पोलियो :
बच्चों में पोलियो विश्वव्यापी बीमारी है | यह बीमारी एक वायरस के द्रारा फेलती है जो बच्चो को अपना शिकार बनाती है | वायरस एक बहुत ही सुक्ष्म जीव होता है | जो इस बीमारी के लिए जिम्मेदार है | यह वायरस एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति में अशुद्र भोजन एवं जल के द्रारा फेलता है |
बच्चों में पोलियो विश्वव्यापी बीमारी है | यह बीमारी एक वायरस के द्रारा फेलती है जो बच्चो को अपना शिकार बनाती है | वायरस एक बहुत ही सुक्ष्म जीव होता है | जो इस बीमारी के लिए जिम्मेदार है | यह वायरस एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति में अशुद्र भोजन एवं जल के द्रारा फेलता है |
जब एक बच्चा अशुद्र भोजन या जल का सेवन करता है तो मुँह के द्रारा यह वायरस उसके सरीर में प्रवेश कर जाता है और पेट में तिव्र संख्या में बढ़ता जाता है | फिर ये वायरस पेट की रक्त धमनियों के माध्यम से रीढ़ की हड्डी में प्रवेश कर जाते है, तब ये सरीर की क्रिया को नियंत्रित करने वाली नाड़ियो को विकृत कर देते है और बच्चा हमेशा के लिए अपंग हो जाता है |
पोलियो दो प्रकार का होता है - रीढ़ का पोलियो फेफड़ों को प्रभावित करता है और बच्चे को शरीरिक रूप से अपंग बना देता है | यह ठीक होने में छह दिन से लेकर छह माह तक का समय लेता है | बलवर पोलियो का प्रभाव दिमाग पर पड़ता है | यह गले तथा जीभ को अशक्त कर देता है और श्वसन की पेशियों को प्रभावित करता है | इसे ठीक होने में छह साल का समय लग जाता है | कई केसों में इसके कारण मौत भी हो जाती है |
रोकथाम :
- बच्चों को हमेशा गंदी या धरती पर बार बार गिरी चीज खाने से रोकें |
- शिशु को टटटी -पेशाब से खेलते तथा लिथाड़ने से रोकें | अपनी देखरेख में कराकर धोकर स्वच्छ कर देनि चाहिएं |
- अपने घर के आस पास जहाँ बच्चे खेलते है तथा घर के अंदर आँगन कमरे के फर्श को भली प्रकार साफ सुथरा रखना चाहिएं |
- बच्चों को टटटी पेशाब के बाद साबुन से हाथ धोने की आदत डालें |
- बच्चों को खिलोने मुँह में न डालने देना | ध्यान न देने पर कई बार बच्चे मुँह से निकली टोंफी फल का टुकड़ा या केला उठाकर मुँह में रख लेते है | इससे भी पोलियो का वायरस बच्चे में प्रवेश कर सकता है समाधान :
- बच्चो को किसी प्रकार के दुसरे इंजेक्शन आदि न लगवाएँ बल्कि दवाइयों से भी दूर रखें |
- बच्चों को पोलियो से बचाने के लिए एकमात्र उपाय पोलियो वैक्सीन यानी पोलियो का टीका ही है | दस वर्ष से कम आयु के बच्चों को यह वैक्सीन देनी चाहिए |
- बच्चे को ज्यादा से ज्यादा स्तनपान कराएँ क्योंकि माँ के दूध में पोलियो से बचाने वाले तत्व होते हैं | यह ध्यान रहे की आठ मास से पहले बच्चे को पोलियो प्राय : नहीं होता है | इसका कारण यही की उसके अंदर माँ के दूध द्रारा प्राप्त रोग प्रतिरोधक शक्ति पर्याप्त मात्रा में होती है |
- सरकार की ओर से देस को पोलियो मुक्त करने के लिए पल्स पोलियो अभियान चलाया जा रहा है | दो बूंद जिंदगी की नाम से यह दवा रविवार को मुक्त पिलाई जाती है | अपने बच्चों को दवा अवश्य पिलवाएं | यह माता पिता का प्रथम कर्तव्य है | पोलियो विभिन्न नसों एव पेशियों को हनी पहुचता है | पोलियो के आक्रमण के बाद जिन नसों और पेसियो की कम क्षति होती है, वे ठीक हो जाती हैं | जो पेशियाँ मृतप्राय हो जाती है, वे बिलकुल ठीक नहीं हो पातीं इस कारण वह अंग बिलकुल क्रियाहीन हो जाता है |