Wednesday, June 8, 2016

साँप काटने के लक्षण और उपचार !

साँप का काटने का दुर्घटना :
        साँप का काटना एक गंभीर दुर्घटना मानी गई है | कुछ साँप विष रहित और कुछ अधिक विषैले होते है |अधिक विषैले होना साँप की जाती पर निर्भर करता है | साँप अपने ऊपर के दांतों को देह में कडाकर इंजेक्शन के समान रक्त में अपना विष डाल देता है | साँप काटने से मृत्यु, साँप का विषैला होना, विष की मात्रा व्यक्ति विशेष की विष क्षमता पर निर्भर करता है |


        हमारे देश भारत में दो विषैली जाती के साँप होते हैं १. कोबरा २. वाइपर कोबरा के काटने का असर स्नायुमंडल पर अधिक होता है और रक्त प्राय: कम प्रवाहित होता है | स्नायु मंडल प्रभावित  होने से श्वास- प्रश्वास केंद्र पर पक्षाघात का प्रभाव होता है और रोगी की मृत्यु हो जाती है | कोबरा का सिर अंडाकार और बाकी देह छोटी होती है | इस पर टेढ़ी- मेढ़ी लकीरें होती हैं | देह पर बड़े- बड़े चकते होते हैं और फन चौड़ा होता है |  वाइपर जाती के साँप का विष रक्त को अधिक प्रभावित करता है | रक्त में जमने की शक्ति नहीं रहती है | वाइपर के सिर के ऊपर का भाग तीर की तरह होता है | यह भाग देह की अपेक्षा अधिक चौड़ा होता है | सिर देह के साथ पतली गर्दन द्वारा जुड़ा रहता है | वाइपर जाती के साँप द्वारा काटे गए स्थान का रक्त और रंग में बहुत अंतर होता है | रक्त में जमने की शक्ति कम होने से देह में यह विष अधिक पैदा कर देता है | इसलिए वमन और कमजोरी हो जाती है तथा आँखों की पुतलियाँ फ़ैल जाती है | घाव और विष का असर ख़त्म होने पर काटे हुए स्थान के चारों और की त्वचा गल कर गिर जाती है तथा वहाँ का माँस सड जाता है |
      साँप काटने के लक्षण

  • साँप काटने के बाद बहुत अधिक पीड़ा होती है | रोगी को गरमी अधिक लगती है और मन घबराहट होता है | देह ठंडी पड़ जाती है और मूर्च्छा का लक्षण दृष्टिगत होने लगता है | 
  • काटा हुआ स्थान काला पड़ जाता है और साँप के दांतों के दाग हो जाते है | नेत्रों की पुतलियाँ संकुचित हो जाती हैं | श्वास क्रिया मंद पड़ जाती है श्वास लेने में कष्ट होता है |
  • हाथों और पैरों ऐंठन होने लगती है और ये अंग सुन्न होने लगते है | यह सुन्नपन शीघ्र मस्तिष्क की बढ़ता जाता है और चेहरे की सभी पेशियाँ सुन्न हो जाती हैं तथा मुँह से बूंद - बूंद कर लार टपकने लगती है | 
  • श्वास बहुत शीघ्र बंद हो जाती है किंतु हदय गति कुछ समय तक चलती रहती है | मुख से झाग और लार टपकने लगाती है | कभी - कभी जी मचलाने लगता है और उलटी होती है | इसके बाद सारी देह कड़ी होकर अकड़ने लगती है और कुछ घंटों में रोगी की मृत्यु हो जाती है | 
  • साँप के काटे गए स्थान से निरंतर निरंतर रक्तसाव होना और बाद में नाक आँखों और मुख से भी रक्त निकलना सब से अधिक खतरनाक होता है |
     साँप काटने के उपचार 
     यदि भुजा अथवा टांग में साँप ने काटा हो, तो शीघ्र ही धमनी और शिराओं में बंधन के द्वारा रक्त संचार बंद कर दीजिए | यह बंधन सदैव कटे हुए स्थान से ऊपर हदय की और जाना चाहिए | इसके लिए तुर्निकेट, रस्सी, धोती, रूमाल, फीता अथवा रबर नली का प्रयोग कर सकते हैं | हर १५ मिनट बाद बंधन जो १५ सैंकड़ के लिए ढीला कर दीजिए और पुन: कस दीजिए | डोक्टर के आने तक यही प्रक्रिया करते रहना चाहिए |
     साँप के काटे हुए स्थान को थोडा चाकू से चिर कर कुछ रक्त निकल दीजिए और उसमें पोटाशियम परमैगनेट के कुछ दाने भर दीजिए | सिंगी अथवा स्तन चूसनेवाले यंत्र का प्रयोग स्थान विशेष को चीरने के बाद रक्त खींचने के लिए किया जा सकता है | घाव को आग अथवा तेज़ाब से भी जलाया जा सकता है | रोगी को गरम व पूर्ण विश्राम अवस्था में रखिए | यदि रोगी की श्वास गति मदधम पड़ रही हो, तो उसे कृत्रिम श्वास दीजिए | रोगी को उलटी करा दीजिए; पर सोने न दीजिए | रोगी का साहस बनाए रखिए |
    सर्प विष को दूर करने के लिए विशेष प्रकार का प्रतिदंश विष का इंजेक्शन लगवाइए |
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