Monday, March 7, 2016

योगासन के विधि :मत्स्यासन ११

मत्स्यासन :
        इस आसन में शरीर का आकार मत्स्या अर्थात मछली जैसा बनता है, अत: ये मत्स्यासन कहलाता है |
कैसे करे विधि -

           भूमि पर बीछे हुए आसन पर पद्मासन लगाकर सीधे बैठ जाएँ | फिर पैरों को पद्मासन की स्थिति में ही रखकर हाथ के आधार से सावधानीपूर्वक पीछे की और चित होकर लेट जाएँ, रेचक करके कमर को ऊपर उठायें | घुटने, नितंब और मस्तक के शिखा स्थान को भूमि के साथ लगाये रखें | ठोड़ी छाती के साथ लगी रहे | बाएं हाथ से दाहिने पैर का अंगूठा और दाहिने हाथ से बाएं पैर का अंगूठा पकड़ें दोनों कुहनियाँ जमीन को लगाये रखे | कुम्भक की स्थिति में रहकर दृष्टि को पीछे की ओए सिर के पास ले जाने कोशिश करें | दांत दबे हुए और मुँह बन्द रखें | एक मिनिट से प्रारम्भ करके ५ मिनट तक अभ्यास बढाएं | फिर हाथ खोलकर, कमर भूमि को लगाकर सिर ऊपर उठाकर बैठ जाएँ, पूरक करके रेचक करें |
        पहले भूमि पर लेटकर फिर पद्मासन लगाकर भी मत्स्यासन हो सकता है |

मत्स्यासन के लाभ -

  • मत्स्यासन से शरीर मजबूत बनता है | गला, छाती, पेट की सभी बीमारियाँ दूर होती है, आँखों की रोशनी बढती है | गला साफ़ रहता है, स्वसनक्रिया ठीक से चलती है |
  • छाती व फेफड़ों का विकास होता है, रक्त की गति बढती है, चमड़ी के रोग नहीं होते, दमा और खाँसी दूर होती है | पेट की चर्बी कम होती है |
  • इस आसन से अपानवायु की गति निचे की ओर होने से मलावरोध दूर होता है | पेट साफ़ होता है | स्त्रियों के मासिक धर्म संबंधी सब रोग दूर होते हैं | मासिकस्त्राव नियमित बनता है |

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