भी पड़ सकते है | बाँह और पाँव में झटके लगते है चेहरे का रंग पिला पड़ जाता है | परंतु झटके कुछ सेकंड के लिए ही होते है | इस दौरान शरीर ठंडे पानी से पोंछते रहने से बच्चे की स्थिति बिगड़ नहीं पाती |
छोटे बच्चों को बुखार बहुत प्रभावित करता है | यह वायरस वाले इन्फेक्शन से होता है | परंतु जब बालक मानसिक रूप से परेशान होता है तो उसके शरीर का तापमान बढ़ जाता है | अधिक गर्मी होने या ज्यादा जोर से व् देर तक रोने से भी बच्चे के शरीर का तापमान बढ़ जाता है | ऐसे बुखार में कोई दवा देने की आवश्यकता नहीं होती | कपकपी लगकर बुखार चढ़ना मलेरिया या मूत्र प्रणाली में संक्रमण के कारन हो सकता है |
जब बच्चे को बुखार 102 या 103 डिग्री हो तब उसे तीव्र बुखार माना जाता है | ऐसे बुखार में बच्चे को दौरे भी पड़ सकते है | बाँह और पाँव में झटके लगते है चेहरे का रंग पिला पड़ जाता है | परंतु झटके कुछ सेकंड के लिए ही होते है | इस दौरान शरीर ठंडे पानी से पोंछते रहने से बच्चे की स्थिति बिगड़ नहीं पाती |
- यदि बच्चे को बुखार के दौरान ही दौरा पडे तो बच्चे के पेट के निचे तकिया लगाएं व उसे पेट के बल लिटा दें, क्योकिं दौरे के समय उल्टी आने से उल्टी का पानी छाती में जाने का भय रहता है जिससे साँस रुक सकती है |
- डोक्टर के आने तक बच्चे के शरीर पर ठंडे पानी की पट्टीयां रखते रहें | कमीज ही पहनाये व् ऊपर से शरीर को चादर से ढक दें | इस दौरान उसे ठंडा या ताजा पानी अधिक मात्रा में पिलाए जिससे तापमान जल्दी कम होगा |
- बार-बार तापमान नापते रहना ठीक नहीं है | जब बच्चे को तेज बुखार हो तो हर आधे घंटे बाद ही तापमान नापें | कम बुखार में दिन में 4 बार नियत समय पर तापमान लें | इसके बाद तुरंत शिशुओ के डोक्टर को दिखाना जरुरी है |