Monday, January 11, 2016

मकर संक्रान्ति क्यों मनाते है : संबंधी और पौराणिक

मकर संक्रान्ति : संबंधी और पौराणिक महत्व

           मकर संक्रान्ति साल का पहेला त्यौहार है | इस साल का १४ जनवरी को मकर संक्रान्ति त्यौहार मनाया जाएगा | हमें यह त्योहार अच्छा लगता है | यह त्योहार बहुत से लोग इस त्योहार को मनाने का कारण नहीं जानते है | आज हम आपको बताएँ की य त्योहार क्यों मनाया जाता है | क्यों की यह त्योहार पुरे देश में कैसे मनाया जाता है |


        मकर संक्रान्ति हिन्दुओ का पवित्र त्योहार में से एक है तथा भारत के लगभग सभी भागों में यह त्योहार १४ जनवरी को मकर संक्रान्ति मनाया जाता है | यह एक फसल का त्योहार है | इसे विभिन्न सांस्कृतिक रूपों में बहुत श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है | यह त्योहार जो प्रतिवर्ष एक ही तारीख १४ जनवरी को मनाया जाता है | परंतु यह त्योहार कभी कभी १३ जनवरी या १५ जनवरी को भी मनाया जाता है | मकर संक्रान्ति का त्योहार संक्रमणकालीन चरण माना जाता है | जब सूर्य धनु राशी से मकर राशी में प्रवेश करता है | मकर संक्रान्ति स्वयं को आत्मप्रकाशित करने का प्रतिक है | इसे कृतग्नता प्रकट करने के दिवस के रूप में भी जाना जाता है |        मकर संक्रान्ति हिन्दुओ का पवित्र त्योहार में से एक है तथा भारत के लगभग सभी भागों में यह त्योहार १४ जनवरी को मकर संक्रान्ति मनाया जाता है | यह एक फसल का त्योहार है | इसे विभिन्न सांस्कृतिक रूपों में बहुत श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है | यह त्योहार जो प्रतिवर्ष एक ही तारीख १४ जनवरी को मनाया जाता है | परंतु यह त्योहार कभी कभी १३ जनवरी या १५ जनवरी को भी मनाया जाता है | मकर संक्रान्ति का त्योहार संक्रमणकालीन चरण माना जाता है | जब सूर्य धनु राशी से मकर राशी में प्रवेश करता है | मकर संक्रान्ति स्वयं को आत्मप्रकाशित करने का प्रतिक है | इसे कृतग्नता प्रकट करने के दिवस के रूप में भी जाना जाता है |

मकर संक्रान्ति का महत्व और पौराणिक का महत्व  :
       मकर संक्रान्ति का महत्व त्योहार इसके नाम में ही छुपा हुआ है | मकर का अर्थ है मकर राशि और संक्रान्ति का अर्थ है संक्रमण | इस दिन सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करता है | १२ महीने बारह राशियों के लिए हैं | सूर्य के सभी संक्रमणों में से यह संक्रमण जब सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते है, सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है की मकर संक्रान्ति के दिन से दिन थोड़े गर्म और थोड़े बड़े होने लगते हैं फिर धीरे धीरे ठण्ड कम होने लगती है |

  • पुरानों के अनुसार इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि के घर आते हैं जो मकर राशि के घर धनु का स्वामी है | पिता और पुत्र दोनों में कभी नहीं बनती परंतु फिर भी मतभेदों के बावजूत पिता सूर्य पुत्र शनि के घर जाते हैं और वहां एक महिना रहते हैं |
  • मकर संक्रांति के दिन से देवताओं के दिन प्रारंभ होते है | राजस्थान में एक शब्द "मलमास " का प्रयोग किया जाता है, एक ऐसा महिना जब कोई भी शुभ कार्य नहीं किये जाते है | मकर संक्रान्ति का दिन मलमास की समाप्ति का प्रतिक है |
  • मकर संक्रान्ति के दिन भगवान विष्णु ने नकारात्मक शक्तियों (असुरों ) को ख़त्म किया था | भगवान विष्णु ने असुरों के सिरों को मंदार पर्वत के निचे दफनाया था | यह दिन नकारात्मक शक्तियों की समाप्ति और नए नैतिक जीवन के प्रारंभ का दिन है |
  • महाभारत में भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था तथा उनहोंने मकर संक्रान्ति के दिन प्राण त्यागने का निर्णय किया | मकर संक्रान्ति के दिन तक बाणों शैय्या पर लेटे रहे | उनकी आत्मा ने इसी दिन उनके शरीर को छोड़ा था | ऐसा माना जाता है की वे लोग जिनकी मृत्यु उत्तरायण के दौरान होती है उन्हें मुक्ति मिलती है अर्थात वे स्थानांतरगमन के चक्र से मुक्त हो जाते हैं |

       

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