Sunday, May 8, 2016

संतुलित आहार जीवन के लिए आवश्यक है ?

जीवन में संतुलित आहार :
         आहार जीवन के लिए है न की जीवन आहार के लिए इस उक्ति को ध्यान में रखते हुए हमें उतना ही आहार ग्रहण करना चाहिए जितना हमारे स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है | हमें न आवश्यकता से कम आहार करना चाहिए न अधिक | कम खाने से देह का पोषण व विकास ठीक प्रकार से न हो सकेगा | पेशियाँ कमजोर हो जाएँगी और रक्त की कमी से देह पिली व दुर्बल हो जाएगी | कई प्रकार के रोग लग जाएँगे | इसके विपरीत यदि भोजन आवश्यकता से अधिक किया गया है तो हानिकारक है | अंत: मात्रा में आहार ग्रहण करना चाहिए | आहार की मात्रा का उचित होना उसके द्वारा देह से उत्पन्न ताप पर निर्भर करता है | ताप का देह में वही स्थान है जो इंजन में भाप का है | दोनों की गति के लिए उचित मात्रा में ताप व भाव की आवश्यकता होती है | ताप आहार से उत्पन्न होता है | अत: हमें उतना आहार ग्रहण करना चाहिए जिससे हमारी देह को आवश्यक खाद्य पदार्थ ताप उत्पन्न करता है | इससे माप को हम कैलोरी कहते हैं | वस्तुत हमें स्वस्थ रहने के लिए संतुलित आहार लेना चाहिए | इसकी परिभाषा इस प्रकार की जा सकती है |

  • ऐसा आहार जिससे पर्याप्त मात्रा में कैलोरी प्राप्त हो | विभिन्न आहारीय तत्व कार्बोज, वसा, प्रोटीन, लवण, व विटामिन उचित मात्र में हों | जो मिश्रित आहार हो अर्थात जिसमे विभिन्न खाद्य पदार्थ सम्मिलित हों | जिस आहार में उपर्युक्त तीनों विशेषताए पायी जाएँ उसे संतुलित आहार कहेंगे |
हम कैलोरी आयु और व्यवसाय के बारे में विचार करेंगे :
         १. एक व्यक्ति को दिन में कितनी कैलोरी की आवश्यकता है इसका अनुमान उसके कार्य परिश्रम, आयु और जलवायु आदि पर विचार करके ही लगाया जा सकता है | उदहारण कार्यालय में काम करनेवाले एक क्लर्क एक मजदुर बोझा ढोनेवाले कुली और एक कृषक के कार्यो में भिन्नता है तथा इनको परिश्रम भी अलग-अलग रूप में करना पड़ता है |इनकी कैलोरी की मात्रा में भी भिन्नता रहेगी | इसी प्रकार एक नवजात शिशु छोटा बालक स्कुल जाने वाले विद्यार्थी की कैलोरी की मात्रा में भिन्नता होती है | किसी के दैनिक आहार का आयोजन करने से पूर्व हमें उसके लिए उचित कैलोरी की मात्रा निर्धारित करनी चाहिए | कैलोरी की मात्रा का निर्धारित करते समय निम्लिखित बातों का ध्यान रखना चाहिए |
       २. बढ़ते बच्चों की प्रति किलो भर के अनुसार सभी तत्त्वों की आवश्यकता अधिक होती है | २५ वर्ष की आयु के बाद कैलोरी की आवश्यकता घाट जाती है अत; बच्चों को बड़ों की अपेक्षा अधिक कैलोरी की आवश्यकता होती है क्योंकि उनकी देह बढ़ रही है प्रोढ़ावस्था में वृधावस्था की अपेक्षा अधिक कैलोरी की आवश्यकता होती है क्योंकि प्रौढ़ व्यक्ति अधिक परिश्रम करता है तथा वृदध व्यक्ति पचा नहीं सकता है |
      ३. अधिक भारी काम करने वाले मजदूरों को कैलोरी की आवश्यकता एक क्लर्क की अपेक्षा बहुत अधिक होती है | दैनिक परिश्रम करनेवालों को अधिक कैलोरी की आवश्यकता होती है | मानसिक परिश्रम करनेवालों को कम; क्योंकि दैनिक परिश्रम करने वालों को अधिक शक्ति खर्च करनी पड़ती है | इनके आहार में कार्बोज की मात्रा अधिक होनी चाहिए तथा मानसिक परिश्रम करने वालों के आहार में प्रोटीन |
     ४. ठंडे प्रदेशों में अधिक कैलोरी की आवश्यकता पड़ती है | इसी प्रकार बहुत गर्म प्रदेशों में सोडियम की अधिक आवश्यकता होती है; क्योंकि पसीने में बहुत - सा नमक निकल जाता है | गर्भवती और दूध पिलानेवाली माताओं की आवश्यकता अन्य स्त्रियों से अधिक होती है क्योंकि बच्चे के लिए प्रोटीन, खनिज विटामिन आदि की आवश्यकता होती है | बीमारी आदि में तत्वों की आवश्यकता परिवर्तित जाती है | जैसे मधुमेह में कार्बोज की मात्रा कम होनी चाहिए | ज्वर आदि में सभी तत्वों की आवश्यकता बढ़ जाती है |
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