Sunday, November 22, 2015

बच्चों में बुखार : बच्चों के रोग

बच्चों में बुखार :

       छोटे बच्चों को बुखार बहुत प्रभावित करता है | यह वायरस वाले इन्फेक्शन से होता है | परंतु जब बालक मानसिक रूप से परेशान होता है तो उसके शरीर का तापमान बढ़  जाता है | अधिक गर्मी होने या ज्यादा जोर से व् देर तक रोने से भी बच्चे के शरीर का तापमान बढ़ जाता है | ऐसे बुखार में कोई दवा देने की आवश्यकता नहीं होती | कपकपी लगकर बुखार चढ़ना मलेरिया या मूत्र प्रणाली में संक्रमण के कारन हो सकता है |



      बच्चों मे उपचार कैसे किया जाये :  

      जब बच्चे को बुखार 102 या 103 डिग्री हो तब उसे तीव्र बुखार माना जाता है | ऐसे बुखार में बच्चे को दौरे भी पड़ सकते है | बाँह और पाँव में झटके लगते है चेहरे का रंग पिला पड़ जाता है | परंतु झटके कुछ सेकंड के लिए ही होते है | इस दौरान शरीर ठंडे पानी से पोंछते रहने से बच्चे की स्थिति बिगड़ नहीं पाती |


  • यदि बच्चे को बुखार के दौरान ही दौरा पडे तो बच्चे के पेट के निचे तकिया लगाएं व उसे पेट के बल लिटा दें, क्योकिं दौरे के समय उल्टी आने से उल्टी का पानी छाती में जाने का भय रहता है जिससे साँस रुक सकती है |
  • डोक्टर के आने तक बच्चे के शरीर पर ठंडे पानी की पट्टीयां रखते रहें | कमीज ही पहनाये व् ऊपर से शरीर को चादर से ढक दें | इस दौरान उसे ठंडा या ताजा पानी अधिक मात्रा में पिलाए जिससे तापमान जल्दी कम होगा |
  • बार-बार तापमान नापते रहना ठीक नहीं है | जब बच्चे को तेज बुखार हो तो हर आधे घंटे बाद ही तापमान नापें | कम बुखार में दिन में 4 बार नियत समय पर तापमान लें | इसके बाद तुरंत शिशुओ के डोक्टर को दिखाना जरुरी है |

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