पहले विटामिन 'ए' के बारे में लिखा गया है :
यह प्रारंभ में मक्खन से निकाला गया था और दूध, अंडा, मक्खन, कलेजी, मछली और मछली के तेल में पाया जाता है | पौधें में विटामिन 'ए' नहीं पाया जाता परन्तु उनमे पाए जाने वाले कैरोटिन नामक पीले रंग के पधार्थ देह में विटामिन 'ए' में बदले जा सकते हैं | कैरोटिन हरे पत्ते वाली सब्जियों, पीले और लाल रंग की सब्जियों तथा फलों जैसे गाजर, सीताफल, पपीता, आम, पालक, टमाटर, बंदगोभी आदि में काफी मात्रा में पाया जाता है |
हरी सब्जियों में विटामिन 'ए' की मात्रा उसके हरेपन पर गाजर आदि पिली सब्जियों में उसके पीलेपण पर निर्भर करती है | जितना रंग गाढ़ा होगा उतनी विटामिन 'ए' की मात्रा अधिक होता है | विटामिन 'ए' इंटरनेशनल यूनिट में मापा जाता है | एक इंटरनेशनल यूनिट 0.3 UG विटामिन एसिटेट की क्रिया के बराबर होता है |
विटामिन 'डी' के बारे में लिखा गया है :
पेड़ - पौधों में पाया जाने पदार्थ एर्गोरतट्रोल और पशुओं और मानवों में पाया जाने वाला पदार्थ अल्ट्रा वायलेट किरणों द्वारा क्रमश विटामिन `डी' 2 और विटामिन `डी' 3 में परिवर्तन हो जाता है | इसलिए जो लोग अंधेरे बंद कमरों में और विश्व के ऐसे देशों में रहते हैं जहाँ धुप नहीं आती वे विटामिन `डी' की कमी के चिह्न दिखाते हैं | इसकी दूध पिलाने वाली माताओं और बढ़नेवाले बच्चों में भी हो जाती है | यदि आहार द्वारा इसको न पहुचाया जाए | विटामिन `डी' त्वचा के निचे पायी जानेवाली वसा पदार्थ पर सूर्य के प्रकाश की क्रिया से बनता है | इसलिए इसे `धुप का विटामिन ' भी कहते हैं |
यह फड़, शार्क, मछलियों के यकृत के तेल में, अंडे की जर्दी,दूध,मक्खन, पनीर, वनस्पति घी, मार्जरीन हरी सब्जियाँ व सूर्य के प्रकाश में पाया जाता है | डब्बे के दूध में भी यह पाया जाता है | फलों के रस व दूध को धुप में रखने से यह उसमें उत्पन्न हो जाता है |
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यह प्रारंभ में मक्खन से निकाला गया था और दूध, अंडा, मक्खन, कलेजी, मछली और मछली के तेल में पाया जाता है | पौधें में विटामिन 'ए' नहीं पाया जाता परन्तु उनमे पाए जाने वाले कैरोटिन नामक पीले रंग के पधार्थ देह में विटामिन 'ए' में बदले जा सकते हैं | कैरोटिन हरे पत्ते वाली सब्जियों, पीले और लाल रंग की सब्जियों तथा फलों जैसे गाजर, सीताफल, पपीता, आम, पालक, टमाटर, बंदगोभी आदि में काफी मात्रा में पाया जाता है |
विटामिन 'डी' के बारे में लिखा गया है :
पेड़ - पौधों में पाया जाने पदार्थ एर्गोरतट्रोल और पशुओं और मानवों में पाया जाने वाला पदार्थ अल्ट्रा वायलेट किरणों द्वारा क्रमश विटामिन `डी' 2 और विटामिन `डी' 3 में परिवर्तन हो जाता है | इसलिए जो लोग अंधेरे बंद कमरों में और विश्व के ऐसे देशों में रहते हैं जहाँ धुप नहीं आती वे विटामिन `डी' की कमी के चिह्न दिखाते हैं | इसकी दूध पिलाने वाली माताओं और बढ़नेवाले बच्चों में भी हो जाती है | यदि आहार द्वारा इसको न पहुचाया जाए | विटामिन `डी' त्वचा के निचे पायी जानेवाली वसा पदार्थ पर सूर्य के प्रकाश की क्रिया से बनता है | इसलिए इसे `धुप का विटामिन ' भी कहते हैं |
यह फड़, शार्क, मछलियों के यकृत के तेल में, अंडे की जर्दी,दूध,मक्खन, पनीर, वनस्पति घी, मार्जरीन हरी सब्जियाँ व सूर्य के प्रकाश में पाया जाता है | डब्बे के दूध में भी यह पाया जाता है | फलों के रस व दूध को धुप में रखने से यह उसमें उत्पन्न हो जाता है |
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