Monday, February 29, 2016

रैबीज के रोग जानलेवा

रैबीज के रोग : सावधान 
        रैबीज या हाइड्रोफोबिया विषाणु से फैलने वाला खतरनाक जानलेवा रोग है | यह रोग कुत्ता,बिल्ली और सियार के काटने या जख्म को चाटने से होता है | इसका विषाणु वायु के द्रारा भी फेलता है | इसमें मस्तिष्क शोध, सिरदर्द, गले की खराबी, हल्का ज्वर जो ३ - ४ दिन तक रहता है | काटे गए स्थान पर ८० प्रतिशत मरीज खुजली या दर्द महसूस करता है | शरीर का सारा तंत्रिका तंत्र प्रभावित हो जाता है | पानी व हवा से डर लगता है | पानी की आहट से ही मांसपेशियां अकड़ने लगती है | रोगी की अवधि २ - ३ दिन या ५ - ६ दिन तक हो सकती है | मांसपेशियों का अनैच्छिक उग्र संकुचन होता है | रोगी को पक्षाधात भी हो जाता है |


कुत्ता काटने पर सावधानियाँ -
        कुत्तों को अपने गांव, मौहल्ले या शहर में न पलने दें | स्थानीय निकायों का सहयोग लें | पशु चिकित्सक से पालतू कुत्तों को एंटी रैबीज वैक्सीन समय - समय पर लगवाते रहें | रैबीज इलाज बचाव ही समाधान है | अधूरा इलाज करवाना एक तरह से मौत को निमंत्रण देना है | एक बार रोग प्रकट हो जाने पर इसका कोई इलाज नहीं है | रोगी की मृत्यु निश्चित है | अंत: बचाव ही इलाज है | उपचार में एंटी रैबीज सीरम लगाते हैं | 

  • जख्म को पानी और साबुन से अच्छी तरह साफ़ करें | नल के निचे कम से कम ५ मिनिट तक जख्म को पानी से धोते रहें |
  • काटने वाले कुत्ते को मरे नहीं अपितु १० दिन तक निगरानी में रखें | पागल कुत्ता सामान्य काटने के ५ दिन में मर जाता है | जख्म पर टांके नहीं लगवाएं |
  • जख्म पर पीसी मिर्च या चुना नहीं लगाएं | कुत्ता काटकर भाग गया है या पहचान में नहीं आ रहा है तो टिके जरुर लगवाएं | यदि किसी जंगली पशु ने भी काट खाया है तो भी टिके अवश्य लगवाएं |
  • नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या चिकित्सा अधिकारी की सलाह लें | रैबीज शत प्रतिशत जानलेवा रोग है बचाव ही समाधान है | इलाज में लापरवाही ना बरतें | ध्यान रखिए |
आप सौने सलाह -
        इलाज के दौरान मरीज को मादक पधार्थो का सेवन नहीं करना चाहिए | अत्याधिक शारीरिक और मानसिक परिश्रम न करना चाहिए | देर रात तक न जागें | 
        कोई भी दवा चिकित्सा की सलाह के बिना न लें | कुछ दवाएं विपरीत असर डालती है | जैसे कार्टीकोस्टीरोयड व इम्यूनोसप्रेसिव दवाएं |

Thursday, February 25, 2016

जोड़ों का दर्द कैसे ठीक करना है ?

 जोड़ों का दर्द :
     अनेक प्रकार की बात व्याधियों में गठिया काफी विषम रोग है, जिसकी चिकित्सा कठिन तो है लेकिन दु: साध्य नहीं है | इस लेख में कुछ ऐसे दिशानिर्देश है जो बीमारी के आगाज से पूर्व अत्यंत उपयोगी सिध्द हो सकते है | गठिया या आमवात रोग जोड़ों के दर्द से संबंधित है जो वर्तमान में युवाओं को भी अपने घर में ले रहा है और युवावस्था में भी लोगों को होने लगा है | इस रोग से पीड़ित लोगों को दैनिक कामकाज में भी बहुत तकलीफ का सामना करना पड़ता है |


बीमारी के बचाव कैसे करे -
       गठिया रोग से बचने के लिए इसके कारणों पर ध्यान देना आवश्यक है | यह रोग अनुवांशिक भी हो सकता है | इसलिए अगर परिवार में यह रोग है और एसिड ज्यादा बनता है तो मांस मधपान भरी भोजन इत्यादि की मात्रा कम कर दें एवं योग आसन तथा सही तरीके से नियमित व्यायाम करें | खुली हवा में सैर और संयमित पौष्टिक आहार अपनाएं तो रोग से बचा जा सकता है |
       आयुर्वेद के अनुसार हड्डी और जोड़ों में संतुलित वायु का निवास होता है | वायु के असंतुलन से जोड़ भी प्रभावित होते है | अत: वायु गड़बड़ा जाने से जोड़ों की रचना में विकृति पैदा होती है | हड्ड्यों के बिच का जोड़ एक झिल्ली से बनी थैली में रहता है | जिसे सायोवियल कोष या आरटीक्युलेट कोष कहते है | जोड़ो की छोटी-छोटी रचनाएँ इसी कोष में रहती हैं | हड्डियों के बिच घर्षण न हों इसलिए जोड़ों में हड्डियों के किनारे लचीले और नर्म होते है | यहाँ पर एक प्रकार की नर्म हड्डियाँ रहती है जिन्हें कार्टिलेज या आरटीक्युलेट कहते है | जो हड्डियों को रगड़ खाने से बचाती है | पुरे जोड़ को घेरे हुए एक पतली झिल्ली होती है | जिसके कारण जोड़ कीबनावट ठीक रहती है |

  • जोड़ो में कट-कट सी आवाज आता है, दूसरा जोड़ो की गाठों में सुजन आती है |
  • हाथ पैर के जोड़ों में सुजन और दर्द होता है | कभी- कभी रात में तेज दर्द एवं दिन में कम दर्द का आराम होता है |
  • पैर के अंगूठों में सुजन सुबह सबेरे तेज पीड़ा होता है | मूत्र कम और पीले रंग का आना.

Tuesday, February 23, 2016

योगासन के विधि :हलासन १०


हलासन :
     
     इस आसन में शरीर का आकर हल जैसा बनता है, इसलिए इसको हलासन कहा जाता है

हलासन के विधि कैसे करे –


    भूमि पर बिछे हुए आसन पर चित्त होकर लेट जाएँ | दोनों हाथ शरीर को लगे रहें | अब रेचक करके श्वास को बहार निकाल दें | दोनों पैरों को एक साथ धीरे-धीरे ऊँचे करते जाएँ | आकाश की ओर पुरे उठाकर फिर पीछे सिर के तरफ झुकाएँ, ठोडी छाती से लगी रहे | चित्तवृत्ति को विशुद्र चक्र में स्थिर करें | २ मिनिट से लेकर २० मिनिट तक अवधि बढ़ा सकते हैं |

हलासन के लाभ –

    इस आसन का नियमित अभ्यास करने वालों की कमर पतली होती है और उनमे फुरतिलापक आता है | गर्मिणि स्त्रियों के सिवा हर एक को यह आसन करना चाहिए |
  • · इस आसन का नियमित अभ्यास करने वालों में सभी विशेषताएँ सदा ही बनी रहती हैं, जैसे उत्साह, शरीर का लचीलापन, स्फूर्ति, प्रत्येक कम कर सकने की क्षमता एवं शक्ति तथा उत्तम रोग निवारक स्वास्थ्य |
  •  मूत्राशय के रोग रुक-रुककर पेशाब आना, मधुमेह सोगों में जड़ से आराम मिलता है |
  •  स्त्रियों को मासिक धर्म के समय होने वाली बीमारियाँ, कष्टार्तव कमरदर्द,बेचेनी आदि को दूर करने का उत्तम साधन है |
  •  पेट में होने वाले रोगों, खराबियों या दर्द, पीठ, कमर, गर्दन आदि के दर्दों में आराम देता है |
  •  शरीर का बेडौल मोटापा, फालतू चरबी तथा क्रोधी स्वभाव घटाने में विशेष सहायक है |



Sunday, February 21, 2016

धूम्रपान कैसे छोड़े और सावधान जरुरत है !

धूम्रपान और सावधान :
         आप सभी को यह बताते है की धूम्रपान आपके स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है | धूम्रपान छोड़ने से हदयरोग, रक्त वाहिका रोग, फेफड़ा की समस्याओं, कैंसर और आघात से आपकी मृत्यु होने का जोखिम कम हो जाएगा. धूम्रपान छोड़ने के बारे में अपने चिकित्सक से बात करें | अपने क्षेत्र में वर्गों और सहायता समूहों के बारे में पूछें सहायता और प्रोत्साहन प्राप्त करें और इस बात को जानने की कोशिश करे | इसे छोड़ने में सहायता के लिए दवाओं और अन्य साधनों के बारे में अपने चिकित्सक से बात करे |



          धूम्रपान छोड़ना कठिन है. अधिक लोग सफल होने से पहले कई बार प्रयास करते है यदि आप धूम्रपान करते है तो हिम्मत न हारे स्वयं को यह याद दिलाये की आप ने कितने घंटे दिन या सप्ताह धूम्रपान करने की इच्छा को जगाती है | इसे उन चीजों की सूचि में सम्मिलित करे जिनसे आपको बचना है या ऐसी स्थिति में आप अगली बार क्या करेगे इसका अभ्यास कीजिए | स्वयं को यह याद दिलाए की आप ने धूम्रपान क्या छोड़ा है | धूम्रपान करने के इच्छा अनुभव होने पर जो काम करने है उनका अभ्यास करें | अपनी इच्छा शक्ति और साहस के लिए स्वय को पुरस्कृत करें केवल आज की ही चिंता करे | सब कुछ एक नहीं हो जाता हैं |
        धूम्रपान करने वालों के लिए सावधान होने की जरुरत है | एक अध्ययन की माने तो इससे दिमाग के सोचने-समझने की क्षमता पूरी तरह ख़त्म हो सकती है | किंग्स कॉलेज लंदन के शोधकर्ताओं ने ५० साल से अधिक उम्र के सैकड़ो लोगों की जीवनशैली का अध्यन करने के साथ ही उनके दिमाग की जांच किया था | इसमें पाया गया की धूम्रपान और मोटापा बढ़ने के साथ ही इससे दिमाग पर काफी नकारात्मक असर होता है | वैज्ञानिको का कहना है की लोगों को इसको लेकर जागरूक रहने की जरुरत है की ख़राब जीवनशैली से दिमाग और शरीर दोनों को नुकसान पंहुचा सकता है |
धूम्रपान छोड़ने की तैयारी कैसे किया जाता है ?

  • अपने द्रारा प्रतिदिन सिगरेटों पी जाने वाली की संख्या कम करे | प्रत्येक बार केवल आधी सिगरेट ही पिएँ, दिन के केवल सैम घंटों के दौरान ही धूम्रपान करें |
  •  धूम्रपान छोड़ने के लिए किसी मित्र या पत्नी / पति को अपने साथ लें | इसे छोड़ने से पहले व्यायाम आरंभ करें सिगरेट की किसी ऐसी किस्म का उपयोग करना आरंभ कर दें जिसे आप ज्यादा पसंद नहीं करते है |
  •  अदि आपको दूसरों के साथ धूम्रपान प्रेरित करती है, अतिरिक्त लाइटरो को फेंक दें |
  • अपने द्रारा धूम्रपान छोड़ने के ५ मुख्य कारणों की सूचि बनाए. इस सूचि को प्रति दिन पढ़े. छोड़ने की कोई तारीख निर्धारित करे, धूम्रपान करना धीरे-धीरे कम कर दें | अपनी छोड़ने की तारीख पर इसे पूरी तरह बंध कर दें | यदि आप अपने काम की जगह पर बहुत अधिक धूम्रपान करते है तो छुट्टी के दौरान छोड़ें.
  • परिवार और मित्रो से अपनी सहायता करने के लिए कहे, दिन के लिए आयोजन करे और व्यस्त रहें उन स्थानों में समय व्यतीत करें जहा धूम्रपान की अनुमति नहीं है | जैसे कोई पुस्तकालय या सिनेमा हॉल अपनी दिनचर्चा बदलना है |
  •  पानी पीए लेकिन २ लीटर से अधिक नहीं यह आपके शरीर से रसायनी को निकालने में मदद करता है | अपने मुँह में किसी चीज की इच्छा को पूरा करने के लिए अपने पास अजमोद, चीनी, चिगम कठोर कैंडी तिनके या दन्त कुरेदानियाँ रखना है |  
  • गहरी सांस लेने के व्यायाम करे और आराम पहुँचने वाला टेव सुनें. ३० मिनट के लिए व्यायाम करे. नियमित भोजन करे 


Thursday, February 18, 2016

कच्ची हल्दी का फायदा क्या-क्या है ?

कच्ची हल्दी के फायदे :
         बाजार में हल्दी मौसम में उपलब्ध रहता है | हल्दी आपका जायका बढ़ाने के साथ आपकी सेहत के लिए भी काम आता है | कई शोधों के अनुसार हल्दी में एंटी ऑक्सिडेंट रहता है | एंटी यह कैंसर है, रक्त विकार दूर करती है |  कफ और पित्त का शमन करती है |


          कच्ची हल्दी का उपयोग कैसे करे -
         मधुमेह में रोगियों के लिए कच्ची हल्दी किसी रामबाण से कम नहीं है | यह हल्दी सर्दी के मौसम में गरम दूध में कच्ची हल्दी उबालकर पिने से मधुमेह में लाभ मिलती है | कच्ची हल्दी में एंटीसेप्टिक गुण पाया जाता है | ऐसे में यदि मधुमेह के रोगियों प्रतिदिन किसी न किसी रूप में कच्ची हल्दी का सेवन करने से उसका घाव बढ़ने की संभावनाएं ख़त्म हो जाएगी | आयुर्वेदिक के अनुसार हल्दी शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढाती है । खून को साफ करती है और महिलाओं की पीरियड से जुडी समस्याओं को भी दूर करता है ।

        1. सर्दी के मौसम में ठंडा जुकाम या खाँसी होने पर दूध में हल्दी पाउडर डालने या कच्ची हल्दी उबालकर पिने से लाभ मिलता है । खाँसी होने पर हल्दी की छोटी गांठ मुँह में रख कर चूसें इससे खाँसी नहीं उठती ।

        2.  हल्दी नमक और सरसों का तेल मिलाएं । दांतों को मजबूत बनाने के लिए रोजाना इस मिश्रण से दांतो और मसूड़ों की ब्रशिंग करें ।

        3.  पुरानी खाँसी या अस्थमा के लिए आधा चम्मच शहद में एक - चौथाई चम्मच हल्दी अच्छी तरह मिलाकर चाटने से लाभ मिलता है ।

        4.  किसी अंदरुनी चोट लगने पर एक गिलास गरम दूध में एक टी स्पून हल्दी मिलाकर पिने से चोट के दर्द और सूजन में राहत मिलती है । चोट पर हल्दी और पानी का लेप लगाने से आराम मिलता है ।

        5.  हल्दी कोलेस्ट्रॉल को कम करता है इससे हदय संबंधी रोग होने का खतरा कम हो जाता है ।

Sunday, February 14, 2016

योगासन के विधि : पादपश्चिमोत्तानासन ९

पादपश्चिमोत्तानासन :
         इस बिछे हुए आसन पर बैठ जाएँ दोनों पैरों को लम्बे फैला दें |दोनों पैरों की जंघा, घुटने, पंजे परस्पर मिले रहें और जमीन के साथ लगे रहें | पैरों की अंगुलियाँ घुटनों की तरह झुकी हुई रहें | अब दोनों हाथ लम्बे करें दाहिने हाथ की तर्जनी और अंगूठे से दाहिने पैर का अंगूठा और बाएँ हाथ की तर्जनी और अंगूठे से बायें पैर का अंगूठा पकड़ें | अब रेचक करते-करते निचे झुकें और सिर को दोनों घुटनों के मध्य में रखें | ललाट घुटने को स्पर्श करे और घुटने जमीन से लगे रहें | हाथ की दोनों कुहनियाँ घुटनों के पास जमीन से लगें | रेचक पूरा होने पर कुम्भक करें |दृष्टी एवं चित्तवृति को मणिपुर चक्र में स्थापित करें | प्रारम्भ में १/२ मिनट करके १५ मिनट तक यह आसन करने का अभ्यास बढ़ाना चाहिए |



पादपश्चिमोत्तानासन का लाभ -
  • इससे शारीरिक एवं मानसिक विकार दब जाते हैं | उदार छाती और मेरुदण्ड को कसरत मिलती है जिससे वे अधिक कार्यक्षम बनते हैं | हाथ पैर तथा अन्य अंगों के सन्धि स्थान मजबूत बनते है | शरीर के सब तन्त्र बराबर कार्यशील होते हैं 
  • इस आसन के अभ्यास से मन्दाग्नि, मलावरोध, अजीर्ण, उदररोग, कृमि विकार, सर्दी,खासी, वात विकार, कमर का दर्द, हिचकी, कोढ़, मूत्ररोग, मधुप्रमेह, पैर के रोग, स्वप्न दोष वीर्य विकार, एपेंडी साईटिस, एंडवृद्री, पान्डुरोग, अनिद्रा, दमा, खट्टी डकारें आना ग्ननातन्तु की दुर्बलता, बवासीर, नल की सुजन, गर्भाशय के रोग, अनियमित तथा कष्टदायक मासिक प्रदन, नपुंसकता, रक्तपित्त,सिरों-वेदना आदि अनेक रोग दूर होते है | जठराग्नी प्रदीप्त होती है, कफ और चरबी नष्ट होते हैं, पेट पतला बनता हैं |
  • इस आसन से शरीर का कद बढ़ता है | मानसिक शक्ति प्राप्त होती है | चित्त एवं उत्तेजना शान्त करने के लिए भी यह आसन उत्तम है |

Thursday, February 11, 2016

जीवनभर पेट के रोगो से बचे रहें : भोजन से जुडिहुवी यह नियम

जीवनभर पेट के रोगो से बचे रहें :

        जादातर लोग सच्चा भोजन विधि जानते नहीं । खोटे विधि के खोटे प्रमाण में अर्थात जरूर से जादा या कम भोजन करने से जठराग्नि मन्द पड जाता है । उससे कबजियात लगता रहता है । तभी आतरड़े में जमा हुवा मड सड़के  रस बन्ने लगता है | पुरे शरीर में फेल जाता और उसका रोग उत्तपन हो जाता है | इस कारण आज हम भोजन के नियमो बताते है |  




  •  पहले तो भोजन के प्रारंभ में नमक और अद्रक्ष का सेवन करने से पाचन क्रिया अच्छा रहता है उसी वजसे जीभ ओर गला भी साफ़ रहता है | दूसरा जब भोजन करते समय चलते -चलते, बोलते - बोलते या हसते भोजन नहीं करना है |
  •  गरम भोजन करने से पाचन अग्नि तेज होती है | और खोराक जल्दी हजम होता है, शरीर में वायु ओर कफ दूर हो जाता है | भोजन सात्विक होना चाहिएँ | भोजन बनाने के बाद ३-४ घंटे में खाना है | 
  • स्वादिष्ट अन्न मन्ने प्रसन करता है | बल और उत्साह बढ़ जाता है | आयुश्यनी वृधि विपरीत असर होता है | सुबह में पेट भरके भोजन नहीं करना है, हल्का नास्ता करना चाहिएँ |
  •  माप से जादा खानेसे पेट फुल जाता है और पेट में से अवाज आता है | आलस लग जाता है, शरीर भारी लगता है माप से कम खानेसे शरीर दुबला हो जाता है और शक्ति का क्षय होता है |
  • समय बिना भोजन करने से शक्ति का नाश होता है | शरीर अशक्त बन जाती है, सिर दर्द और अजीर्ण अलग- अलग रोग होता है | खाना हजम नहीं होता है | भूख से कम ही खाना है, और पानी भी थोडा कम ही पीना है इर कारण पेट जल्दी हजम हो जाता है |
  • भोजन के पहले पानी पिने से पाचन शक्ति कमजोर हो जाता है, शरीर दुर्बल होता है और खाना खाने के बाद तुरंत पानी न पीना  तुरंत पिने से आलस आता है | थोडा थोड़ा पानी पि सकते और भोजन के बाद छाश पिने से आरोग्य है | इसे मनुष्य को बडहिन ओर आरोग्यहिन न होता है |  
  • जब भी प्याश लगी हो तभी भोजन नहीं करना तब पानी ही पीना है | और जब भूख लगा हो तभी पानी न पीना है तभी खाना ही खाना है | प्याश लगी तब खाना  और भूख लगे तब पानी पीना से आतरड़े को रोग हो जाता है |

Sunday, February 7, 2016

योगासन के विधि : अर्धमस्त्येन्द्रासन ८

अर्धमस्त्येन्द्रासन :
       अर्धमस्त्येन्द्रासन का दोनों पैरों को लम्बे करके आसन पर बैठ जाओ | बायें पैर को घुटने से मोड़कर एडी गुदाद्रार के निचे जमायें | पैर के तलुवे को दाहिनी जंघा के साथ लगा दें | अब दाहिने पैर को घुटने से मोड़कर खड़ा कर दें और बाएं पैर की जंघा से ऊपर ले जाते हुए जंघा के पीछे जमीन के ऊपर रख दें | अब बायें हाथ को दाहिने पैर के घुटने से पार करके अर्थात् घुटने को बगल में दबाते हुए बायें हाथ से दाहिने पैर का अंगूठा पकड़ें | घड को दाहिनी ओर मोड़ें जिससे दाहिने पैर के घुटने के ऊपर बायें कंधे का दबाव ठीक से पड़े | अब दाहिना हाथ पीठ के पीछे से घुमाकर बायें पैर की जांघ का निम्न भाग पकड़ें | सिर दाहिनी ओर इतना घुमायें की ठोकी और बायाँ कंधा एक सीधी रेखा में आ जाये | छाती तनी हुई रखें, निचे की और न झुकें |

           इसी प्रकार पहले दाहिना पैर मोड़कर एडी गुदाद्रार के निचे दबाकर दूसरी तरफ का आसन भी करें | प्रारम्भ में ५ सेकेण्ड तक यह आसन करना है |

अर्धमस्त्येन्द्रासन का लाभ -
  • रीढ़ की हड्डियों के साथ उनमें से निकलने वाली नाड़ियों को भी अच्छी कसरत मिलती है | कमर, पीठ और संधिस्थानों के दर्द जल्दी दूर होते हैं |
  • पेट के विभिन्न अंगों को अच्छा लाभ होता है | पीठ, पेट के नले, पैर, गर्दन, हाथ, कमर, नाभि से नीचे के भाग एवं छाती की नाड़ियों को खिंचाव मिलने से उन पर अच्छा प्रभाव पड़ता है | जठराग्नि तीव्र होती है |
  • विकृत यकृत, प्लीहा तथा निष्क्रिय वृक्क के लिए यह आसन लाभदायी है |  

Saturday, February 6, 2016

योगासन के विधि : सर्वागासन ७

योगासन के विधि :
       सर्वागासन यह आसन पर सिधे लेटें । श्वास को बाहर निकालकर अर्थात् रेचक करके हाथों पर दबाव देते हुए 45 अंश कोण तक टांगें उठाएँ, कुछ क्षण रुककर 60 अंश तक ले जाएँ । फिर पीठ का भाग भी ऊपर उठायें, दोनों हाथों को कमर को आधार दें | हाथ की कुहनियाँ भूमि से लगी रहें | गर्दन और कंधे के बल पूरा शरीर ऊपर की ओर सीधा खड़ा कर दें | ठोड़ी छाती के साथ चिपक जाये, दोनों पैर आकाश की ओर रहें, दृष्टी दोनों पैरों के अंगूठों की ओर रहे | श्वास निकालकर श्वास को दीर्ध, सामान्य चलने दे | इस आसन को धीरे धीरे अभ्यास बढ़ाते हुए १० मिनट तक कर सकते हैं | अभ्यास होने पर हाथों को जमीन पर लिटाकर टाँगों को सीधा रखें | बाजुओं को ऊपर उठाकर हाथों को जंघाओं के पास रखें और केवल कंधों पर सीधा रहें | वापस आते हुए भी कोई झटका नहीं लगे | पहले अपनी टाँगो को भूमी के सामानांतर करे फिर पीठ को लगाते हुए ९० अंश तक लाएँ और फिर पाँवों को धीरे- धीरे भूमि पर ले आएँ |
सर्वागासन का लाभ - 
  • सर्वागासन से जठराग्नि तेज होती है शरीर में सामर्थ्य बढ़ता है | तीनों दोषों का शमन होता है | वीर्य की ऊध्वर्गति  होकर अंत कारण शुद्रा होता है | मेघाशक्ति बढती है | त्वचा लटकती नहीं तथा शरीर में झुर्रियाँ नहीं पड़ती, बाल सफ़ेद होकर गिरते नहीं चिर यौवन की प्राप्ति होती है | 
  • इस आसन से थाइराइड नामक अन्त: ग्रन्थि की शक्ति बढती है | लीवर और प्लीहा के रोग दूर होते हैं स्मरण शक्ति बढती है | मुख पर से मुहासे एवं अन्य दाग दूर होकर मुख तेजस्वी बनता है | स्वप्नदोष दूर होता है |
  • मन्दाग्नि, अजीर्ण, कब्ज, अर्श, थाइराइड का अल्प विकास, अन्गविकार, दमा, कफ, चमड़ी के रोग, रक्तदोष स्त्रियों को मासिक धर्म की अनियमितता एवं दर्द, मासिक न आना अथवा अधिक आना इत्यादि रोगों में इस आसन से लाभ होता है नेत्र और मस्तिष्क की शक्ति बढती है |
                  थाइराइड के अति विकास वाले खूब कमजोर हदय वाले और अत्यधिक चरबी वाले लोगों को किसी अनुभवी की सलाह लेकर ही सर्वागासन करना चाहिए |  

Tuesday, February 2, 2016

योगासन के विधि : योगमुद्रासन भाग ६

योगासन : योगमुद्रासन 
       योगाभ्यास में यह मुद्रा अति महत्वपूर्ण कहा जाता है , इससे इसका नाम  योगमुद्रासन रखा गया है |
 योगमुद्रासन का विधि कैसे किया जाता है |


        पदमासन लगाएँ | दोनों एडियाँ नाभि के निचे मिलें | दोनों हाथों को पीछे ले जाएँ और दाई कलाई को बाएँ हाथ से पकड़ लें | दाएँ हाथ की मुटठी बंद कर लें | कमर सीधी, कंधों को ऊपर उठाएँ, हाथों का जोर निचे की और हो | अब श्वास भरें और फिर धीरे से श्वास छोड़ते हुए कमर को इस प्रकार जुकायें की पूरा मेरुदंड सीधा रहे | श्वास को रोककर शरीर को आगे जुकाकर भूमि पर टेक दें | नितंब नहीं उठने चाहिए | कुछ देर इस स्थिति में रुकने का अभ्यास करें | फिर धीरे- धीरे सिर को उठाकर शरीर को पुन: सीधा कर दें और पूरक करें |

इस योगासन के लाभ -
  •  पेट के गैस की बीमारी दूर होती है | पेट एवं आँतों की सब शिकायतें दूर होती हैं | कलेजा, फेफड़े आदि    यथा रहते हैं | हदय मजबूत बनता है | रक्त के विकार दूर होते हैं | कुष्ठ और यौनविकार नष्ट होते हैं |
  • शरीर मजबूत बनता है और मानसिक शक्ति बढती है |

गर्मी के बाद बारिश का शरीर को क्या लाभ मिलती है |

 बारिश के लाभ :           गर्मी के बाद बारिश बहुत ही सुकून देती है | बारिश का इंतज़ार हर किसी को रहता है | बारिश के पानी का लाभ सभी को ...