मकर संक्रांति :
मकर संक्रांति के दिन से सूर्य की उत्तरायण गति प्रारंभ हो जाती है इसलिए मकर संक्रांति को उत्तरायण भी कहते है | भारत में प्रतिवर्ष कई तरह के त्यौहार मनाएँ जाते हैं और उन त्योहारों के संबंध में कई तरह की मान्यताएं भी प्रचलित होती है | जैसे दिवाली पर पटाखें जलाना, तो होली पर रंग खेलना | ठीक इसी तरह से मकर संक्रांति पर भी पतंग उड़ाई जाती है | हिन्दू धर्मं में माह को दो पक्षों में बाँटा गया है | १. कृष्ण पक्ष और २. शुक्ल पक्ष | ठीक इसी तरह से वर्ष को भी दो अयनों में बाँटा गया है | उत्तरायण और दक्षिणायण | यदि दोनों को मिला दिया जाए तो एक वर्ष पूर्ण हो जाता है |मकर संक्रांति के दिन क्यों खातें है तिल और गुड :-
भारत में हर त्यौहार पर विशेष पकवान बनाने व खाने की परंपराएं भी प्रचलित हैं | श्रुंखला में मकर संक्रांति के अवसर पर विशेष रूप से तिल व गुड के पकवान बनाने व खाने की परंपरा है | कहीं पर तिल व गुड के स्वादिष्ट लड्डू बनाए जाते हैं तो कहीं चक्की बनाकर तिल व गुड का सेवन किया जाता है | तिल व गुड की जगह भी लोग खूब पसंद करते है लेकिन मकर संक्रांति के पर्व पर तिल व गुड का ही सेवन क्यों किया करते है इसके पिसे भी वैज्ञानिक आधार है | सर्दी के मौसम में जब शरीर को गर्मी की आवश्यकता होती है तब तिल व गुड के व्यंजन यह काम बखूबी करते हैं, क्योंकि तिल में तेल की प्रचुरता रहता है जिसका सेवन करने से हमारे शरीर में पर्याप्त मात्रा में तेल पहुंचता है और जो हमारे शरीर को गर्माहट देता है | इसी प्रकार गुड की तासीर भी गर्म होती है | तिल व गुड को मिलाकर जो व्यंजन बनाए जाते हैं वह सर्दी के मौसम में हमारे शरीर में आवश्यक गर्मी पहुंचाते हैं | यही कारण है की मकर संक्रांति के अवसर पर तिल व गुड के व्यंजन प्रमुखता से खाए जाते हैं |
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