Friday, August 12, 2016

स्वतंत्र 15 अगस्त क्यों मनाते है ?

स्वतंत्र का दिवस :

           15 अगस्त का हमारे देश में रास्ट्रीय महत्व है | भारत का स्वतंत्रता दिवस हर वर्ष 15 अगस्त को मनाया जाता है | सन 1947 में इसी दिन भारत के निवासियों ने ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता प्राप्त की थी | हर साल 15 अगस्त के दिन भारत के प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीन से देश को संम्बोधित करते है | 15 अगस्त 1947 के दिन भारत के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु ने दिल्ली में लाल किले के लाहौर गेट के ऊपर भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया था |


          महात्मा गाँधी के नेतृत्व में भारतीय स्वतंत्र संग्राम में लोगों ने काफी हद तक अहिंसक प्रतिरोध और सविनय अवज्ञा आंदोलनों में हिस्सा लिया | स्वतंत्र के बाद ब्रिटिश भारत को धार्मिक आधार पर विभाजित किया गया जिसमें भारत और पाकिस्तान का उदय हवा | विभाजन के बाद दोनों देशों में हिंसक दंगे भड़क गए और सांप्रदायिक हिंसा की वजह से लगभग 15 लाख लोग ने एक से दुसरे देश को विस्थापित हुये | इस दिन को झंडा फहराने के समारोह पर परेड और सांस्कृतिक आयोजनों के साथ पुरे भारत में मनाया जाता है | भारतीय इस दिन अपनी पोशाक, सामान, घरों और वाहनों पर राष्ट्रीय ध्वज प्रदर्शित कर इस उत्सव को मनाते हैं और व दोस्तों के साथ देशभक्ति फ़िल्में देखते है | इस दिन देशभक्ति के गीत सुनते हैं | 17 वीं सदी से ही यूरोपीय व्यापारियों ने भारतीय उपमहाद्वीप में पैर जमाना आरम्भ कर दिया था | अपनी सैन्य शक्ति में बढ़ोतरी करते हुये ईस्ट इण्डिया कंपनी ने 18 वीं सदी के अन्त तक स्थानीय राज्यों को अपने वशीभूत करके अपने आप को स्थापित कर लिया था | 1857 का प्रथम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के बाद भारत सरकार अधिनियम 1858 के अनुसार भारत पर सीधा अधिपत्य ब्रिटानी ताज का हो गया | दशकों बाद नागरिक समाज ने धीरे-धीरे अपना विकास किया और इसके परिणामस्वरूप 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का निर्माण हुवा | प्रथम विश्व युद्ध  इसके परिणामस्वरूप मोहनदास करमचन्द गांधी के नेतृत्व में असहयोग और सविनय अवज्ञा आंदोपनों तथा राष्ट्रव्यापी अहिंसक आंदोलनों की शरुआत हो गयी | 1930 के दशक के दौरान ब्रिटानी कानूनों में धीरे-धीरे सुधार जारी रहे परिणामी चुनावों में कांग्रेस ने जीत दर्ज की | द्वितीय विश्व युद्ध में भारत की सहभागिता कांग्रेस द्वारा असहयोग का अंतिम फैसला और अखिल भारतीय मुस्लिम लीग द्वारा मुस्लिम राष्ट्रवाद का उदय 1947 में स्वतंत्रता के समय तक राजनितिक तनाव बढ़ता गया | आनन्दोत्सव उपमहाद्वीप के भारत और पाकिस्तान के खूनी विभाजन के रूप में अन्त हुवा |
          भारत की स्वतंत्रता में लाखो मुस्लिम, सिख और हिन्दू शरणार्थियों ने स्वतंत्रता के बाद तैयार नयी सीमाओ को पैदल पार कर सफ़र तय किया | महात्मा गांधी की उपस्थिति ने सांप्रदायिक हिंसा को कम किया | नई सीमाओं के दोनों और 2 लाख 50 हजार से 10 लाख लोग हिंसा में मारे गए | पूरा देश स्वतंत्रता दिवस मना रहा था | गाँधी जी नरसंहार को रोकने की कोशिश में कलकत्ता में रुक गए पर 14 अगस्त 1947 को पाकिस्तान का स्वतंत्रता दिवस घोषित हुवा और पाकिस्तान नया देश अस्तित्व में आया मुहम्मद अली जिन्ना ने कराची में पहले गवर्नर के रूप में शपथ ली | भारत की संविधान सभा ने नई दिल्ली में संविधान होल में 14 अगस्त को 11.00 बजे अपने पांचवें सत्र की बैठक की सत्र की अध्यक्षता राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने की | इस सत्र में जवाहर लाल नेहरु ने भारत की आजादी की घोषणा करते हुए ट्रिस्ट विद डेस्टिनी नामक भाषण दिया | सभा के सदस्यों ने ओपचारिक रूप से देश की सेवा करने की शपथ ली | महिलाओं के एक समूह ने भारत की महिलाओं का प्रतिनिधित्व किया व ओपचारिक रूप से विधानसभा को राष्ट्रीय ध्वज भेंट किया | अधिकारिक समारोह नई दिल्ली में हुए जिसके बाद भारत एक स्वतंत्र देश बन गया | नेहरु ने प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में पद ग्रहण किया है और वायसराय लोर्ड माउंटबेटन ने पहले गवर्नर जनरल के रूप में अपना पदभार संभाला | महात्मा गाँधी के नाम के साथ लोगों ने इस अवसर को मनाया | गाँधी ने हालांकि खुद आधिकारिक घटनाओं में कोई हिस्सा नहीं लिया | इससे बजाय, उन्होंने हिंदू, और मुसलमाननों  के बिच शांति को प्रोत्साहित करने के लिए कलकत्ता में एक भीड़ से बात की उस दौरान ये 24 घंटे उपवास पर रहे | 15 अगस्त 1947 को सुबह 11.00 बजे संघटक सभा ने भारत की स्वतंत्रता का समारोह आरंभ किया, जिसमे अधिकारों का हस्तांतरण किया गया | जैसे ही मध्यरात्रि की घडी आई भारत ने अपनी स्वतंत्रता हासिल की और एक स्वतंत्र राष्ट्र बन गया |
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