Tuesday, August 16, 2016

रक्षा बंधन का महत्व और विशेष क्या है ?

रक्षा बंधन का महत्व और विशेष :

          रक्षा बंधन के पर्व श्रवन मॉस की पूर्णिमा को मनाया जाता है | यह पर्व भाई-बहन के रिश्तों की अटूट डोर का प्रतिक है | यह एक भारतीय परम्पराओं का ऐसा पर्व है | यह केवल भाई बहन के स्नेह के साथ हर सामाजिक संबंध को मजबूत करता है | इस लिए यह पर्व भाई-बहन को आपस में जोड़ने के साथ साथ सांस्कृतिक सामाजिक महत्व रखता है | रक्षा बंधन के महत्व को समझने के लिए सबसे पहले इसके अर्थ को समझाना होगा रक्षाबंधन का महत्व रक्षा+बंधन दो शब्दों से मिलकर बना है | इस दिन भाई अपनी बहन को उसकी दायित्वों का वचन अपने ऊपर लेते है | आज के परिपेक्ष्य में राखी केवल बहन का रिश्ता स्वीकारना नहीं है | अपितु राखी का अर्थ है जो यह श्रधा या विश्वास का धागा बांधता है | वह राखी बंधवाने वाले व्यक्ति के दायित्वों को स्वीकार करता है | उस रिश्ते को पूरी निष्ठा से निभाने की कोशिश करता है |


         रक्षा बंधन का पर्व विशेष रूप से भावनाओं और संवेदनाओ का पर्व है | एक ऐसा बंधन जो दो जनों के स्नेह की धागे से बांध ले | रक्षा बंधन को भाई बहन तक ही सिमित रखना सही नहीं होगा बल्कि ऐसा कोई भी बंधन जो किसी को भी बांध सकता है | भाई-बहन के रिश्ते की सीमाओ से आगे बढ़ते हुए यह बंधन आज गुरु का शिष्य को राखी बांधना एक भाई का दुसरे भाई को बहनों का आपस में राखी बांधना और दो मित्रों का एक -दुसरे को राखी बांधना, माता-पिता का संतान को राखी बांधना हो सकता है | आज के सिमित परिवारों में कई बार घर में केवल दो बहेन या दो भाई ही होते है इस स्थिति में रक्षा बंधन के त्यौहार पर मासूस होते है | यह रक्षा बंधन का पर्व किस प्रकार मनायेंगे | उन्हें कौन राखी बांधेगा या फिर वे किसे राखी बांधेगी इस प्रकार की स्थिति सामान्य रूप से हमारे आसपास देखि जा सकती है | ऐसा नहीं है की केवल भाई बहन के रिश्तों को ही मजबूती या राखी की आवश्यकता होती है | जबकि बहन का बहन को और भाई का भाई को राखी बांधना एक दुसरे के करीब लाता है | आधुनिक युग में समय की कमी ने रिश्तों में एक अलग तरह की दुरी बना दी है | जिसमे एक दुसरे के लिए समय नहीं होता इसके कारण परिवार के सदस्य भी आपस में बातचीत नहीं कर पाते है | गलतफहमियों को स्थान मिलता है | अगर इस दिन बहन-बहन और भाई-भाई को राखी बांधता है तो इस प्रकार की समस्याओं से निपटा जा सकता है | यह पर्व सांप्रदायिकता और वर्ग-जाती की दीवार को गिराने में भी मुख्य भूमिका निभा सकता है | राखी कच्चे सूत जैसे सस्ती वस्तु से लेकर रंगीन कलावे, रेशमी धागे,तथा सोने या चाँदी जैसी महँगी वस्तु तक की ही सकती है | राखी सामान्यत: बहेनें भाई को ही बाँधती है परन्तु ब्राहमणों गुरुओं और परिवार में छोटी लड़कियों जैसे पुत्री द्वारा पिता को भी बाँधी जाती है | कभी-कभी सार्वजनिक रूप से किसी नेता या प्रतिष्ठत व्यक्ति को भी राखी बाँधी जाती है |

एक रक्षाबंधन की यहाँ कथा है :-
        रक्षाबंधन कब प्रारंभ हुवा इसके विषय में कोई निच्शित कथा नहीं है लेकिन जैसा की भविष्य पूरण में लिखा है की उसके सबसे पहले इन्द्र की पत्नी ने देवराज इन्द्र को देवासुर संग्राम में असुरों पर विजय पाने के लिए मंत्र से सिद्र करके रक्षा सूत्र बंधा था | इससे सूत्र की शक्ति से देवराज युद्ध में विजय हुवा | शिशुपाल के वध के समय भगवान कृष्ण की उंगली कट गई थी तब द्रोपदी ने अपनी साडी का आंचल फाड़कर कृष्ण की उंगली पर बांध दिया | इस दिन सावन पूर्णिमा की तिथि थी | भगवान श्रीकृष्ण ने द्रोपदी को वचन दिया की समय आने पर वह आंचल के एक-एक सूत का कर्ज उतरेंगे | द्रोपदी के चीरहरण के समय श्रीकृष्ण ने इसी वचन को निभाया | आधुनिक समय में राजपूत रानी कर्मावती की कहानी काफी प्रचलित है | राजपूत रानी ने राज्य की रक्षा के लिए मुग़ल शासक हुमायूं को राखी भेजी | हुमायूं ने राजपूत रानी को बहन मानकर राखी की लाज राखी और उनके राज्य की शत्रु से बचाया था | 

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