Thursday, January 5, 2017

अस्थमा क्या है और घरेलु उपचार कैसे करना हैं ?

अस्थमा (Asthma) :

            अस्थमा कहे या हिंदी में दमा ये श्वसन तंत्र की बीमारी है जिससे कारण सांस लेना मुश्किल हो जाता है | क्योंकि श्वसन मार्ग में सूजन आ जाने के कारण वह संकुचित हो जाती है | इस कारण छोटी-छोटी सांस लेनी पड़ती है | छाती में कसाव जैसा महसूस होता है और सास फूलने लगती है और बार-बार खांसी आती है | इस बीमारी के होने का विशेष उम्र बंधन नहीं होता है | किसी भी उम्र में कभी भी यह बीमारी हो सकता है | दमा का कोई स्थायी इलाज नहीं है लेकिन इस पर नियंत्रण जरुर किया जा सकता है | दम (अस्थमा ) से पीड़ित व्यक्ति सामान्य जीवन व्यतीत कर सके | अस्थमा तब तक ही नियंत्रण में रहता है जब तक मरीज जरुरी सावधानियां बरत रहा है |

             अस्थमा एक गंभीर बीमारी है जो श्वास नलिकाओं को प्रभावित करती है | श्वास नलिकाएं फेफड़े से हवा को अंदर-बाहर करती हैं अस्थमा होने पर इन नलिकाओं की भीतरी दिवार में सुजन होता है | यह सुजन नलिकाओं को बेहद संवेदनशील बना देता है और किसी भी बेचैन करनेवाली चीज के स्पर्श से यह प्रतिक्रिया करता है | जब नलिकाएं प्रतिक्रिया करती हैं तो उनमें संकुचन होता है और उस स्थिति में फेफड़े में हवा की कम मात्रा जाता है | इससे खांसी, नाक बजना छाती का कड़ा होना रात और सुबह में सांस लेने में तफलीफ आदि है और  लक्षण पैदा होते हैं | अस्थमा एक अथवा एक से अधिक पदार्थो के प्रति शारीरिक प्रणाली की अस्वीकृति है | अस्थमा के कारण - अस्थमा का एटैक आने के बहुत सारे कारणों में वायु का प्रदुषण भी एक कारण है | अस्थमा के अटैक के दौरान वायु मार्ग के आसपास के मसल्स में कसाव और वायु मार्ग  में सुजन आ जाता है | जिसके कारण हवा का आवागमन अच्छी तरह से नहीं हो पाती है | दमा के रोगी को साँस लेने से ज्यादा साँस छोड़ने में मुश्किल होती है | एलर्जी के कारण श्वसनी में बलगम पैदा हो जाता है जो कष्ट को और भी बढ़ा देता है | एलर्जी के अलावा भी दमा होने के बहुत से कारणों में से कुछ इस प्रकार है १. घर के धुल भरा वातावरण और घर के पालतू जानवर बाहर का वायु प्रदुषण आदि है | २. धुम्रपान अधिक मात्रा में शराब पीना और व्यक्ति विशेष का कुछ खाद-पदार्थो से एलर्जी महिलाओं में हार्मोनल बदलाव कुछ विशेष प्रकार के दवाएं | ३. सर्दी के मौसम में ज्यादा ठंड एलर्जी के बिना भी दमा का रोग शुरू हो सकता है | सिर भारी - भारी जैसा लगता है | जोर-जोर से साँस लेने के कारण थकावट महसूस होती है |

दमा के रोगी के लिए घरेलु उपचार :-

  • दमा रोग से पीड़ित रोगी का प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार करने के लिए सबसे पहले रोगी व्यक्ति को प्रतिदिन नींबू तथा शहद को पानी में मिलाकर पीना चाहिए और फिर उपवास रखना चाहिए | इसके बाद १ सप्ताह तक फलों का रस या हरी सब्जियों का रस तथा सूप पीकर उपवास रखना चाहिए | फिर इसके बाद २ सप्ताह तक बिना पका हुआ भोजन करना चाहिए | इसके बाद साधारण भोजन करना चाहिए |
  • दमा रोग से पीड़ित रोगी को रात के समय में जल्दी ही भोजन करके सो जाना चाहिए तथा रात को सोने से पहले गर्म पानी को पीकर सोना चाहिए तथा अजवायन के पानी की भाप लेनी चाहिए | इससे रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है | दमा रोग ठीक करने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा के अनुसार कई प्रकार के आसन भी है जिनको करने से दमा रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है | यह आसन इस प्रकार है योगमुद्रासन, मकरासन, शलभासन, अश्वस्थासन, ताड़ासन, उत्तान, कुर्मासन, तथा भुजांगासन आदि |
  • जैसा की पहले ही बताया जा चूका है की दमा का कोई इलाज नहीं होता है | लेकिन दवा या कुछ घरेलु उपायों के द्वारा इसके कष्ट को कम किया जा सकता है | एक लीटर पानी में डॉन बड़ा चम्मच मेथी के दाने डालकर आधा घंटे तक उबालें, उसके बाद इसको छान लें | दो बड़े चम्मच अदरक का पेस्ट एक छलनी में डालकर उस रस निकाल कर मेथी के पानी में डालें | उसके बाद एक चम्मच शुद्र शहद इस मिश्रण में डालकर अछि तरह से मिला लें | दमा के रोगी को यह मिश्रण प्रतिदिन सुबह पीना चाहिए | 
  • मौसम में ठंड के कारण दमा का रोग भयंकर रूप धारण करता है | इसलिए इस समय इन घरेलु उपचारों के सहायता से दमा रोग के कष्ट को तो कुछ हद तक काबू में किया जा सकता है साथ ही कुछ बातों पर ध्यान से दमा रोग को बढ़ने से रोका जा सकता है | १. इन्हेलर को अपने पास रखें २. घर को हमेशा साफ़ रखे ताकि धुल से एलर्जी की संभावना न हो ३. मुँह से साँस न ले क्योंकि मुँह से साँस लेने पर ठंड भीतर चला जाता है जो रोग को बढ़ने में मदद करता है |
  • दमा रोग से पीड़ित रोगी को अपने पेट को साफ़ रखना चाहिए तथा कब्ज नहीं होने देना चाहिए | धुम्रपान करने वाले व्यक्तियों के साथ नहीं रहना तथा धुम्रपान भी नहीं करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से इस रोग का प्रकोप और अधिक बढ़ सकता है | 
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