Saturday, April 30, 2016

विटामिन `ए' और `डी' के बारे में !

पहले विटामिन 'ए' के बारे में लिखा गया है  :
        यह प्रारंभ में मक्खन से निकाला गया था और दूध, अंडा, मक्खन, कलेजी, मछली और मछली के तेल में पाया जाता है | पौधें में विटामिन 'ए' नहीं पाया जाता परन्तु उनमे पाए जाने वाले कैरोटिन नामक पीले रंग के पधार्थ देह में विटामिन 'ए' में बदले जा सकते हैं | कैरोटिन हरे पत्ते वाली सब्जियों, पीले और लाल रंग की सब्जियों तथा फलों जैसे गाजर, सीताफल, पपीता, आम, पालक, टमाटर, बंदगोभी आदि में काफी मात्रा में पाया जाता है |


       हरी सब्जियों में विटामिन 'ए'  की मात्रा उसके हरेपन पर गाजर आदि पिली सब्जियों में उसके पीलेपण पर निर्भर करती है | जितना रंग गाढ़ा होगा उतनी विटामिन 'ए' की मात्रा अधिक होता है | विटामिन 'ए' इंटरनेशनल यूनिट में मापा जाता है | एक  इंटरनेशनल  यूनिट 0.3 UG विटामिन एसिटेट की क्रिया के बराबर होता है |

विटामिन 'डी' के बारे में लिखा गया है  :

     पेड़ - पौधों में पाया जाने पदार्थ एर्गोरतट्रोल और पशुओं और मानवों में पाया जाने वाला पदार्थ अल्ट्रा वायलेट किरणों द्वारा क्रमश विटामिन `डी' 2 और विटामिन `डी' 3 में परिवर्तन हो जाता है | इसलिए जो लोग अंधेरे बंद कमरों में और विश्व के ऐसे देशों में रहते हैं जहाँ धुप नहीं आती वे विटामिन `डी' की कमी के चिह्न दिखाते हैं | इसकी दूध पिलाने वाली माताओं और बढ़नेवाले बच्चों में भी हो जाती है | यदि आहार द्वारा इसको न पहुचाया जाए | विटामिन `डी' त्वचा के निचे पायी जानेवाली वसा पदार्थ पर सूर्य के प्रकाश की क्रिया से बनता है | इसलिए इसे `धुप का विटामिन ' भी कहते हैं |
     यह फड़, शार्क, मछलियों के यकृत के तेल में, अंडे की जर्दी,दूध,मक्खन, पनीर, वनस्पति घी, मार्जरीन हरी सब्जियाँ व सूर्य के प्रकाश में पाया जाता है | डब्बे के दूध में भी यह पाया जाता है | फलों के रस व दूध को धुप में रखने से यह उसमें उत्पन्न हो जाता है |
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Wednesday, April 27, 2016

आहार के तत्त्वों की कमी और अधिकता से हानिकारक है ?

प्रोटीन की कमी से हानिकारक :
       प्रोटीन की कमी से बच्चों में सुखा रोग क्वाशियोर्कर हो जाता है | इसमें बच्चे का जिगर बढ़ जाता है | बाल झड़ने लगते हैं तथा भूरे हो जाते है | देह नमक तथा जल के बार जाने से सुजन आ जाती है जिसे अड़ीमा कहते है |इसके कारण घटे हुए वजन का पता नहीं चलता है | त्वचा पर धब्बे दिखाई देते हैं | हाथ-पाँव सुख जाते हैं | उनकी प्रवृत्ति शिथिल व उदासीन हो जाती है | दैहिक विकास रुक जाता है | मुँह गोलाकार हो जाता है | रक्त पतला होता है | मानसिक वृदाधी रुक जाती है |

       बच्चों में मरासमन नामक रोग हो जाता है | देह की वृदाधि रुक जाती है और विकास ठीक ढंग से नहीं होता है | वयस्कों में इसकी कमी हाइपोप्रोटिनियम कहलाती है | इसमें पैरों तथा पेट में सुजन आ जाती है तथा यकृत बढ़ जाता है | देह में ऑक्सीजन ग्रहण करने की शक्ति कम हो जाती है जिससे देह की सारी क्रियाये शिथिल हो जाती हैं तथा रोग शीघ्र आक्रमण कर देते है | नए तंतुओं का निर्माण नहीं हो पाता है | वजन घटने लगता है भूख कम लगती है काम में दिल नहीं लगता है थकावट जल्दी हो जाती है | रक्त में हिमोग्लोबिन तथा प्लाजमों प्रोटीन की मात्रा कम हो जाती है |
प्रोटीन जादा होने से हानिकारक : जिगर तथा वृक्क के रोग होने की संभावना रहती है | रक्त वाहिनियों में कठोरता आ जाती है | जोड़ो में दर्द रहता है | रक्त चाप तथा ब्राईट नामक रोग हो जाते हैं |
कार्बोन की कमी से हानिकारक : वजन घटने लगता है तथा स्वास्थ्य में अस्थिरता आ जाती है | देह को कार्य करने के लिए पूर्ण शक्ति नहीं मिलती जिससे मानव जल्दी थक जाता है | देह को गरमी तथा शक्ति देने का कार्य प्रोटीन को करना पड़ता है | जिससे इसका मुख्य कार्य तंतुओं का निर्माण भली भांति नहीं रुक पाता है | त्वचा में झुरियां पड़ जाती है तथा आतंरिक अंगो का विकास रुक जाता है |
कार्बोन की अधिकता से हानिकारक : आहार ठीक नहीं पचता जिससे कारण दस्त लग जाता है | मोटापा आ जाता है | कार्बोज की अधिकता से मूत्र में चीनी की मात्रा अधिक जाने लगती है जिसमे मधुमेह नामक रोग हो जाता है |
कैलशियम की कमी से हानिकारक :
        इसकी कमी से बच्चों में रिकेटस नामक रोग हो जाता है | रिकेटस विटामिन 'डी' की कमी से भी हो सकता है | इसमें अस्थियों टेढ़ी मेढ़ी तथा विकृत हो जाती है | सर बढ़ा हो जाता है यकृत बढ़ जाता है | हाथ - पाँव में पानी व नमक भर जाने से वरम आ जाता है जो दबाने पर निशान छोड़ता है | दैहिक विकास रुक जाता है |  वयस्कों में इसकी कमी से ओरिटयोमलेशिया ही जाता है | इससे अस्थियाँ कमजोर व खोखली हो जाती हैं | वह शीघ्र टूटती है और मुड जाती हैं | वृदधों में ओस्टियोप्रोसीस हो जाता है | जैसे रीढ़ की हड्डी का झुकना | इसमें हड्डियाँ बहुत जल्दी टूटती हैं | रक्त में जमने की शक्ति नहीं होती है | दमा व त्वचा के रोग हो जाती है | शिशुओं में दौरे पड़ने की संभावना रहती है | दांत कमजोर हो जाते हैं |
कैलशियम की अधिकता से हानिकारक :
      कैलशियम गुर्दों में इकटठी हो जाती है जिससे गुर्दे में पथरी पड़ने का डर रहता है |

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Monday, April 25, 2016

प्लान करे 24 घंटे में 12 काम और फिट रहेगें

आपको फिट रखेंगे :
          पहले आपने गुजरे साल को एक नजर में देखा जरुर होगा | अपनी खूबियाँ और कमजोरी से रूबरू हुए होंगे | अपने मुल्यांक के आधार पर सुधार के लिए आपने कुछ संकल्प या रिजोल्यूशन भी जरुर लिए होंगे | जैसे अक्सर होते है हम अपने रिजोल्यूशन पर कायम नहीं रह पाते है | एक नए साल का एक महिना गुजरने के बाद अब समय है एक बार फिर से अपना हैल्दी एनालिसिस करने का | यदि आप अपने तन और मन की सेहत के लिए ये कदम उठाएंगे तो निश्चित रूप से अपने रिजोल्यूशन की कसौटी पर खरे उत्तर सकते है और अच्छी आदतों का हिस्सा बन सकते है | हमने आपके रिजोल्यूशन को पूरा करने के लिए ढूढा है १२ एसी आदतें जिन्हें आप नियमित रूप से दिनचर्चा में शामिल कर एक परफेक्ट दिन बना सकते है |

प्लान करे पुरे दिन का और स्वस्थ रखें -
  • सुबह उठकर पानी पिने को अपनी आदत बना लेनी चाहिए | इससे आपको ताजगी तो मिलेगी ही शरीर की गंदगी भी बाहर निकल जाएगी | गुनगुना पानी और भी फायदेमंद माना गया है |
  • रोज कुछ न कुछ व्यायाम जरुर करना है | एक्सपर्ट कहते है की ढाई मिनट से लेकर ४५ मिनट तक रोज की गई कोई न कोई एक्सरसाइज से आपका तन मन भी अच्छा बना रहता है |
  • नींद को आलस का नाम न दे | जब दिमाग थक जाएँ तो शरीर को भी आराम करने दें | अच्छी नींद आपकी थकन व तनाव दूरकर नया जीवन देती है |
  •  हर सुबह दिनभर में कोई तिन खास कामों को पूरा करने की योजना बनाएं | इस तरह की योजना बनाना इसलिए अच्छा होगा जिससे की आपको अपनी सेहत के लिए भी समय मिल सके | 
  • किसी भी सिटिंग जॉब में एक घंटे में से ५० मिनट पूरी लगन से काम करे और आखिर के १० मिनट ब्रेक लेना चाहिए | इससे आपको नए विचार भी आएँगे और आप कई बिमारियों से भी बच सकते है | 
  • रात को सोते समय अपनी सूरत को आईने में ५ मिनट के लिए जरुर देखें और विचार करें की आज आपने क्या सिखा | कुछ मिनट अपना सही मुल्यांक करे और खुद से ही सुधर के सबक सीखना चाहिए |
  • हर सुबह एसी १० बातो लोगो या कामों के बारे में सोचिए जिनके लिए आप या दूसरों के प्रति आभार व्यक्त कर सकते हैं | धन्यवाद दीजिए, लोगों की मदद कीजिए अच्छी भावना रखकर किसी का हाथ बंटाइए या किसी जरूरतमंद कुछ दान दीजिए |
  • नए साल में यह सबसे अच्छी आदत है जो आपको बिना लापरवाही के अपनानी चाहिए | आप कितने ही बड़े संपन्न और ताकतवर क्यों न हो जाएँ आपको अपने आसपास सफाई रखनी ही चाहिए | अपने घर दफ्तर संसथान या सार्वजनिक स्थान पर पूरी जिम्मेदारी के साथ साफ़ सफाई की चिंता करनी चाहिए |
  • अपनी हाँबी या पसंद के कामों को पूरा नए साल में कोई रिजोल्यूशन लिया है तो उसे पूरा करने के लिए समय और संसाधन जुटाईए | ये काम पुरे मन से कीजिए क्योकि इससे आपको ख़ुशी और क्रिएटिव सोच मिलेगी |
  • पढना एक बहुत अच्छी आदत है इससे न केवल ज्ञान व एकाग्रता बढ़ेगी बल्कि आप स्वयं को प्रेरित बनाए रखेंगे | कुछ भी पढ़े लेकिन अच्छा पढना चाहिए | 
  • इंटरनेट को एक अच्छे साथी की तरह अपनाए | इंटरनेट का उपयोग सिर्फ मनोरंजन के लिए न करके अच्छे ट्यूटोरियल्स और रिसर्च करने में करें | इससे आपको योग्यता और ज्ञान दोनों बढ़ता है |
  • यदि आप किसी विषय या समस्या पर सकारात्मक ढंग से दिमाग लड़ाते है तो उसका समाधान जल्दी मिल जाता है | अपनी सोच को समस्या की बजाय समाधानपरक बनाएं |   
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Friday, April 22, 2016

विश्राम एवं निद्रा और व्यायाम के नियमों कैसे करना है ?

विश्राम एवं निद्रा :
         पहले तो हम विश्राम एवं निद्रा यह हमारे शरीर का उत्तम स्वास्थय है | हमारी देह सोते-जागते, हर समय काम करती रहती है जिससे देह की कोशिकाएँ घिसती रहती है | किन्तु उनकी मरम्मत का कार्य भी साथ-साथ चलता रहता हैं | अधिक परिश्रम करने से कोशिकाएँ घिस जाती हैं | अत: देह को विश्राम की आवश्यकता होती है | निद्रा की दशा में सब अंग शिथिल होते है इसलिए मरम्मत का कार्य ठीक प्रकार से हो सकता है | देह निर्माण के लिए निद्रा और भी आवश्यक है | अत: बच्चों को अधिक विश्राम की आवश्यकता होती है | उनके देह की बढ़ोतरी तथा निर्माण दोनों कार्य करने होतें है | छोटे बच्चे १८ से २० घंटे तक सोते है, ४ वर्ष से ८ वर्ष के बच्चे लगभग १२ घंटे सोते है, फिर धीरे-धीरे देह बढ़ने की गति कम होती जाती है | और एक बड़े बादमी के लिए ७ घंटे की नींद पर्याप्त होती है |

व्यायाम और निद्रा से पूरा विश्राम पाने की यह आवश्यक है :
        व्यायाम करते समय नियमों का पालन करना चाहिए | देह में स्फूर्ति पैदा करती है | देह की बढ़ोतरी में सहायता प्रदान करती हैं | फेफड़ों में पूरी तरह शुध्ध वायु पहुचाती तथा रक्त को शुध्ध करती हैं | देह का मैल पसीने द्वारा बाहर निकालती है | और पाचन क्रिया की सहायता करती हैं |

  • व्यायाम में देह के सभी अंग क्रियाशील हों | व्यायाम नियमित करना चाहिए | व्यायाम खुली हवा में करना चाहिए | व्यायाम सरल से आरंभ होकर कठिन की और जाना चाहिए तथा इसकी मात्रा धीरे-धीरे बढ़ानी चाहिए | 
  • अस्वस्थ व्यक्तियों को व्यायाम चिकित्सक के आदेशानुसार ही करना चाहिए | व्यायाम से पहले तथा एकदम बाद आहार नहीं ग्रहण करना चाहिए | जहाँ व्यायाम का स्वास्थ्य से धनिष्ठ संबंध है वहाँ निद्रा तथा विश्राम भी उतने ही आवश्यक हैं |
  • निद्रा ठीक मात्रा में ली जाए | अधिक सोने से आलस्य बढ़ता है | निद्रा की कमी से थकन दूर नहीं हो पाती है | साफ़ बिस्तर पर सोने से नींद अच्छी आती है | सोने से पहले हाथ-पाँव धोने तथा साफ़ करने चाहिए | 
  • रात को सोते समय कपडे ढीले, साफ़ और नरम होने चाहिए | सोते समय सदा कमरे की खिड़की खुली रहनी चाहिए | मुँह ढककर कभी नहीं सोना चाहिए;अन्यथा देह को साफ़ हवा प्राप्त नहीं होगी |
  • सोते समय देह की अवस्था ठीक होनी चाहिए अर्थात् टेढ़ी दशा में या टाँगें सिकोड़ कर सोने से पूरा विश्राम नहीं मिलता है |
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Tuesday, April 19, 2016

आँख की सुरक्षा और सफाई ध्यान रखना चाहिए !

आँखों की सफाई :
        आँखें एक बहुमूल्य दें है | आँखें सदैव साफ़ जल से धोकर साफ़ रखनी चाहिए | इनको मिटटी, कूड़े और गंदगी से बचना चाहिए | साफ़ रूमाल का उपयोग करना चाहिए | कभी-कभी आँखों को बोरिक पाउडर का गुनगुने जल में लहका घोल बनाकर अथवा त्रिफला के जल से धोना लाभदायक है | इसके लिए आई ग्लास का उपयोग करना चाहिए | आँखों की सुरक्षा के लिए इन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए |


आँखों को कैसे बचाना है ?

  •  उठते, बैठने तथा पढते समय या सिलाई आदि करते समय देह की स्थिति ठीक होनी चाहिए | झुककर काम करने से आँखों पर अधिक जोर पड़ता है | किताब या सिलाई का फासला आँखों से ३० सें मी होना चाहिए तथा ४५ सें के कोण पर होना चाहिए |
  • चलती गाडी या बस में नहीं पढना चाहिए | तेज प्रकाश अथवा चमक से आँखों को बचाना चाहिए |
  • आँखों में छोटी- सी खराबी होने पर डॉक्टर को दिखाकर चिकित्सा करानी चाहिए |
  • ओस से ढकी घास पर नंगे पाँव चलना हितकर होता है |
  • पढाई-लिखाई या सिलाई आदि किसी भी काम को करते समय प्रकाश ठीक मात्रा में होना चाहिए | प्रकाश सदैव बायीं और तथा कुछ पीछे से आना चाहिए | सामने से प्रकाश का पड़ना ठीक नहीं | बहुत महीन छापा नहीं पढना चाहिए |
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Saturday, April 16, 2016

सफल संवाद का नुस्खा के बारे में विचार है !

सफल संवाद और नुस्खा :
        परमात्मा ने मनुष्य को इस संसार में भेजा तो सारी खुशिया देकर भेजा परंतु जैसे-जैसे व्यक्ति लौकिक जगत में माया के प्रभाव में आगे बढ़ता गया वह अपना मूल स्वरुप भूल गया है |
वह यह सोच ही नहीं सकता की इस जीवन को धारण करने के पीछे क्या कारण हो सकता है | नवजात शिशु दिन में अनगिनत बार मुस्कराता है | किशोरावस्था में भी कई बार उसकी मुस्कराहट कायम रहती है, पर जैसे-जैसे वह संसार के लोग धंधे में फंसता जाता है, उसकी मुस्कराहट भी जाने लगती है | अब तो बारिश की तरफ ध्यान ही नहीं जाता और यहाँ तक की पेड़-पौधे के हरे पत्ते भी उसे सूखे ही दिखे ही दिखने लगते हैं |बाहर से उसका रूप-सौन्दर्य चाह कितना ही सजा हुवा क्यों न हो परंतु अंदर से कोई न कोई रिक्तता या खालीपन उसे हर पल सताए रहता है | उसके जीवन में धीरे-धीरे निराशा घर करने लगती है | जो व्यक्ति जितना खाली होता है सामने वाले से बातें करने में उतना ही भय खाता है | इसलिए आपके सामने जो भी आए उससे बातें करे | वही से परीक्षा भी शुरू हो जाएगी की उसके आने का प्रयोजन क्या है ?
        पहले सामने वाले को बोलने दें की वह क्या कहना चाहता है | उसकी बातें हदय से सुनें ताकि उसे इस बात की संतुष्टि मिल जाए और सामने वाले ने पूरी बातें सुन ली है । भगवान बुद्ध से एक बार किसी व्यक्ति ने काफी अपमानजनक सब्द कहे लेकिन बुद्ध चुपचाप उसकी बातें सुनते रहे । इस पर उस व्यक्ति ने उन्हें रोकते हुए कहा मैंने आपको इतनी खरी- खोटी सुनाई है । आप भी कुछ बोले महात्मा बुद्ध ने कहा मुझे चुप रहना है, यह मेरी मर्जी है । कोई भी व्यक्ति जब कुछ कहना चाहे तो आपका फर्ज है की उसकी बातों को एकाग्रता के साथ सुनें ताकि उसे आपके बारे में यह एहसास हो जाए की आप उनकी बातें समझ रहे है । सफल बातचीत के लिए जरुरी है की जब तक वह बोलता रहे आप शांत भाव से उसकी बातें सुनें । फिर जब आपके बोलने की बारी आए तो उस व्यक्ति को चुपचाप आपकी बातों को सुनना चाहिए ।
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Tuesday, April 12, 2016

गले का दर्द घरेलु उपायों कैसे करे

गले का दर्द :
        गले का दर्द कई कारण हो सकता हैं, उसके बहुत से कारण सिरिअस नहीं होते है | अगर आपका कान बंद है तो बलगम पीछे गले में उतारकर गलें में दर्द हो सकता हैं | खुश्क मौसम से भी आपका गला दर्द कर सकता है | या उसे खुजली हो सकती है | इन्फेक्शन से हुए गले का दर्द का इलाज दवाइयों से हो सकता है | गला ख़राब होना या गले में खराश रहना एक आम समस्या है | बदलता मौसम प्रदूषित हवा गलत खान पान अधिक ठंडे पदार्थ खाना पीना और किसी बीमारी व्यक्ति के सम्पर्क में रहने से गले में खराश और दर्द होने की समस्या पैदा होती है | अपने गले का ध्यान रखना बहुत जरुरी है नहीं तो इसके कारण अन्य समस्या पैदा हो सकती है |

घरेलु उपचार कैसे करना हैं ?
       गरम पानी में नमक मिलाकर थोडा ठंडा होने के बाद दिन में दो-तीन बार गरारे करना है | गरारे करने के तुरंत बाद कुछ ठंडा न लेना चाहिए | गर्म चाय या गुनगुना पीना पिएं जिससे गले को आराम मिलेगा | कच्चा सुहागा आधा ग्राम मुंह में रखें और उसका रस चूसते रहें | तीन घंटों में ही गला बिलकुल साफ़ हो जाएगा | सोते समय एक ग्राम मुलहठी की छोटी सी गांठ मुख में रखकर कुछ देर चबाते रहे | फिर मुंह में रखकर सो जाए | सुबह तक गला साफ़ हो जायेगा | मुलहठी चूर्ण को पान के पत्ते में रखकर लिया जाय तो और भी अच्छा रहेगा | इससे सुबह गला खुलने के साथ-साथ गले का दर्द और सुजन भी दूर होती है | रात को सोते समय सात काली मिर्च और उतने ही बताशे चबाकर सो जाएँ | बताशे न मिलें तो काली मिर्च व् मिश्री मुंह में रखकर धीरे-धीरे चूसते रहने से बैठा गला खुल जाता है | जिन व्यक्तियों के गले में निरंतर खराश रहती है या जुकाम में एलर्जी के कारण गले में तकलीफ बनी रहती है वह सुबह-शाम दोनों वक्त चार-पाच मुनक्का के दानों को चबाकर खा ले लेकिन ऊपर से पानी न पिएँ | दस दिनों तक लगातार ऐसा करने से लाभ होता है |
  • १ कप पानी में ४-५ कालीमिर्च और तुलसी की थोड़ी सी पत्तियों को उबालकर काढ़ा बना लें और इस काढ़े को पि जाए | रात को सोते समय दूध और आधा पानी मिलकर पिने से गले में खराश अच्छा होता है | गुनगुने पानी में सिरका डालकर गरारे करने से भी गले के रोग दूर हो जाते है |
  • पालक के पत्तों को पीसकर इसकी पट्टी बनाकर गले में बाधे | इस पट्टी को १५-२० मिनट के बाद खोल दें | इससे भी आराम मिलता है | काली मिर्च को २ बादाम के साथ पीसकर सेवन करने से गले के रोग दूर हो जाते है | पानी में ५ अंजीर को डालकर उबाल ले और इसे छानकर इस पानी को गर्म-गर्म सुबह और शाम को पिने से खराश गले में लाभ मिलता है |
  • नमक के गुनगुने पानी से कुल्ला करे | गले का दर्द कम करनेवाली दवाई लेनी चाहिएं |अगर आप का गला सुख उसमे खुजली हो रही हो तो गरम पानी की भाँप लेनी चाहिएं |
  • कड़क मीठी चीज या दवाई मुँह में रखें | छोटे बच्चे से यह ना करवाएँ क्योंकि वो उस कड़क चीज को निगल सकते हो और उनका दम घुट सकता हैं |
डॉक्टर को दिखाना चाहिएँ !
        आपका गला अचानक दर्द होने लगा और आपको बुखार आया हैं | आप कुछ भी पी नहीं सकते अगर आपको निगलने में तकलीफ है तो वो बहुत ही सामान्य है | लेकिन यदि आप पानी भी नहीं पी सकते तो आपके शरीर का पानी कम हो सकता है | आपका गला एक हफ्ते से भी अधिक समय तक दुःख रहा है | आपके गले के साथ ही बाहर की त्वाचा भी दर्द कर रही हैं |
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Sunday, April 10, 2016

गड़बड़ी में खानपान की घर का उपाय कैसे करें ?

खानपान की गड़बड़ी :
       आज के ज़माने में लोग ज्यादातर  बहार का टेस्टी खाने में पसंद करते है | हम यह नहीं शोचते है की यह पानी बिसलरी है नगर पालिका हमको तो टेस्टी (स्वदिस्टी ) चाहिए | दूषित जल व ख़राब खानपान की वजह से कई तरह के रोग जन्म लेते हैं | आइए हम जानते है रसोई के ऐसे मसालों व अन्य चीजों के बारे में जो कुछ बीमारियों में लाभकारी हो सकता हैं |


  • पहले तो हम दस्त के बारे में बताया गया हैं | पहले तो गरम पानी करके  एक गिलास गर्म पानी को ठंडा कर के उसमे एक चम्मच चीनी और एक नींबू का रस व् एक चुटकी नमक डालकर घोल बनाएं | यह एक गिलास बनाया हुवा दिन में 5-6 बार पीने से दस्त से राहत मिल जाता है | 100 ग्राम दही में आधा चम्मच ईसबगोल की भूमि व दो चुटकी हल्दी मिलाकर एक खुराक बनाएं | इसे 3 - 4 बार लेने से दस्त बंद हो जाएगी |
  • दूसरा हैजा के बारे में उपाय एक गिलास नींबू पानी में एक चुटकी नमक मिलाकर थोड़ी देर के अंतराल में पिने से शरीर में पानी की कमी पूरी हो जाती है | आधा कप प्याज के रस में एक चम्मच पुदीना का रस मिलाकर २-२ चम्मच 5 - 7 बार पीने से हैजा में लाभ होती है |
  • तीसरा चीज है उल्टी होना उल्टी होता है तभी छाछ में भुनी हिंग और थोडा नमक मिलाकर पीने से उल्टी में आराम मिलता है | नारियल का पानी पिने से भी उल्टी नहीं आती हैं |
  • जब जोड़ो में दर्द होता है तभी 250  मिलीलीटर दूध में लहसुन की 5 - 6 कलियाँ डालकर उबाले | और हल्का गर्म छानकर पीने से जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है | 

Friday, April 8, 2016

योगासन के विधि :हस्तपादासन १३

हस्तपादासन :
        दोनों पैरों के बिच एक फिट का फासला रखते हुए हाथों को ऊपर ले जाएँ । हथेली सामने की ओर, हाथों को ऊपर की ओर खीचें और श्वास भरे । अब धीरे-धीरे स्वास्  छोडते हुए, सिर को हाथों के बीच में रखतें हुए, सामने से झुकते हुए अपने टखनों को पकड़ लें और माथा घुटनों के साथ लगा दें । कुछ क्षण रुकें और फिर पहली स्थिति में वापिस आ जाएँ ।
        1. यह आसन में कमर- दर्द व् टाँगों के दर्द में आराम देकर उन्हें शक्ति प्रदान करता है ।
        2. पाचन शक्ति को ठीक करता है व् कब्ज दूर करता है ।
        3. रीढ़ की हड्डी में लचक उत्पन्न करता है ।

Tuesday, April 5, 2016

बिजली के करेंट के बारे उपचार !

बिजली का करंट लगना : 
      आज हम यह बताते हुए दुनिया भर में लाईट १० मिनिट या १ घंटा गया तो लोग बहुत परेशान हो जाता है | और फेक्टरी ( Compani ) १ घंते का कितना नुकशान हो जाता  है | बिजली बिना पूरा अँधेरा या सुना- सूना लगता है | बिजली की नंगी तारों के स्पर्श से या बादलों से बिजली गिरने के कारण देह को विद्युत की धार लग जाती है | अधिक शक्ति के तारों से बड़े जोर का घक्का लगता है और मूर्च्छा आ जाती है | आघात का प्रभाव हलका होना अथवा विषम होना विद्युत शक्ति पर निर्भव करता है | ए सी करेंट को छूने से बिजली की धारा व्यक्ति को अपनी और खींचे लेती है | यदि व्यक्ति को तत्काल ही तार से छुड़ाया न जाए तो उसकी मृत्यु हो सकती है | डी- सी करेंट के लगने से व्यक्ति विशेष झटके के साथ फेंक दिया जाता है |
बिजली का करंट के बारे में लक्षण ? 
         बिजली का करंट लगने से अंग प्राय जल जाता है | जला हुआ घाव और गहरा भी हो सकता है |हाथों और बाजुओं से बिजली प्रवाह छू जाने से बिजली की धार वक्ष से निकल जाती है | अस्तु हदय शक्तिहीन हो जाता है और श्वास क्रिया का पक्षापात हो सकता है और व्यक्ति की मृत्यु हो सकती है |
  • बिजली के करेंट को बटन दबाकर बंद कर देना चाहिए | यदि लचकदार तार से विद्युत् धारा प्रवाहित हो रही हो तो उसे चाकू या कैंची जिसकी मूठ पर रबर लगा हुवा है उसे काट देना चाहिए |
  • बिजली के करेंट से घायल व्यक्ति को प्रवाह के संपर्क से हटाएँ | विद्युत् तार अथवा खंभे से सटे हुए व्यक्ति को कभी भी हाथ से न पकडे | उसे किसी सुखी लकड़ी, सूखे टोपी, कोट, रबड़ के दस्ताने आदि को हाथ में लपेटकर हटाना चाहिए | विद्युत् प्रवाह में सटे व्यक्ति को विद्युत् अवरोध वस्तु पर जैसे रबड़ के जूते समाचारपत्रों के ढेर अथवा लकड़ी पर खड़े होकर छुड़ाना चाहिए | 
  • यदि घायल व्यक्ति श्वास न ले रहा हो तो कृत्रिम श्वास देनी चाहिए | घायल व्यक्ति के तलवे में मालिश करें ताकि रक्त संचार शीघ्रता से हो सके |
  • यदि कोई अंग जल गया हो तो जलने का उपचार कीजिए | जब घायल व्यक्ति होश में आ जाए तो उसे गरम चाय पिने को दीजिए |

Friday, April 1, 2016

गरमी से कैसे बचे और उपचार

गरमी से बचने का उपाय :
          दोस्तों गरमी का महिना आ गया है और सूरज अपनी प्रखर किरणों की तीव्रता से संसार के जलियांश, स्नेह को सुखा कर वायु में रूखापन और ताप बढ़ा कर मनुष्यों के शरीर के ताप की भी वृद्धि कर रहा हैं | गरमी में होने वाले आम रोग - गरमी में लापरवाही के कारण शरीर में निर्जलीकरण लू लगना चक्कर आना धबराहट होना, नकसीर आना उलटी - दस्त, घमोरिय जैसी कई हो जाती हैं | इन बिमारियों के होने में प्रमुख यह कारण निचे दिया हुवां है |

        गरमी के मोसम में खुले शरीर, नंगे पाँव नंगे सर, धुप में चलने से हो जाता है | तेज गरमी में घर से खाली पेट या प्यासा बाहर जाना और कूलर या AC से निकल कर तुरंत धुप में जाने से होता है | बाहर धुप से आकर तुरंत ठंडा पानी पीना सीधे कूलर या AC में बेठना तभी भी हो सकता है | तेज मिर्च- मसाले बहुत गर्म खाना चाय शराब इत्यादि का सेवन ज्यादा करने से होता है | सूती और ढीले कपड़ो की जगह सिंथेटिक और कसे हुए कपडे पहने से शरीर को लाभदायक होता है | आप अगर बहुत थकान महसूर कर रहे है तो पानी के छिटो से आप फ्रेश महसूर करेंगे | सादा पानी भी आपकी त्वचा को तरोताजा रखना है | वह एक प्राकृतिक मोइस्चराइजर की तरह काम है | खीरे के जूस को आप चेहरे पर लगाएँ तो इससे चहरे पर ठंडक महसूस होगी तथा सनबर्न की समस्या से बचे रहेंगे | ऑफिस से जब आप लौट कर आते हैं तब आप अपने पैर हाथ, हल्के गुनगुने पानी में डाल कर रखें जिससे की आपकी सारी थकान कम हो जाएगी | अगर आप चाहें तो इस पानी में थोडा सा नमक भी डाल सकते हैं | इससे पैर कोमल हो जाते हैं तथा आप सोंफ्टनर से पैरो के टेल को साफ़ कर सकते है | दस से पन्द्रह मिनिट तक अपने पैर  को पानी में डालकर रखें इससे शरीर का रक्तसंचार भी बढेका | एक बोतल में आप थोडा सा कोलोन या परफ्यूम की थोड़ी सी बूंदों को लेकर आप अधिक मात्रा पानी के साथ उसे मिला दें | स्प्रे बोतल की तरह इसे इस्तेमाल कर आप रिफ्रेश हो सकते हैं |

  • गरमी में सूरज अपनी प्रखर किरणों से जगत के स्नेह को पिता रहता है इसलिए गरमी में मधुर शीतल द्रव तथा इस्निगधा खान-पान हितकर होता है | गरमी में जब भी घर से निकले कुछ खा कर और पानी पी कर ही निकले खाली पेट नहीं निकलना हैं |
  • गरमी में ज्यादा भरी भोजन नहीं करे क्योकिं गरमी में शरीर भी जठराग्नि मंद रहती है इसलिए वह भरी खाना पूरी तरह पचा नहीं पाती और जरुरत से ज्यादा खाने या भारी खाना खाने से उलटी-दस्त की शिकायत हो सकती है |
  • गरमी में सूती और हलके रंग के कपडे पहनने चाहिये | चेहरा और सर रुमाल या साफी से ढक कर निकलना चाहिए | प्याज का सेवन तथा तेब में प्याज रखना चाहिए | बाजारू ठंडी चीजे नहीं बल्कि घर की बनी ठंडी चीजो का सेवन करना चाहिए |
  • ठंडा मतलब आम का पना, खस,चन्दन, गुलाब फासला संतरा का सरबत, ठंडाई सत्तू, दही की लस्सी, मुठ्ठा गुलकंद का सेवन करना चाहिए | इनमे अलावा लोकी, ककड़ी, खीर, तोरे पालक, फुदिना, नीबू, तरबूज आदि का सेवन अधिक करना चाहिए |
  • शीतल पानी का सेवन २ से ३ लीटर रोजाना पीना चाहिए | अगर आप योग के जानकारी हैं तो सीत्कारी, शीतली तथा चन्द्र भेदक प्राणायाम एव शवासन का अभ्यास कीजिये ये शरीर में शीतलता का संचार करते हैं |  
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