रैबीज के रोग : सावधान
रैबीज या हाइड्रोफोबिया विषाणु से फैलने वाला खतरनाक जानलेवा रोग है | यह रोग कुत्ता,बिल्ली और सियार के काटने या जख्म को चाटने से होता है | इसका विषाणु वायु के द्रारा भी फेलता है | इसमें मस्तिष्क शोध, सिरदर्द, गले की खराबी, हल्का ज्वर जो ३ - ४ दिन तक रहता है | काटे गए स्थान पर ८० प्रतिशत मरीज खुजली या दर्द महसूस करता है | शरीर का सारा तंत्रिका तंत्र प्रभावित हो जाता है | पानी व हवा से डर लगता है | पानी की आहट से ही मांसपेशियां अकड़ने लगती है | रोगी की अवधि २ - ३ दिन या ५ - ६ दिन तक हो सकती है | मांसपेशियों का अनैच्छिक उग्र संकुचन होता है | रोगी को पक्षाधात भी हो जाता है |
कुत्ता काटने पर सावधानियाँ -
कुत्तों को अपने गांव, मौहल्ले या शहर में न पलने दें | स्थानीय निकायों का सहयोग लें | पशु चिकित्सक से पालतू कुत्तों को एंटी रैबीज वैक्सीन समय - समय पर लगवाते रहें | रैबीज इलाज बचाव ही समाधान है | अधूरा इलाज करवाना एक तरह से मौत को निमंत्रण देना है | एक बार रोग प्रकट हो जाने पर इसका कोई इलाज नहीं है | रोगी की मृत्यु निश्चित है | अंत: बचाव ही इलाज है | उपचार में एंटी रैबीज सीरम लगाते हैं |
- जख्म को पानी और साबुन से अच्छी तरह साफ़ करें | नल के निचे कम से कम ५ मिनिट तक जख्म को पानी से धोते रहें |
- काटने वाले कुत्ते को मरे नहीं अपितु १० दिन तक निगरानी में रखें | पागल कुत्ता सामान्य काटने के ५ दिन में मर जाता है | जख्म पर टांके नहीं लगवाएं |
- जख्म पर पीसी मिर्च या चुना नहीं लगाएं | कुत्ता काटकर भाग गया है या पहचान में नहीं आ रहा है तो टिके जरुर लगवाएं | यदि किसी जंगली पशु ने भी काट खाया है तो भी टिके अवश्य लगवाएं |
- नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या चिकित्सा अधिकारी की सलाह लें | रैबीज शत प्रतिशत जानलेवा रोग है बचाव ही समाधान है | इलाज में लापरवाही ना बरतें | ध्यान रखिए |
इलाज के दौरान मरीज को मादक पधार्थो का सेवन नहीं करना चाहिए | अत्याधिक शारीरिक और मानसिक परिश्रम न करना चाहिए | देर रात तक न जागें |
कोई भी दवा चिकित्सा की सलाह के बिना न लें | कुछ दवाएं विपरीत असर डालती है | जैसे कार्टीकोस्टीरोयड व इम्यूनोसप्रेसिव दवाएं |